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दैनिक जागरण की ख़बर ने आइरनी के सामने सिर्फ आत्महत्या का ही विकल्प शेष छोड़ा
21 मार्च को दैनिक जागरण के राष्ट्रीय और तमाम संस्करणों में कोरोना वायरस से जुड़ी एक ख़बर प्रकाशित हुई जिसका शीर्षक था- “दिल्ली में छह नए मामले, शाहीन बाग के दो प्रदर्शनकारी भी चपेट में”. यह ख़बर जागरण की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हुई. इस ख़बर के विस्तार में हम थोड़ी देर बाद जाएंगे.
पहले ये जान लें कि इसी दिन (21 मार्च) टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर एक विज्ञापन भी छपा जो कि देश भर के सभी प्रतिष्ठित प्रिंट मीडिया संस्थानों का साझा विज्ञापन था. इस विज्ञापन का संदेश था- कोरोना संकट के इस दौर में जब अफवाहें बड़ी तेजी से फैल रही हैं तब सिर्फ प्रिंट मीडिया ही वो माध्यम है जो आप तक सही ख़बरें पहुंचा सकता है. हम भारत के प्रमुख अख़बार इस भरोसे की घोषणा करते हैं कि एक-एक शब्द छनकर आप तक पहुंचेंगे. प्रिंट ही प्रूफ है. दैनिक जागरण भी इस विज्ञापन का हिस्सेदार है.
आप चक्कर में पड़ सकते हैं कि इन दो ख़बरों का आपस में क्या संबंध है. संबंध थोड़ा टेढ़ा और बहुत ही गहरा है.
21 मार्च को शाहीन बाग और कोरोना से संबंधित जिस ख़बर का जिक्र शुरुआत में आया है उस रिपोर्ट में किसी की बाइलाइन नहीं है. शाहीन बाग़ के जिन दो प्रदर्शनकारियों के संक्रमित होने की बात ख़बर में कही गई है उनके न तो नाम हैं, न ही उनसे या उनके परिवार के किसी सदस्य से बातचीत है. पहली ही नज़र में यह ख़बर इसकी विश्वसनीयता पर कई सारे सवाल खड़ा करती है और इसके फर्जी होने का संकेत देती है. लिहाजा हमने इसके विस्तार में जाने का निर्णय किया.
इस ख़बर में जागरण ने तिकड़मबाजी दिखाते हुए न तो संक्रमित लोगों के बारे में कोई जानकारी दी है, न ही उनसे किसी तरह की बातचीत की है. ख़बर में किसी स्रोत का हवाला भी नहीं दिया गया है. सिर्फ इतना लिखा है कि जहांगीरपुरी निवासी महिला और उनका बेटा छह कोरोना संक्रमित लोगों में शामिल हैं और “दोनों शाहीन बाग प्रदर्शन में शामिल हुए थे.” महज 30 से 40 शब्दों में लिखी की गई इस ख़बर में बाकी चार संक्रमितों की कोई चर्चा तक नहीं है. ख़बर में कहा गया है कि महिला की बेटी भी कोरोना से संक्रमित है जो कि सऊदी अरब से लौटी है.
हैरानी की बात यह है कि महिला की बेटी के संक्रमित होने की बात को अख़बार ने स्वास्थ्य विभाग के हवाले से छापा है जबकि महिला और उसके बेटे की खबर, जो कि हेडलाइन है उसके किसी स्रोत का जिक्र नहीं किया गया है.
जागरण ने अपनी वेबसाइट पर जो ख़बर छापी है उसे पढ़कर लगता है कि पूरी ख़बर शाहीन बाग में चल रहे आंदोलन को बदनाम करने की नीयत से मनगढ़ंत तरीके से लिखी गई है. हेडलाइन में सीधे-सीधे कहा गया है कि शाहीन बाग के दो प्रदर्शनकारी चपेट में. लेकिन लिखने वाले को खुद भी पता नहीं है कि ये लोग प्रदर्शन का हिस्सा थे या नहीं.खबर के अंदर लिखा है, “बताया जा रहा है कि वे शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन में भी शामिल हुए हैं. ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है.”
जागरण को लगा कि संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.जागरण को ऐसा क्यों लगता है, ख़बर में इसका भी कोई जिक्र नहीं है. कुल मिलाकर पूरी खबर चतुराई से, सनसनीखेज तरीके से शाहीन बाग को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश नज़र आती है.
इस ख़बर से संबंधित जानकारी के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने दैनिक जागरण के डिजिटल एडिटर कमलेश रघुवंशी से बातचीत की. उन्होंने इस ख़बर के बारे में ज्यादा जानकारी न होने की बात कह कर हमें सलाह दी कि सही और पूरी जानकारी के लिए हमें रेजिडेंट एडिटर किशोर झा से सम्पर्क करना चाहिए. उनके कहे अनुसार हमने किशोर झा से फोन पर बात की. उन्होंने भी इस मामले को टालते हुए अपने मातहत एक अन्य जागरणकर्मी सौरभ श्रीवास्तव से बात करने को कहा जो कि दिल्ली-एनसीआर में रिपोर्टिंग के इंचार्ज हैं.
घूमते-घामते हमने सौरभ श्रीवास्तव को फोन लगाया. कोरोना के संकट में फोन से ही रिपोर्टिंग संभव है. खैर हमने उनसे इस ख़बर के स्रोत, संक्रमित प्रदर्शनकारियों की पहचान और इसके रिपोर्टर के बारे में जानना चाहा. उनका पहला जवाब था कि मैं तो छुट्टी पर हूं. लेकिन जैसे तैसे वो बात करने को राजी हुए.
हमने पूछा कि सर इस खबर का सोर्स क्या है. इस पर झल्लाते हुए उन्होंने कहा, “बिना सोर्स के कोई ख़बर छपती है क्या?” तो फिर आपने उसका उल्लेख क्यों नहीं किया? हमारे इस जवाब पर वो हत्थे से उखड़ते हुए बोले, “ताहिर भाई! आप हमें सिखाएंगे कि ख़बर कैसे छापते हैं?”
उनके इस प्रश्नवाचक जवाब के उत्तर में मैंने कहा, “सर मैं आपको सिखा नहीं रहा हूं बल्कि अपनी रिपोर्ट के सिलसिले में जानकारी चाह रहा हूं. तब उन्होंने कहा- “स्वास्थ्य विभाग हमारा सोर्स है.” मैंने कहा आपकी ख़बर में इसका जिक्र क्यों नहीं है. उन्होंने कहा, “उसकी हमें जरूरत नहीं है. वह तो हम अपने लिए रखते हैं.” हालांकि आप ख़बर आप पढ़ेंगे तो समझ जाएंगे कि जो ख़बर स्वास्थ्य विभाग के हवाले से दी गई है वह पीड़ित की बेटी की है. जबकि उसकी मां और बेटे के बारे में अख़बार ने काल्पनिक उड़ान भरते हुए संक्रमित होने की बात छाप दी है.
अब बात आती है कि संक्रिमत लोगों के नाम का उल्लेख क्यों नहीं किया गया पूरी रिपोर्ट में. इस सवाल के जवाब में तीनों लोगों ने एक ही बात कही कि हम नाम नहीं छापते. क्योंकि इससे और लोगों के बीच डर फैल सकता है.
हालांकि यह बात जागरण की बाकी ख़बरों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. लखनऊ में कनिका कपूर के मामले में जागरण ने न सिर्फ कनिका कपूर का नाम छापा बल्कि जिन-जिन लोगों की उस पार्टी में शामिल होने के कारण संक्रमित होने की आशंका थी, उनका भी नाम छपा था.
इस संबंध में हमने सौरभ श्रीवास्तव से फिर जानना चाहा कि यह विरोधाभास क्यों? लेकिन उन्होंने हमारे संदेश का कोई जवाब नहीं दिया.
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