Newslaundry Hindi
उत्तर प्रदेश: क्वारंटीन सेंटर की बदइन्तजामी दिखाने पर पत्रकार पर एफआईआर
दो दिन पहले 13 मई को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों को डराने के लिए कानूनों के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की थी. गिल्ड की ये चिंता गुजरात पुलिस द्वारा एक गुजराती समाचार पोर्टल के सम्पादक और मालिक धवल पटेल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने, दिल्ली पुलिस द्वारा इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह मनराल को नोटिस भेजकर आईपीसी की धारा 174 के तहत जेल की सजा और जुर्माना की कानूनी कार्रवाई की चेतावनी के बाद आई है.
गिल्ड का कहना है कि गुजरात और दिल्ली में पुलिस की कार्रवाई बहुत ज्यादा चिंतित करने वाली बात है. सरकार और पुलिस को यह समझना चाहिए कि मीडिया किसी भी लोकतंत्र में शासन संरचना का एक अभिन्न अंग है. गिल्ड इन कार्रवाइयों की निंदा करता है और राज्य तथा केंद्र सरकारों को स्वतंत्र प्रेस को धमकाने के लिए कानून का दुरुपयोग रोकने की मांग करता है.
पत्रकारों पर मुकदमे का यह सिलसिला अब उत्तर प्रदेश के सीतापुर पहुंच गया है. सीतापुर जिले में एक न्यूज़ पोर्टल के पत्रकार पर क्वारंटीन सेंटर की बदइन्तजामी और लापरवाही की पोल खोलने पर प्रशासन ने एफआईआर दर्ज की है.पत्रकार को सरकारी काम में बाधा डालने, आपदा प्रबन्धन और हरिजन एक्ट आदि के तहत आरोपी बनाया गया है. इसको संज्ञान लेते हुए यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन की जिला इकाई के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने इस बाबत सीतापुर के डीएम को ज्ञापन सौंपा है, लेकिन इस पर अभी कोई भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
दरअसल कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में एहतियात बरतते हुए बाहर से वापस अपने घरों को लौट रहे लोगों को प्रशासन 15 दिन के लिए क्वारंटीन करता है. इसके लिए हर जिले, तहसील और ब्लॉक स्तर पर क्वारंटीन सेंटर का इंतजाम किया गया है. ऐसा ही एक सेंटर पूर्वी यूपी के सीतापुर जिले के महोली तहसील में भी बनाया गया है. लेकिन क्वारंटीन सेंटर में रह रहे कुछ लोगों का आरोप है कि यहां पर कोई खास इंतजाम नहीं किया गया है. खाने के नाम पर उन्हें फफूंद लगे चावल दिए जा रहे हैं. इसी ख़बर को वीडियो और एक पीड़ित की बाईट के साथ स्थानीय टुडे-24 पोर्टल के पत्रकार रविन्द्र सक्सेना ने दिखाया. इससे नाराज होकर पुलिस ने पत्रकार पर ये कार्यवाही की है.
क्वारंटीन सेंटर में बदइन्तजामी और लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले आगरा में भी बने क्वारंटीन सेंटर में लोगों को फेंककर खाना देने की तस्वीरें सामने आई थीं, जिस पर काफी हंगामा भी मचा था.
वर्तमान में भारत में प्रेस की आजादी और पत्रकारिता क्या वाकई मुश्किल में है. यह एक बड़ा सवाल बन गया है. क्योंकि पत्रकारों पर हमले और मुकदमे की घटनाओं ने एक बड़ा रूप ले लिया है. पिछले महीने अप्रैल में अमेरिकी अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी एक विस्तृत लेख भारत में प्रेस की आजादी के ऊपर लिखा था. जिसमें शीर्षक था, “मोदी सरकार में भारत में प्रेस को ज्यादा आजादी नहीं है.”
वर्तमान में पत्रकारों पर मुकदमे और बढ़ते हमले की घटनाएं भी कहीं न कहीं इसकी पुष्टि करती हैं.
हमने टुडे-24 पोर्टल के पत्रकार रविन्द्र सक्सेना से इस मामले में सम्पर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “महोली क्वारंटीन सेंटर की बदइन्तजामी और सही खाना न मिलने से परेशान होकर मोहल्ला आजादनगर निवासी एक क्वारंटीन व्यक्ति बाबूराम तहसील में एसडीएम शशि भूषण राय से इसकी शिकायत करने पहुंचा था. हम भी खबरों के सिलसिले में वहां मौजूद थे. वहीं हमें यह व्यक्ति मिला जो साथ में फफूंद लगे चावल भी लिए हुए था. जब हमने उससे कैमरे पर बात की तो उसने हमें बताया कि क्वारंटीन सेंटर से ये फफूंद लगे चावल मिले हैं जिनकी शिकायत एसडीएम से करने आया हूं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है.”
रविन्द्र आगे बताते हैं, “इसके बाद हमने इससे सम्बन्धित क्वारंटीन सेंटर का दौरा किया और वहां हो रही लापरवाहियों का वीडियो बनाकर अपने पोर्टल पर खबर चलाई. इसके बाद प्रशासन ने एक ट्रेनी एससी लेखपाल ऋषभ गौतम के द्वारा मेरे खिलाफ हरिजन एक्ट, आपदा प्रबंधन और लॉकडाउन का उल्लंघन जैसे मामलों में मुकदमा दर्ज करा दिया है. जबकि हमारे ऊपर तो धारा 188 लागू ही नहीं होती. ये तो मुख्यमंत्री के आदेश हैं क्योंकि हम तो आवश्यक कर्मचारी की श्रेणी में आते हैं.”
रविंद्र के मुताबिक क्योंकि ख़बर में बिलकुल सच्चाई थी और लेखपाल वगैरह सब फंस रहे थे इसलिए एसडीएम और तहसील प्रशासन ने सोचा होगा कि इस पत्रकार पर एफआईआर करा दो, जिससे दूसरे पत्रकार भी खामोश हो जाएंगे. फिर लॉकडाउन समाप्त हो जएगा तो आगे देखा जाएगा. लेकिन हम अपना काम लगातार कर रहे हैं आज भी हमारी खबरें गई है. बाकि सभी पत्रकार साथी हमारे साथ हैं, और कल पुलिस कप्तान से भी मिलने का प्लान है.
जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने पत्रकार पर हुई एफआईआर पर कहा, “अब एफआईआर तो हो चुकी है, तो उसे तो रद्द करा नहीं सकते बाकि हमने गिरफ्तारी रुकवा दी है. आगे पुलिस अपनी जांच करेगी और रिपोर्ट देगी. कानून तो आप जानते ही होंगे! एफआईआर दर्ज होने के बाद तो कुछ हो नहीं सकता. अब या तो ये है कि इन्होंने (पत्रकार) ऐसी बात कर दी है,जिससे वो ज्यादा नाराज हो गए हैं, और एफआईआर कर दी.
अग्रवाल से हमने पूछा कि उन्होंने तो सच्चाई दिखाई है, इसमें नाराजगी की क्या बात है. ये तो एक पत्रकार का काम है. इस पर महेंद्र अग्रवाल ने कहा कि ये तो जिलाधिकारी से फोन करके पूछो आप कि वे इसमें क्या करेंगे. वैसे हम भी जिलाधिकारी अवधेश से मिले हैं, उन्होंने हमसे कहा है कि परेशान नहीं किया जाएगा. सच्चाई क्या है उसका पता लगाकर आगे काम करेंगे.
महेंद्र अग्रवाल भले ही जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष हों जो जर्नलिस्ट के अधिकारों के हित की बात करती है. लेकिन पूरी बातचीत केदौरान हमे लगा कि वे पत्रकार पर हुई एफआईआर से कम बल्कि अधिकारी क्यों नाराज हुए इस बात से ज्यादा चिंतित थे.
हमने महोली के एसडीएम शशि भूषण राय से इस बारे में कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमारा फोन रिसीव नहीं किया. बाद में पत्रकार रविन्द्र ने भी बताया कि एसडीएम बहुत ही कम फोन उठाते हैं.
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में सरकारों द्वारा पत्रकारों परकानूनों का दुरूपयोग प्रेस की आजादी पर हमला है. इसमें पिछले कुछ सालों से दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही. विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की ताजा रैंकिंग में भारत दो स्थान नीचे फिसलकर अब दुनिया के 180 देशों में 142वें स्थान पर है. और अगर इसी तरह पत्रकारों को डराया-धमकाया जाता रहा तो भविष्य में दुनिया में हमारी साख और अधिक खराब होने से कोई नहीं रोक सकता.
कुछ दिन पहले भी यूपी पुलिस ने द वायर वेबसाइट के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन पर एक ख़बर को पहले हटाने का दबाव बनाया और जब ख़बर नहीं हटाई गई तो न सिर्फ उन पर मुकदमा दर्ज किया गया बल्कि यूपी पुलिस उनके दिल्ली स्थित घर पूछताछ के लिए जा धमकी. इसकी निंदा करते हुए दुनिया के 3000 से ज्यादा लोगों ने वरदराजन को समर्थन दिया और सरकार की कार्यवाही की आलोचना की.
Also Read: यह मीडिया के लोकतंत्रीकरण का भी समय है
Also Read
-
Is Modi saving print media? Congrats, you’re paying for it
-
Ekta Kapoor, Shilpa Shetty and a queue of netas: The great suck-up at Baba Bageshwar's yatra
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
The unbearable uselessness of India’s Environment Minister
-
Delhi protests against pollution: ‘We have come to beg the govt for clean air’