Newslaundry Hindi
एनएल टिप्पणी : मीडिया की दौड़ ताहिर हुसैन के घर तक
बीता हफ्ता दिल्ली पर बहुत भारी बीता. यहां हुए दंगों में 45 लोगों की जान चली गई. 250 से ज्यादा लोग घायल हैं. जानकार बताते हैं कि आज़ादी के बाद दिल्ली में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हिंदू-मुसलिम दंगा हुआ है. 1990-92 के दौर में भी यह शहर शांत रहा था जबकि समूचा उत्तर भारत लालकृष्ण आडवाणी के सांप्रदायिक रथ से निकले जहरीले धुएं की चपेट में था. तब मंदिर मस्जिद के नाम पर राजनीति हो रही थी अब सीएए-एनआरसी के नाम पर हो रही है.
बात काशीनाथ सिंह के उपन्यास काशी का अस्सी से करते हैं. किताब कहती है- अस्सी बनारस का मुहल्ला नहीं है. अस्सी अष्टाध्यायी है और बनारस उसका भाष्य है. शहर दिल्ली के पूर्वी छोर नोएडा नगर का मुहल्ला फिल्म सिटी, सेक्टर 16 ए फिलहाल अष्टाध्यायी है और समूचा देश उसका भाष्य बन चुका है.
इस हफ्ते की टिप्पणी दिल्ली में हुए दंगे और उसको लेकर मीडिया की रिपोर्टिग पर.
Also Read
-
Should India host the Olympics? An authoritative guide to why this is a bad idea
-
TV Newsance 308: Godi media dumps Trump, return of Media Maulana
-
Unreliable testimonies, coercion, illegalities: All the questions raised in Malegaon blast judgement
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला बंद, अदालत ने दी मंजूरी