Newslaundry Hindi
नौकरी जाने के बाद बकाया वेतन के लिए भटक रहे BTVI के पत्रकार
31 अगस्त को अनिल अंबानी के स्वामित्व वाले न्यूज़ चैनल बिजनेस टेलीविजन इंडिया (BTVI) को अचानक से बंद करने का फैसला लिया गया. जिसके बाद कंपनी में काम करने वाले लगभग दो सौ लोगों की नौकरी चली गई.
BTVI को बंद करने की घोषणा करते हुए एक सितंबर को ‘BTVI लाइव’ के आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था. इस ट्वीट में यहां काम करने वाले कर्मचारियों को धन्यवाद दिया गया है. कंपनी ने लिखा- ‘‘कठिन परिश्रम के जरिए तीन साल के अंदर एक टीवी चैनल खड़ा करने के लिए संस्थान से जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद.’’
कंपनी के मैनेजमेंट ने भलमनसाहत में कर्मचारियों को धन्यवाद जरूर कहा लेकिन असलियत कुछ और है. BTVI मैनेजमेंट के प्रति वहां काम कर चुके कर्मचारियों में नाराजगी और अंसतोष है. पहले तो कंपनी को बंद कर कर्मचारियों को बेरोजगार कर दिया गया. उसके बाद उनका बकाया वेतन भी कंपनी ने लटका रखा है. अक्टूबर महीना बीतने जा रहा है यानि लगभग दो महीने हो चुके हैं. कंपनी ने इस बाबत कोई भरोसा अपने पूर्व कर्मचारियों को नहीं दिया है. एक कर्मचारी के मुताबिक प्रबंधन को बकाया वेतन के संबंध में भेजे गए मेल का कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है. लिहाजा पिछले दो महीने से कर्मचारी अपने वेतन के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं.
कंपनी के एक कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘जब कंपनी को बंद किया गया उसके कुछ दिनों बाद ही गणेश चतुर्थी का त्यौहार था. कंपनी का केंद्र मुंबई में ही था जिस वजह से ज़्यादातर कर्मचारी मुंबई के ही रहने वाले थे. नौकरी से निकाले जाने के कारण सबका त्यौहार खराब हो गया. उसके बाद अगस्त महीने की सैलरी और दो महीने के एडवांस (जो कंपनी की शर्त के अनुसार कर्मचारियों को निकाले जाने के स्थिति में देना है) के लिए हमारा स्ट्रगल शुरू हुआ. जो पिछले दो महीने से यह बदस्तूर जारी है. कोई सुनने वाला नहीं हैं.’’
कर्मचारी आगे कहते हैं, ‘‘लगभग दो सौ लोग इस झटके से बेरोजगार हुए हैं. अगर सबको मिलने वाली राशि को जोड़ दिया जाए तो कुछ नौ से दस करोड़ रुपए के करीब होते हैं. इतनी बड़ी कंपनी और इतने बड़े मालिक के लिए नौ-दस करोड़ रुपए बड़ी बात नहीं है, लेकिन देने की मंशा शायद नहीं है. अगर देने की चाहत होती तो इस तरह भटकाते नहीं.’’
BTVI में काम करने वाले कर्मचारियों की हालात बयान करता एक पोस्ट सोशल मीडिया पर लोग लगातार शेयर कर रहे हैं. अभिजीत पाटिल नाम के कर्मचारी जो अब बेरोजगार हैं ने, जीवनयापन के लिए मुंबई में वड़ा पाव की दुकान खोलने की इच्छा जताई है. पोस्ट में अभिजीत पाटिल के हवाले से लिखा गया कि वे मुंबई के एक इलाके में वड़ा पाव का स्टाल खोलना चाहते हैं. BTVI ने उन्हें अचानक से बेरोजगार कर दिया और अब तक बकाये का भुगतान भी नहीं किया गया और न ही नौकरी से निकाले जाने की स्थिति में दिए जाने वाले पैसे ही मिले हैं. वे बेरोजगार हैं और अगर काम नहीं मिला तो उनका जीना मुश्किल होगा.
BTVI की एक महिला कर्मचारी न्यूज़लॉन्ड्री को बताती हैं, ‘‘कंपनी बंद होने की स्थिति में कर्मचारी और मैनेजमेंट के बीच कुछ राशि तय हुई जो कर्मचारियों को संस्थान द्वारा दिया जाना था. इसके अलावा हमारी अगस्त महीने की सैलरी भी बकाया है. शुरू में हमने मैनेजमेंट से संपर्क किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. अब तो पूछने का मन भी नहीं करता है. कोई बात करने को लेकर राजी नहीं है. संपादक को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.’’
BTVI के संपादक रहे सिद्धार्थ ज़राबी से न्यूज़लॉन्ड्री ने कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जल्द ही जवाब देने की बात कह कर दोबारा फोन नहीं उठाया, न ही व्हाट्सएप पर भेजे गए सवालों का कोई जवाब दिया. हमने BTVI के सीईओ अमिताभ झुनझुनवाला से भी फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. इनकी प्रतिक्रिया आने पर उसे स्टोरी में शामिल किया जाएगा.
लम्बे समय से वित्तीय संकट में था BTVI
बंद होने की घोषणा करते हुए संस्थान द्वारा किए गए ट्वीट में लिखा गया कि कर्मचारियों की मेहनत के जरिए ही तीन साल के अंदर उन बड़े संस्थानों को चुनौती देने लगा था जो सालों से इस पेशे में थे.
संस्थान भले ही बेहतर चल रहा हो, लेकिन लम्बे समय से आर्थिक तंगी की वजह से परेशानियों से गुजर रहा थे. बंद होने के बाद नेशनल हेराल्ड से बातचीत में एक कर्मचारी ने कहा, ‘‘BTVI लम्बे समय से वित्तीय संकट से जूझ रहा था. कुछ महीने पहले किराया न देने के कारण जिस बिल्डिंग में चैनल चल रहा था उसके मालिक ने एक फ्लोर वापस ले लिया था. कई दौर की बातचीत के बाद चैनल का संचालन दोबारा उसी बिल्डिंग में शुरू किया गया.’’
चैनल से जुड़ी रही एक महिला पत्रकार बताती हैं, ‘‘चैनल बंद होगा इसका अंदाजा इसी साल की शुरुआत में चल गया था. लेकिन जिस तरह से बंद हुआ उसका अंदाजा किसी को नहीं था. अब तो हमें बस इतजार है कि हमारे पैसे मिल जाए. देखना कि संस्थान कब तक पैसे देता है. हम इंतजार ही कर सकते हैं.’’
Also Read
-
TV Newsance 323 | Distraction Files: India is choking. But TV news is distracting
-
‘Talks without him not acceptable to Ladakh’: Sonam Wangchuk’s wife on reality of normalcy in Ladakh
-
Public money skewing the news ecosystem? Delhi’s English dailies bag lion’s share of govt print ads
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under