Newslaundry Hindi
जामिया प्रदर्शन: पुलिस की भूमिका पर फिर उठे सवाल
"मैं प्रदर्शन में शामिल थी. हम लोग बैरिकेटिंग से आगे जाने की कोशिश कर रहे थे तभी एक पुरुष पुलिसकर्मी ने मेरा हिजाब खींचकर फाड़ने की कोशिश की. जब मैं नीचे गिर गई तो वो मेरी जांघ पर खड़ा हो गया. जब मैं चिल्लाई तो दूसरे पुलिसवाले ने उसे ये कहते हुए हटा दिया कि 'कोई चेहरा रिकॉर्ड ना कर ले' . इसके बाद एक पुलिस वाले ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- 'तुम लोग देश के लिए खतरा हो'.’’
यह कहना है, जामिया नगर की रहने वाली ज़िकरा का.
नागरिकता संशोधन अधिनियम ( सीएए) और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में जामिया के छात्र और स्थानीय लोगों ने सोमवार (10 फरवरी) को जामिया से संसद भवन तक के लिए पैदल मार्च की घोषणा की थी. सोमवार की दोपहर एक बजे लोगों ने जामिया से संसद की तरफ़ मार्च शुरू ही किया था कि दिल्ली पुलिस ने 'होली फैमिली' अस्पताल के सामने उन्हें रोक दिया गया.
होली फैमिली अस्पताल के पास पुलिस द्वारा बैरीकेटिंग की गई थी. यहां सैकड़ों की संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए तैनात थे. होली फैमिली के पास पुलिस द्वारा मार्च रोके जाने के बाद छात्र बैरिकेटिंग तोड़कर आगे जाने की कोशिश करने लगे. इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच सामान्य संघर्ष हुआ.
जामिया में पिछले दो महीने से सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है. तबसे कई दफ़े छात्रों ने मार्च निकालने की कोशिश की लेकिन पुलिस द्वारा उसे हर बार रोका गया. सोमवार को भी मार्च से पहले ही सैकड़ों की संख्या में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान जामिया के आसपास मौजूद थे.
मार्च से पहले मीडिया से बात करते हुए डीसीपी साउथ ईस्ट आरपी मीणा ने कहा- ‘‘छात्रों को मार्च की इजाजत नहीं दी गई है जिस वजह से हम इन्हें यहां से आगे नहीं जाने देंगे. पुलिस का इंतज़ाम इसलिए किया गया है कि किसी भी तरह का कोई बवाल न हो. पुलिस छात्रों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करेगी. हम बस इन्हें आगे नहीं जाने देंगे.’’
डीसीपी ने छात्रों पर किसी भी तरह के बल प्रयोग नहीं करने की बात की थी जबकि जो हालात सामने आ रहे हैं वो कुछ और ही तस्वीर बयान कर रहे हैं. छात्रों ने पुलिस पर जोर-जबरदस्ती और हिंसा के गंभीर आरोप लगाए हैं.
छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए न केवल अनावश्यक बल का प्रयोग किया बल्कि उन्हें पीछे हटाने के लिए उनके पैरों पर लाठियां भी चलाई. घायल छात्रों को जामिया के डॉक्टर एम ए अंसारी हेल्थ सेंटर ले जाया गया. हेल्थ सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार खबर लिखे जाने तक 65 छात्रों का प्राथमिक उपचार किया गया है. गंभीर रूप से घायल छात्रों को अल्शिफ़ा अस्पताल रेफर किया गया है.
जामिया से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही छात्रा सृजन चावला ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बताया- "पुलिस ने होली फैमिली हॉस्पिटल के पास बैरिकेटिंग लगा रखी थी. हम पुलिस से गुज़ारिश कर रहे थे कि हमें आगे जाने दे लेकिन पुलिस वाले हमें रोकने के नाम पर धक्का देने लगे. इसपर भी जब छात्र नहीं माने तो उनको लाठी से मारा गया. भीड़ बहुत होने की वजह से मेरी सांस फूलने लगी और मुझे चक्कर आने लगा. इसके बाद मेरे दोस्त मुझे बाहर लेकर आए."
