Newslaundry Hindi
कोरोना टेस्ट: यूपी के पत्रकारों की जांच में उलझे कई पेंच
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक देश में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित 723 लोगों की मौत हो चुकी है. इसका दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. मुंबई में बीते दिनों एक साथ 53 पत्रकारों के कोरोना पॉजिटिव होने की ख़बर से हड़कंप मच गया है. मीडियाकर्मियों के संक्रमित होने से देश भर के मीडिया संस्थान डरे हुए हैं. फील्ड में काम कर रहे रिपोर्टरों में भी इसे लेकर डर पैदा हो गया है. इस स्थिति को देखते हुए ऐसी मांग ने जोर पकड़ लिया है कि राज्य सरकारें अपने यहां पत्रकारों की मुफ्त में कोरोना जांच कराएं, और आपात स्थिति में उनके लिए आवश्यक सेवा देने वाले कर्मचारियों की तर्ज पर ही सुविधाओं की घोषणा करें.
इसे लेकर “उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति” ने अध्यक्ष हेमंत तिवारी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 19 अप्रैल को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें कोरोना संकट के बीच काम कर रहे पत्रकारों का अविलम्ब शिविर लगाकर या घर-घर जाकर मुफ्त कोरोना टेस्ट करने और अन्य आवश्यक कार्यों में लगे सफाईकर्मियोंऔर सुरक्षाबलों की तर्ज पर 50 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा जैसी मांगे की थीं.
इसके अलावा समिति ने छोटे श्रमजीवी पत्रकारों के लिए एक निश्चित राशि के भुगतान की मांग भी चिट्ठी में की है और छोटे तथा मंझले अख़बार और वेबसाइट के लिए विज्ञापन के रूप में एक राहत पैकेज भी मांगा है, जिससे इनसे जुड़े लोगों के भरन-पोषण में दिक्कत न आए.
इस मांग ने अचानक से जोर तब पकड़ा जब महाराष्ट्र (मुंबई) में टीवी पत्रकारों के लिए काम करने वाले संगठन टीवी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (टीवी जेए) ने 167 मीडिया कर्मियों का कोरोना टेस्ट कराया. जिसके नतीजे डराने वाले थे. उनमें से 53 पत्रकार इस भयावह बीमारी के वायरस से संक्रमित पाए गए. इन पत्रकारों में टीवी रिपोर्टर, कैमरामैन और फोटोग्राफर शामिल थे. सबसे चिंताजनक बात तो यह थी कि कोरोना संक्रमित इन पत्रकारों में 99℅ मीडियाकर्मियों में जुकाम, बुखार और सर्दी जैसे कोई लक्षण नहीं थे.
मुम्बई की इस घटना को देखते हुए यूपी सरकार ने फ़िलहाल लखनऊ के मान्यता प्राप्त पत्रकारों का कोरोना टेस्ट करने का फैसला किया है. लोकभवन में लखनऊ के फील्ड रिपोर्टर्स की कोरोना जांच का सिलसिला शुरु भी हो गया है. इसमें सबसे पहले कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों/फोटो जर्नलिस्ट की जांच हुई है. इसके बाद प्रिंट मीडिया के पत्रकारों और छायाकारों की जांच होगी.
सरकार के इस फैसले से वो दूसरे पत्रकार नाराज हैं जिन्हें सरकार से मान्यता नहीं मिली हुई है या जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से न होकर वेबसाइट आदि के लिए काम करते हैं. उनका कहना है कि क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है, जो सरकार सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों की जांच करा रही है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकारों की संख्या लगभग 1000 है.
लखनऊ में एक वेब पोर्टल चलाने वाले एक पत्रकार ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर हमें बताया, "मुम्बई की घटना से कुछ दिन पहले ही कुछ लोगों ने लखनऊ में ये बात उठाना शुरू कर दिया था कि मीडियाकर्मियों पर कोई सरकार ध्यान क्यों नहीं दे रही है. कुछ पत्रकारों ने जब दबाब बनाया तो सरकार ने उन्हें लोकभवन में बुलाकर टेस्ट करने के लिए कहा. लेकिन उसमें ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार थे. क्या सिर्फ टीवी वाले ही पत्रकार हैं. प्रिंट या डिजिटल के लोग नहीं.”
