Newslaundry Hindi
‘जिस दिन भाई का जन्मदिन था उसी दिन उसे गोली मार दी गई’
“पुलिस सरकारी संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाकर लोगों को नोटिस भेज रही है, लेकिन हमसे मिलने के लिए अब तक कोई नहीं आया. मेरा बेटा मुरादाबाद दवाई लेने के लिए निकला था. पर वो लौटकर नहीं आया. पुलिस फायरिंग में उसे गोली लगी.”
यह कहना है 20 दिसंबर को नागिरकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान संभल जिले में मारे गए 31 वर्षीय बिलाल के पिता शारिक अहमद का.
संभल में 19 और 20 दिसंबर को सीएए और एनआरसी को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था. पुलिस के अनुसार 19 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने कई बसों को आग के हवाले कर दिया था. अगले दिन 20 दिसंबर को पुलिस के ऊपर पत्थरों से हमला किया गया और गोली चलाई गई. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. इस गोलीबारी में बिलाल और मोहम्मद शहरोज की मौत हो गई. बिलाल के पिता का आरोप है कि उनके बेटे की मौत पुलिस की गोली से हुई है.
बिलाल
सराय शक्ति इलाके में अपने घर के कमरे में हमारी शारिक अहमद से मुलाकात हुई. उनके पैर के पास मृतक बिलाल की दस महीने की बेटी खेल रही थी. उसको अपने गोद में खींचते हुए शारिक कहते हैं, ‘‘इसको क्या पता कि इसका बाप मर गया है. पांच साल पहले उसकी शादी हुई थी. तीन बेटियां है. इनका बाप तो छीन ही गया. मेरा भी सबसे बड़ा बेटा उन्होंने छीन लिया.’’
मृतक बिलाल के पिता और उसकी दस महीने की बेटी
मृतक बिलाल के पड़ोसी अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘‘पुलिस ने सीधे उसके मुंह में गोली मार दी थी. वो तो गोली लगने के कुछ देर बाद ही मर गया था.’’
घटनाक्रम के बारे में शारिक बताते हैं, ‘‘उस दिन यहां पर बड़ा प्रदर्शन हो रहा था. मैंने अपने बेटे को मना किया कि मत जाओ लेकिन दवाई लाना ज़रूरी था. नमाज़ पढ़ने के बाद वह दवाई लेने के लिए वो मुरादाबाद निकल गया. चंदौसी चौराहे के पास तस्वीर महल के नाम से एक मशहूर दुकान है वहीं पर मेरे बेटे को गोली लगी. 3:30 से 4 बजे के बीच हमें गोली लगने की जानकारी मिली. हम पहुंच भी नहीं पाए थे तभी पता चला की वो खत्म हो गया था.’’
दिन में शव को नहीं ले जाने दिया
बिलाल के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने दूसरे दिन शनिवार को पोस्टमॉर्टम हो जाने के बावजूद भी शव को घर नहीं लाने दिया. रात में शव लेकर आए और देर रात दो बजे के करीब उसे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया.
शारिक अहमद बताते हैं, ‘‘हम शुक्रवार की रात में पोस्टमार्टम के लिए शव को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. शनिवार की सुबह तक पोस्टमार्टम हो गया था लेकिन पुलिस ने हमें दिन में शव नहीं लाने दिया.’’
बिलाल के मौसेरे भाई फहीम उस रात बिलाल का शव लेने अस्पताल गए थे. फहीम बताते हैं कि दिन में तो पुलिस वाले शव लाने ही नहीं दिए. वे कह रहे थे कि दिन में ले जाओगे तो बवाल हो सकता है. रात 10 बजे के करीब उन्होंने शव भेजा. देरी करने के लिए रास्ते में जानबूझ कर गाड़ी खराब बताकर गाड़ी रोक दी. एक घंटे तक बहाना बनाते रहे कि मिस्त्री आ रहा है. जब एक घंटे से ज्यादा वक़्त गुजर गया तो मैं नाराज़ होते हुए बोला कि मेरा भाई तो अब वापस मिलने से रहा. आप लोग शव भी रख लो. तब जाकर वे मुहल्ले के पास तक शव लेकर आए और देकर चले गए. पुलिस वालों को डर था कि नाराज़ लोग उन पर हमला कर सकते हैं.’’
शारिक अहमद बताते हैं, ‘‘मरने के आठ दिन गुजर जाने के बाद भी ना ही हमें पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मिली है और ना ही एफआईआर दर्ज हुई है. पुलिस वाले मिलने तक नहीं आए.’’
मेरे भाई को जन्मदिन के दिन ही मार दिया
संभल में हिंसा के दिन गोली लगने से मोहम्मद शहरोज की भी मौत हो गई थी. उसी दिन उसका जन्मदिन था.