प्रदर्शन के दौरान धक्का-मुक्की होने के कारण जामिया के कई छात्र बेहोश हो गए. वहीं कई पुलिसकर्मी भी बेहोश हुए.
जामिया में चल रहे विरोध-प्रदर्शन तत्वावधान में 'जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी' का निर्माण किया गया है. इसी कमिटी के नेतृत्व में मार्च निकाला गया था. कमिटी के सदस्य और जामिया से इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रहे इमरान चौधरी ने बताते हैं- "पुलिस नें न हमें 13 दिसम्बर को मार्च की अनुमति दी, न 15 दिसम्बर को, न 30 जनवरी को और न ही आज. हमने पुलिस से ये भी कहा कि आप हमारे साथ आगे आगे चलिए वो फिर भी नहीं मानी. ऐसे में हमारे पास कोई और चारा नहीं बचता है कि हम बिना इजाज़त के मार्च निकालें.’’
प्रदर्शन के दौरान घायल छात्रा शगुफ़्ता ने बताया- "पुलिस ने लाठियों से मेरे पैरों पर मारा, मेरा हाथ मोड़ दिया. मेरे साथ ये सिर्फ़ महिला पुलिसकर्मी नहीं बल्कि पुरुष पुलिसकर्मी भी कर रहे थे. ऐसा उन्होंने कई और लड़कियों के साथ किया. इसके बाद मैं बेहोश हो गई और आगे क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं है."
प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस बल प्रयोग के साथ-साथ गुज़ारिश भी करती नजर आई. देर तक जब छात्र नहीं माने तो पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया.
पुलिस ने चंदा यादव नाम की छात्रा को भी हिरासत में लिया था. गंभीर रूप से घायल चंदा यादव ने बताती हैं- "पुलिस नें हमारे साथ बहुत बर्बरता की है. हमें जूते से मारा है. मेरे पेट में और हाथ में चोट आई है."
देर शाम चंदा समेत बाकी हिरासत में लिए गए लोगों को पुलिस ने छोड़ दिया.
प्रदर्शन में शामिल मीरान हैदर ने बताया- ‘‘ सीएए और एनआरसी के खिलाफ हमलोग शांतिपूर्ण तरीके से जामिया से संसद भवन तक के लिए मार्च करते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन पुलिस ने हमें रोक दिया. जब मैं बैरिकेड पर चढ़ा तो दिल्ली पुलिस ने मुझे पकड़ कर खींचा जिससे मैं सिर के बल नीचे सड़क पर गिरा और पुलिस वालों ने घेर कर बूटों से कुचला. और फिर मैं जैसे ही खड़ा हुआ, पुलिस के एक जवान ने अपने घुटनों से मेरे प्राइवेट पार्ट पर बहुत ज़ोर से मारा जिसके बाद मैं बेहोश हो गया. आगे वहां से लड़कों ने मुझे कैसे बाहर निकाला याद नहीं. कई लड़कियों को भी इसी तरह मारा गया है.’’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिल्ली जिले के डीसीपी आरपी मीणा ने छात्रों के आरोप पर कहा है, ‘पुलिस की तरफ से कोई मारपीट नहीं की गई है. हमने बकायदा वीडियोग्राफी कराई है. छात्रों का विरोध-प्रदर्शन 12 बजे के आसपास शुरू हुआ और यह करीब 8 घंटे बाद खत्म हुआ.’
Also Read
-
Reality check of the Yamuna ‘clean-up’: Animal carcasses, a ‘pond’, and open drains
-
Haryana’s bulldozer bias: Years after SC Aravalli order, not a single govt building razed
-
Ground still wet, air stays toxic: A reality check at Anand Vihar air monitor after water sprinkler video
-
Govt denies air-death link, but Lancet report says over 17 lakh died in India in 2022
-
सुधीर के सफेद झूठ, एनडीटीवी की कुंडली मार पत्रकारिता और रेखा गुप्ता