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एनएल चर्चा 103: दिल्ली चुनाव, अरविंद केजरीवाल, अमित शाह
न्यूजलॉन्ड्री चर्चा का 103 वां संस्करण दिल्ली चुनावों के इर्द-गिर्द सिमटा रहा. इसके तहत आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत, नार्थ-ईस्ट दिल्ली में सबसे ज्यादा हुए मतदान का कारण, भाजपा नेताओं की उग्र और नफरत भरी बयानबाजी, बीजेपी के बड़े नेताओं का दिल्ली में हुए प्रचार का प्रभाव आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई.
इस सप्ताह चर्चा में राजनीतिक विश्लेषक ममता काले, न्यूजलान्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन, न्यूजलॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने ममता से सवाल किया, "दिल्ली चुनाव के जो नतीजे आए हैं, आम आदमी पार्टी को जिस तरह से 62 सीटें मिली हैं वो कई धारणाओं को तोड़ती हैं. सालों बाद कोई सत्ताधारी पार्टी अपनी जीत को लगभग दोहराने में कामयाब रही है, यह पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी को दो बार लगातार 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, इसे आप कैसे देखती हैं?"
अपनी बात एक कविता के साथ शुरू करते हुए ममता ने कहा, "वो कह रहे हैं कि हमने ये चुनाव विकास मॉडल पर जीता है. लेकिन उनके मेनिफेस्टो का 20% भी वादा पूरा हुआ होता तो नगर-निगम के चुनाव और लोकसभा में जीत जाते. आम आदमी पार्टी की जीत उनके फ्रीबीज के कारण हुई. जहां फ्री का मिलता है वहां लोग आकर्षित होते हैं. आम आदमी पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान कई मनगढंत बातें की. वो झुग्गी-झोपड़ियां में जाते थे और कहते थे अगर बीजेपी जीत गई तो कल से बिजली और पानी फ्री में मिलनी बन्द हो जाएगा."
हालांकि उनके पास इस बात का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं था कि फ्री की बातें तो भाजपा ने भी अपने मैनिफेस्टो में की हैं, पर जनता ने उन्हें नाकर दिया.
इस पर अतुल ने आनंद वर्धन से सवाल किया, "बीजेपी भी अपने मैनिफेस्टो में मुफ्त की चीजें देने का वादा कर रही थी. लेकिन लोगों ने बीजेपी पर भरोसा नहीं किया और आम आदमी पार्टी जीत जाती है. आखिर कुछ तो अलग किया होगा आम आदमी पार्टी ने?"
इसके जवाब में आनंद वर्धन ने कहा, "भारत में हमेशा किसी न किसी कोने में चुनाव होता रहता है. चुनावी अतिविश्लेषण एक गैरज़रूरी विवषता है. चुनावी नतीजों की वैलिडिटी 5-6 महीने ही रहते हैं, इसके बाद सारी थियरी फेल हो जाती हैं. दिल्ली चुनाव का विश्लेषण राष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से नहीं हुआ."
ममता के फ्रीबिज वाले बयान पर जवाब देते हुए आनद वर्धन कहते हैं, "राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां भी ऐसी राजनीति करती आई हैं. तमिलनाडु और आंध्र की क्षेत्रीय पार्टियां जनता को रंगीन टीवी, सस्ते चावल, गेहूं देकर लुभाने की कोशिश करती आई हैं. बीजेपी दिल्ली को राष्ट्रीय मुद्दे पर लड़ रही थी जबकि आम आदमी पार्टी क्षेत्रीय मुद्दों पर. बीजेपी के लिए ये चुनाव जीतने से ज्यादा फेश सेविंग इलेक्शन था."
मेघनाद ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा, "दिल्ली सरकार के पास अपनी पुलिस नहीं है, कई चीजें केंद्रीय सरकार के अधीन है तो इस तरह से ये चुनाव ग्लोरिफाइड म्युनिसिपल इलेक्शन जैसा है. जिस तरह से बीजेपी ने पूरे दिल्ली में इवेंट किया, बड़ी संख्या में, उसे देखकर लग रहा था कि ये भाजपा के लिए एक ईगो की लड़ाई थी."
चर्चा के दौरान इसी तरह चुनावी नतीजे के कई पहलुओं पर बारीकी से बातचीत हुई. पूरी चर्चा को सुनने के लिए पूरा पॉडकास्ट सुने साथ ही न्यूजलाउंड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- 'मेरे खर्च पर आजाद हैं खबरें.'
पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
आनंदवर्धन
पहला गिरमिटिया - गिरिराज किशोर
संस्कृत नाटक - भवभूति का उत्तमरामचरित्
ममता काले
मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियां
मन की बात
मेघनाद
द लाउडडेस्ट वॉइस - (हॉटस्टार मूवी सीरीज)
अतुल चौरसिया
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बैलेट- रशीद किदवई
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