Newslaundry Hindi
विशेष रिपोर्ट: शहरों में क्यों घट रहीं महिला प्रवासी
पलायन पर केंद्रित केंद्र सरकार की 18 सदस्यीय वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में प्रवासी परिवारों की बढ़ोत्तरी इस बात का इशारा है कि गांव या कस्बों से आए प्रवासी परिवार शहरों में बस रहे हैं और अब उनके साथ परिवार के आने का सिलसिला थम गया है. इससे यह भी पता चलता है कि गांव से निकलकर शहर आने वाली महिला प्रवासियों की संख्या बढ़ी है. यदि इसे आंकड़ों में देखें तो 2001 में शहर आने वाली प्रवासी महिलाओं की हिस्सेदारी 49 फीसदी थी जो 2011 में बढ़कर 53.2 फीसदी तक पहुंच गई.
हालांकि पलायन के सभी कारणों को शामिल करते हुए एक दशक के आंकड़ों को देखें तो महिला प्रवासियों की संख्या में कमी हुई है. 2011 में कुल महिला प्रवासियों की संख्या 14.57 करोड़ थी इसमें गांव से शहर प्रवास करने वाली महिलाओं की संख्या 9.52 करोड़ (65.3 फीसदी) रही जबकि 2001 में कुल महिला प्रवासियों की संख्या 9.52 करोड़ थी और इनमें गांव से शहर पलायन करने वाली महिलाओं की संख्या 6.37 करोड़ (66.9 फीसदी) थी. यानि एक दशक में करीब एक फीसदी से ज्यादा की कमी आई है.
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रवास में बड़ा हिस्सा उन महिलाओं का है जो शादी या अन्य पारिवारिक कारणों जैसे बच्चे के जन्म के बाद, परिवार के साथ संयुक्त पलायन या फिर श्रम के लिए पलायन करती हैं. विवाह या पलायन के बाद कई महिलाएं श्रमिक बन जाती हैं. हालांकि पुरुषों का काम के सिलसिले में पलायन अब भी काफी ज्यादा है.
1991 से 2001 के बीच 72.2 फीसदी पलायन शादी या अन्य पारिवारिक कारणों से हुआ है. वहीं, 2001 से 2011 के बीच यह बढ़कर 74.7 फीसदी रहा. हालांकि सिर्फ शादी के कारण होने वाले प्रवास की रफ्तार धीमी पड़ी है और अन्य पारिवारिक मामलों के कारण होने वाले रफ्तार में वृद्धि हुई है.
सभी अवधि (ऑल ड्यूरेशन) में आंतरिक प्रवास (30.94 करोड़) का कुल 40 फीसदी यानी 12.39 करोड़ में 12.23 करोड़ प्रवास ग्रामीण से ग्रामीण परिवेश में शादी करके जाने वाली महिलाएं ही हैं. इनमें केवल 4.8 फीसदी यानी 60 लाख ही विवाह के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करती हैं जो कि कुल आंतरिक प्रवास (30.94 करोड़) का महज 1.9 फीसदी है. गांव से गांव प्रवास में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है. इसका मतलब है कि ग्रामीण महिलाओं का विवाह शहरों में बहुत कम हो रहा है.
सभी अवधि (ऑल ड्यूरेशन) के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के प्रवास में सबसे बड़ा कारण विवाह है. 2001 की जनगणना के मुताबिक 22.1 करोड़ महिलाओं में 15.4 करोड़ महिला प्रवास का कारण विवाह रहा. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 77.9 फीसदी महिला प्रवासी और 44.2 फीसदी शहरों की महिला प्रवासियों का प्रमुख कारण विवाह रहा. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) 2007-08 का आंकड़ा और भी अधिक संख्या बताता है.
मसलन 91.8 फीसदी महिला प्रवासी ग्रामीण क्षेत्रों में और 60.8 फीसदी महिला प्रवासी शहरी क्षेत्रों में विवाह के कारण रह रही हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह करने वाली 31 फीसदी महिलाएं श्रमबल का हिस्सा बन जाती है, जबकि 13.3 फीसदी प्रवासी महिलाएं शहरों में सामान्य स्तर के श्रमकार्य में भागीदारी करती हैं.
2001-2011 के जनगणना संबंधी दशकीय आंकड़ों के हिसाब से काम, रोजगार या व्यवसाय के लिए पलायन करने वाले पुरुषों की संख्या बढ़ी है. हालांकि शादी और पारिवारिक कारणों से गांव छोड़कर जाने वाली महिला प्रवासियों की कुल संख्या 86 फीसदी है. (86 फीसदी: शादी और पारिवारिक कारणों का योग है.) इन महिलाओं को भी सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती और इन्हें भेदभाव से गुजरना पड़ता है.
अगली खबर में पढ़िए क्यों डोमेसाइल यानी स्थानीय निवासी होने की शर्त प्रवासी मजदूरों के लिए काल है.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read: देश में अनसुनी है महिला किसानों की विपदाएं
Also Read: लॉकडाउन: बदल रहा भारत में पलायन का चरित्र
Also Read
-
‘No staff, defunct office’: Kashmir Times editor on ‘bizarre’ charges, ‘bid to silence’
-
Is Modi saving print media? Congrats, you’re paying for it
-
India’s trains are running on luck? RTI points to rampant drunk train driving
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms