Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 96: एनपीआर, पुलिस की हिंसा, झारखंड चुनाव और अन्य
न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के 96वें संस्करण में इस बार मुख्यतः उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के चलते जगह-जगह हुई हिंसा और झारखंड चनाव के नतीजों पर बात हुई. यूपी में पुलिस और प्रदर्शनकर्ताओं की तरफ से कई जगहों पर हिंसा देखने को मिली है. अब तक उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से 21 लोगों के मारे जाने की ख़बर सामने आई है. लेकिन पुलिस का साफ़ कहना है कि उनके द्वारा कार्यवाही के दौरान किसी की जान नहीं गई है. झारखंड के चुनाव में रघुवर दास की सरकार बहुमत हासिल करने में नाकाम रही और 25 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. वही झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन को बड़ी जीत मिली है.
इस सप्ताह चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी और झारखंड चुनाव की कवरेज करके लौटे द क्विंट के संवाददाता शादाब मोइज़ी बतौर मेहमान शामिल हुए. साथ में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे न्यूज़लॉन्ड्री के संवाददाता आयुष तिवारी और बसंत कुमार ने सीधे ग्राउंड से जानकारियां दी. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत बसंत कुमार और आयुष तिवारी से उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालात का जायजा लेते हुए अतुल चौरसिया ने शुरू की. इसी सन्दर्भ में विनोद कापड़ी से सवाल करते हुए अतुल ने पूछा, “यूपी में पुलिस का जो साम्प्रदायिक रूप निकल कर सामने आया है उसे आप किस प्रकार से देखते हैं?”
इसके जवाब में विनोद ने कहा, “मुझे मेरठ के 1990 के दंगे याद हैं. जिसमें पीएसई की भूमिका पर बहुत बड़ा सवाल उठा था. लेकिन उन दंगो में जो हो हुआ उसमें पीएसई और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं. लेकिन मुझे हैरानी है कि जिन्होंने संविधान की कसम खाई है कि वे देश के कानून का पालन करेंगे उसकी रक्षा करेंगे ऐसी हम उम्मीद करते हैं. दिक्कत की बात यहां ये है कि एक मुख्यमंत्री जो मुसलमानों से नफरत करता है, उसने खुले आम कहा कि, “हम बदला लेंगे, दंगाइयों से बदला लेंगे, लेकिन आप दंगाइयों को कैसे चिन्हित कैसे करेंगे?”
इस पर हाल ही में मुजफ्फरनगर से लौटे शादाब मोइजी जमीनी हालात का जिक्र करते हुए बताते हैं, “शुक्रवार की नमाज़ के बाद वहां जो चीज़ें शुरू हुई, उसमें पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों की तरफ से पत्थर चले और गाड़ियों में आग लगाई गयी. पुलिस ने उसके बाद लाठी चलाई और आंसू-गैस के गोले छोड़े. लेकिन इसके बाद लोगो के दिल में जो डर बैठाया गया उसे समझना ज्यादा जरूरी है. पुलिस ने रात में पूरे इलाके में बर्बरता की. घरों में घुसकर लोगों को मारापीटा गया, उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. आप समझ सकते हैं कि जब किसी एक इलाके में एक साथ सैकड़ों पुलिस वाले घुस जाएं तो लोगो के दिल में किस प्रकार का खौफ बैठता होगा.”
अतुल ने इस पूरे वाकए को पुलिस प्रशासन के अंदर मौजूद सांप्रदायिक नफरत के नजरिए से देखा. वो कहते हैं, “एक बड़ी आबाद पुलिस और सुरक्षा बलों के भीतर ऐसी है जो खुद को हिंदू समझने लगी है. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे भड़काऊ भाषा में बयान देते हैं तो उन पुलिस वालों को शह मलती है कि वो मुसलमानों के घरों में घुसकर जो चाहे करें, उनका बाल भी बांका नहीं होगा.”
इस पूरे विवाद में एनपीए औऱ एनआरसी के पक्ष पर भी काफी विस्तार से चर्चा हुई. साथ में झारखंड चुनाव के नतीजों पर भी दिलचस्प और तथ्यपरक विश्लेषण हुआ. इस पूरी चर्चा को सुनने के लिए पूरा पॉडकास्ट सुनें. और हां न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- ‘मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें.’
पत्रकारों की राय, क्या देखा, सुना और पढ़ा जाय:
शादाब मोइज़ी
विनोद कापड़ी
नेटफ्लिक्स पर हिटलर अ-करियर
अतुल चौरसिया
यूपी बिजनौर से न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट
नेटफ्लिक्स पर द टू पोप्स
Also Read
-
Pune journalist beaten with stick on camera has faced threats before
-
South Central 35: Vijay Mallya’s half-truths and Kingfisher’s fall, Bharat Mata controversy in Kerala
-
Kanwariyas and Hindutva groups cause chaos on Kanwar route
-
‘BLO used as scapegoat’: Ajit Anjum booked after video on Bihar voter roll revision gaps
-
बिहार में एसआईआर की ‘सच्चाई’ दिखाने पर पत्रकार अजीत अंजुम पर एफआईआर दर्ज, भावनाएं भड़काने का आरोप