पत्रकार आगे बताते हैं, “सरकार ने इसमें यह शर्त लगा दी है कि सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों के टेस्ट ही किए जाएंगे. आमतौर पर एक संस्थान से 3-4 से ज्यादा लोगों को मान्यता नहीं मिलती. सवाल है कि सरकार किसका कराएगी और किसका नहीं. फ़िलहाल स्थिति बहुत अजब है.”
एक अहम जानकारी देते हुए यह पत्रकार बताते हैं, “मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में सबसे बड़ी परेशानी प्रेसिडेंट और सचिव के बीच चल रही अहम की लड़ाई है. किसी भी मुद्दे पर प्रेसिडेंट चिट्ठी जारी करता है तो कुछ दिन बाद सचिव अपनी ओर से चिट्ठी जारी कर देता है. इस महामारी में भी यही अहम का टकराव चल रहा है.”
हमने लखनऊ के पत्रकारों और समिति से इस मुद्दे और विवाद पर बात करने की कोशिश की. उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के प्रेसिडेंट हेमंत तिवारी ने हमें बताया, “अभी जो लोग लखनऊ शहर में रिपोर्टिंग पर जाते हैं, कोरेस्पोंडेंट हैं या सक्रिय पत्रकार हैं सिर्फ उनकी ही जांच की जा रही है. साथ ही हमने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखा है और चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात भी की है कि पूरी यूपी में जहां भी पत्रकार काम कर रहे हैं, उनकी जांच की व्यवस्था की जाए.”
हेमंत तिवारी ने व्हाट्सएप के जरिए हमें जानकारी दी कि अब तक 83 पत्रकारों के कोरोना टेस्ट हुए हैं जिनमें सभी 80 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. जबकि 3 की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है.
हमने “मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति” के सचिव शिव सरन सिंह से कोरोना टेस्ट के बारे में बात की तो उनके और हेमंत तिवारी के आंकड़ो में अंतर था. सचिव शिव सरन ने कहा, “अभी तक हमारे यहां पहले चरण में 72 पत्रकारों की जांच की गई है, जिनमें से 68 लोग नेगेटिव आए हैं जबकि 4 पत्रकारों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. क्योंकि केंद्र सरकार ने फ़िलहाल टेस्ट कराने पर रोक लगा दी है, इसलिए फ़िलहाल कोई टेस्ट नही हो रहा है. जिनके टेस्ट हुए थे, वे मुख्यमंत्री कार्यालय में रोजाना होने वाली प्रेस ब्रीफिंग में शामिल होने वाले पत्रकार थे और सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से थे.”
80 से ज्यादा पत्रकारों की जांच की बाबत उन्होंने कहा, “पहले चरण में हमारे पास सिर्फ 72 किट आई थीं, जबकि लोग ज्यादा पहुंच गए थे इसलिए सिर्फ 72 पत्रकारों की जांच ही हो पाई है.”
शिव सरन आगे कहते है, “लेकिन आगे सरकार जब आदेश जरी करेगी तो हम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक सभी पत्रकारों के टेस्ट करेंगे. इसके आलावा हमारी मौखिक बात अधिकारियो से भी हो चुकी है कि जो भी पत्रकार फील्ड में काम कर रहे हैं वो चाहे लखनऊ में हों या किसी जिले में, सभी के टेस्ट किए जाएं.”
एक ही पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों की बातों में समानता क्यों नही है. क्या वाकई उनमें संवादहीनता की स्थिति है.
हमने इस सब मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया जानने के लिए मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी को फोन किया तो उन्होंने पूरी जानकारी के लिए हमे चीफ सेक्रेटरी अवनीश कुमार अवस्थी से बात करने को कहा. हमने अवस्थी से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन हमारा उनसे सम्पर्क नहीं हो सका. फिलहाल लखनऊ में पत्रकारों का कोरोना टेस्ट रुक गया है.
Also Read
-
‘Inhuman work pressure’: Inside the SIR crisis pushing poll workers to the edge
-
130 kmph tracks, 55 kmph speed: Why are Indian trains still this slow despite Mission Raftaar?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms
-
Is Modi saving print media? Congrats, you’re paying for it
-
India’s trains are running on luck? RTI points to rampant drunk train driving