मोहम्मद शहरोज
मृतक शहरोज के बड़े भाई शहजान न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “मेरा भाई ट्रक ड्राईवर का काम करता था. 19 दिसंबर को काशीपुर से माल उतारकर संभल लौटा था. 20 दिसंबर को हम लोग एक दावत में गए थे. दावत से लौटने के बाद वो नमाज़ पढ़कर आराम करने लगा. उसी वक़्त उसके मालिक का फोन आया कि शहर का महौल ख़राब होता जा रहा है. ट्रक पर सामान भरा जा चुका है उसे लेकर आज ही निकल लो.”
मृतक शहरोज के बड़े भाई शहजान
शहजान आगे कहते हैं, ‘‘परिवार में सबसे मिलकर शहरोज काशीपुर जाने के लिए निकल गया. उसकी गाड़ी चंदौसी चौराहे के पास ट्रांसपोर्ट नगर में खड़ी थी. थोड़ी देर बाद 3:30 बजे के करीब हमें फोन आया कि शंकर कॉलेज चौराहे के पास उसे गोली लगी है. हम उसे लेकर जिले के सेवा अस्पताल गए. वहां से उसे रेफर कर दिया गया. उसके पेट में गोली लगी थी जो रीड की हड्डी के बीच से निकल गई थी. सेवा अस्पताल जाने तक उसकी सांसें चल रही थी लेकिन वहां पहुंचने के बाद उसकी सांसें रुक गई. मन नहीं मान रहा था कि उसकी मौत ही गई है. हम संभल के सबसे बड़े अस्पताल हसीना बेगम अस्पताल पहुंचे. उन लोगों ने मुरादाबाद के तीर्थकर महावीर अस्पताल भेज दिया. वहां के डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.’’
अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज
बिलाल के परिजनों की तरह शहरोज का भी शव उसके परिजनों को पुलिस ने दिन में नहीं सौंपा.
शहजान बताते हैं, मुरादाबाद से रात आठ बजे तक हम शहरोज का शव लेकर संभल जिला अस्पताल पहुंचे. पुलिस को फोन करके बुलाया गया ताकि पोस्टमार्टम हो सके. शनिवार दोपहर में पोस्टमार्टम हो गया था लेकिन पुलिस ने रात ग्यारह बजे के करीब शव को सौंपा. हमने अस्पताल में ही पुलिस को तहरीर दी जिसके बाद अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया.”
शहजान कहते हैं, ‘‘उस वक़्त तो हम घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे लेकिन वहां मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि वहां पर पुलिस ने गोली नहीं चलाई बल्कि हिन्दू संगठन के कुछ लोगों ने गोली चलाई थी.’’
शहजान अपनी बात को साबित करने के लिए संभल में हिंसा के दिन की एक वायरल वीडियो दिखाते है. घटना के आठ दिन बाद शहरोज का पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी उनके परिजनों को नहीं मिला है.
मृतक शहरोज के पिता
शहरोज के घर से हम निकल रहे थे तभी उनके पिता बगल में बन रहे घर की तरफ इशारा करते हुए कहते है, ‘‘शहरोज अपने लिए इस घर को बनवा रहा था.’’
पुलिस का पक्ष
एसएसपी आलोक कुमार जायसवाल न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘बिलाल और शहरोज दोनों के परिजनों ने गोली लगने के लगभग चार घंटे बाद पुलिस को इसकी जानकारी दी. पुलिस को इसकी जानकारी ही नहीं थी. मृतकों के परिजन चाहे जो आरोप लगाएं लेकिन पुलिस ने उस दिन गोली नहीं चलाई थी. हमने सिर्फ आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया था. इनकी मौत कैसे हुई है इसकी जांच हम कर रहे हैं.’’
संभल में हुई हिंसा के लिए जहां पीड़ित पक्ष पुलिस पर आरोप लगा रहा है वहीं आलोक कुमार जायसवाल का कहना है, “19 और 20 दिसंबर के दिन हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर आ गए थे. 20 दिसंबर को जिले में धारा 144 लागू होने के बावजूद लोग सड़कों पर ना सिर्फ उतरे बल्कि पुलिस पर हमला तक किया. जबरदस्त पत्थरबाजी की जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए. 20 दिसंबर को लगभग 15 से 20 हज़ार लोग सड़क पर आ गए थे. भीड़ सिर्फ नारेबाजी नहीं कर रही थी बल्कि हिंसक थी. भीड़ में शामिल लोग हिंसा की तैयारी करके आए थे. उनके हाथों में डंडा, पत्थर और बंदूकें थी. हमारे 58 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं. किसी का हाथ टूटा है तो किसी का सर फटा है. वहीं सात को नॉर्मल बुलेट इंजरी हुई है.”
आलोक कुमार बताते हैं, ‘‘संभल में हिंसा करने के मामले में एफआईआर दर्ज हुआ है. जिसमें अभी तक 78 लोग नामजद है वहीं सैकड़ों की संख्या में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. नामजद लोगों में से 55 प्रकाश में आए हैं.’’
Also Read
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians