Newslaundry Hindi
‘विश्व हिंदु परिषद के दिखाने के दांत कुछ और हैं, खाने के कुछ और’
अयोध्या श्रृंखला के चौथे हिस्से में हमने रामजन्मभूमि स्थल के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास से बातचीत की है. सत्येंद्र दास को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से अयोध्या में तैनात रिसीवर ने नियुक्त किया है. दास मार्च 1992 से विवादित स्थल पर पूजापाठ करवा रहे हैं. इस लिहाज से उन्होंने एक लंबा दौर देखा है. जब विवादित स्थल पर मस्जिद मौजूद थी तब भी वो वहां पूजा-पाठ कराते थे, और मस्जिद ढहने के बाद बने टेंटनुमा मंदिर में भी वो लगातार पूजा करवाते आ रहे हैं.
अयोध्या के पूरे विवाद को सत्येंद्र दास के नजरिए से देखना दिलचस्प है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनाने का काम उसे सौंपे. ट्रस्ट बनने के बाद बतौर पुजारी सत्येंद्र दास की यहां क्या भूमिका होगी जो कि लगभग तीन दशक से रामलला की पूजा करवाते आ रहे हैं? इस सवाल पर दास कहते हैं, “ट्रस्ट बन जाने के बाद यह उसके ऊपर निर्भर करेगा कि वो किसे पुजारी नियुक्त करता है. वो जो भी फैसला मेरे बारे में करेंगे, मुझे स्वीकार्य होगा.”
अयोध्या मामले में विहिप आरएसएस की भूमिका, धार्मिक आस्था के मामले को राजनीतिक रंग देने और विहिप द्वारा मंदिर के नाम पर देश भर से जुटाए गए भारी-भरकम चंदे की स्थिति पर कई चौंकाने वाले खुलासे करते हैं. मसलन वो कहते हैं, “विहिप के इस विवाद में उतरने के बाद अशोक सिंघल ने कहना शुरू किया कि हमें मंदिर बनाने के लिए राजनीतिक सत्ता चाहिए. इसके जरिए उन्होंने राम मंदिर के मामले में राजनीति शुरू की. मंदिर के लिए जो भी लोगों ने योगदान किया है वह हिंदू समाज का है, विहिप या संघ का नहीं है.”
इसी तरह उन्होंने चंदे आदि को लेकर तल्ख जानकारियां साझा की हैं. लेकिन यह पूरा इंटरव्यू पेवॉल के पीछे है. इसके लिए आपको न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना होगा. फिर से आपसे अपील करते हैं कि न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें.
Also Read
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs
-
‘Overcrowded, underfed’: Manipur planned to shut relief camps in Dec, but many still ‘trapped’