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पुष्पेंद्र हत्या : उत्तर प्रदेश में पुलिसिया अत्याचार का एक और अध्याय !
झांसी से करीब 70 किलोमीटर दूर बामौर ब्लॉक में स्थित करगुवां खुर्द गांव में दस दिन बाद अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है. गांव में भारी संख्या में पुलिस बल अभी भी तैनात है. यह गांव इस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है. गांव के नौजवान पुष्पेंद्र का पुलिस ने 5 अक्टूबर की रात को एनकाउंटर कर दिया था. पुलिस का दावा है कि मुठभेड़ स्वाभाविक थी लेकिन, गांव वाले इसे पुलिस द्वारा की गई हत्या मान रहे हैं.
पुष्पेंद्र के पड़ोसी और बचपन के सहपाठी नीरज कहते हैं “आप खुद देख लीजिए. पुलिस ने लाश तक नहीं दिया. खुद ही जला दिया. जो लोग दाह संस्कार में शामिल होने गए, उन्हें भगा दिया. श्मशाम घाट के बाहर ताला लगा दिया.” नीरज के दावे पर दो अन्य साथी गौरव और मनोज यादव सहमति में सिर हिलाते हैं.
इधर, 12 अक्टूबर को पुष्पेंद्र की दादी का देहांत हो गया. परिजनों का आरोप है कि पुष्पेंद्र की मौत के बाद से उसकी दादी काफी सदमे में थीं. एक हफ्ते में दो मौतों से परिवार में मातम छा गया है.
पुष्पेंद्र यादव के घर बाहर पसरा सन्नाटा
उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक व शांत सा शहर झांसी इस घटना को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है. एनकाउंटर से यूपी पुलिस की कार्यशैली पर तो सवाल उठने ही लगे हैं, साथ ही प्रदेश की राजनीतिक में भी उबाल आ गया है. सोशल मीडिया पर पुलिस, प्रशासनिक व्यवस्था, योगी राज और समाजवादी पार्टी के नेताओं का वीडियो वायरल हो रहा है. एनकाउंटर को लेकर मृतक के परिजन और पुलिस प्रशासन आमने-सामने है. परिजनों का आरोप है कि यह फर्जी एनकाउंटर है, जबकि पुलिस का कहना है कि मृतक अपराधी प्रवृति का व्यक्ति था.
मृतक पुष्पेंद्र के परिजनों के साथ समाजवादी पार्टी व उसके मुखिया अलिखेश यादव खड़े हैं, जबकि पुलिस के साथ प्रशासनिक महकमा मुस्तैद है. जिले के एसएसपी के साथ एक वीडियो में झांसी के डीएम शिव सहाय अवस्थी को देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने पुष्पेंद्र के भाई को धमकाते हुए कहा कि अगर एक पत्र लिख देंगे तो नौकरी चली जाएगी. यह वीडियो खूब वायरल हुआ.
मृतक पुष्पेंद्र यादव
एनकाउंटर के बाद, झांसी पुलिस द्वारा जारी बयान के अनुसार मोंठ थाना क्षेत्र में 5 अक्टूबर की रात करीब 9 बजे मोंठ इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चैहान अपने प्राइवेट कार से सादे कपड़े में गश्त लगा रहे थे. बदमाशों ने बमरौली बाइपास तिराहे के पास इंस्पेक्टर पर फायरिंग कर दी और उनकी कार लूटकर फरार हो गए. हमले में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र घायल हो गए. उन्हें चेहरे पर फायर बर्न था इसलिए इलाज के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया गया.
उसी दिन यानी 5 और 6 अक्टूबर की दरम्यानी रात करीब 2.30 बजे फरीदा गांव के पास सड़क पर पुलिस बल को एक कार आती दिखी. एरच थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने कार को रोकने की कोशिश की, तो कार सवारों ने गोली चला दी. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें पुष्पेंद्र को सिर में गोली लग गई और उसकी मौत हो गई. वहीं, उसके दो साथी फरार हो गए.
इधर, इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चैहान की तहरीर पर मोंठ थाने में पुष्पेंद्र, उसके भाई रविंद्र और विपिन के खिलाफ कार लूटने और जान से मारने की कोशिश का एफआईआर दर्ज किया गया. पुलिस ने एफआईआर में जिस तीसरे व्यक्ति का नाम दर्ज किया है. उसका पता आदि अज्ञात है.
इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह
दूसरी तरफ गुरसरांय थाना निरीक्षक सभाजीत मिश्रा की तहरीर पर पुष्पेंद्र व दो अन्य के खिलाफ पुसिल बल पर हमला करने और अवैध असलहा रखने का केस दर्ज हुआ. 6 अक्टूबर को घायल इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चैहान का कानपुर तबादला कर दिया गया.
पुलिस रिकार्ड के अनुसार पुष्पेंद्र झांसी जिले के एरच थाने के करगुआं खुर्द गांव का रहने वाला था. पुष्पेंद्र के परिजनों के अनुसार पुष्पेंद्र के पिता हरिश्चंद्र यादव सीआईएसएफ में कार्यरत रहे हैं. लेकिन, बाद में उनकी आंखों की रोशनी चली गई, जिस कारण से बड़े भाई रवींद्र को सीआईएसएफ में अनुकंपा नौकरी मिल गई. वर्तमान में वह दिल्ली मेट्रो में तैनात है. मृतक के नाम दो ट्रक थे, जिनसे वह बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था.
पुलिस एफआईआर में एनकाउंटर में पुष्पेंद्र के भाई रविंद्र को भी सहयोगी के तौर पर नामजद किया गया है. उसके खिलाफ भी आर्म्स एक्ट और हत्या की कोशिश का केस दर्ज हुआ है.
अपने भाई की मौत की खबर सुनकर रविंद्र झांसी आए हुए हैं. वो कहते हैं, “मेरे पास सबूत है कि मैं नौकरी पर था. एनकाउंटर के दिन मैं पांच अक्टूबर को डीएमआरसी कर्मचारी के तौर पर मैंने जेएनएल स्टेडियम मेट्रो स्टेशन पर सुबह 10 से रात 7 बजे की शिफ्ट पूरी की. वायलेट लाइन के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लीव सर्टिफिकेट जारी किया गया है, जिसमें भाई की मौत के कारण 6 से 31 अक्टूबर तक छुट्टी पर हूं. मैंने पांच की रात तक ड्यूटी की है. भाई की मौत की सूचना के बाद मैं छह से छुट्टी पर आया हूं. मेरे भाई के मोबाइल में एसएचओ धर्मेंद्र के रिश्वत मांगने के सबूत थे. इसीलिए, एसएचओ ने उनकी हत्या कर दी.”
पुष्पेंद्र के एनकाउंटर के बाद परिजन व गांववाले आक्रोशित हो गए. वे पुष्पेंद्र की हत्या के लिए दोषी इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए और शव लेने से इनकार कर दिया. पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार किया.
इधर, पुष्पेंद्र के परिजनों के समर्थन में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव समेत कई स्थानीय नेता भी मैदान में कूद गए. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव झांसी आकर पुष्पेंद्र के परिजनों से मुलाकात किया और प्रेस कांफ्रेस करके राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता प्रकट की.
पुष्पेंद्र की मात्र तीन माह पहले ही शादी हुई थी. उनकी पत्नी शिवांगी यादव का कहना है कि मेरे पति ट्रक से रेत आपूर्ति का काम करते थे. एचएसओ ने उनके ट्रक को पकड़ लिया और एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की. उन्होंने रिश्वत दे दी, बावजूद इसके ट्रक सीज कर दिया. पुलिस कई दिनों से मेरे पति को बुला रही थी. पांच को भी वह पचास हजार रुपये लेकर गए थे. जब रुपये लेने के बाद भी पुलिस ने ट्रक नहीं छोड़ा तो उन्होंने कह दिया कि मेरे पास रिश्वत देने का वीडियो है. इसे वायरल कर दूंगा. बस इसी बात पर एसएचओ ने मेरे पति को मार दिया.
पुलिस और राज्य सरकार द्वारा जारी बयानों में पुष्पेंद्र को खनन माफिया के रूप में दिखाया गया हैं. बवाल बढ़ता देख पुलिस ने पुष्पेंद्र पर पूर्व में दर्ज पांच मुकदमों को भी सार्वजनिक किया. पुष्पेंद्र के भाई रविंद्र का कहना है कि पांचों मुकदमें बहुत मामूली किस्म के हैं. पुष्पेंद्र के नाम खनन का कोई पट्टा नहीं था, ऐसे में वह खनन माफिया कैसे हो गया?
मामला बढ़ता देख झांसी के जिलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी ने एनकाउंटर की मजिस्टीरियल जांच के आदेश दिए हैं.
प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश का कहना है कि हमने गांववालों को समझाया है, जांच चल रही है. इस मामले की जांच में अगर पुलिसवाले दोषी पाए जाएंगे, तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा. वहीं, झांसी जिले के एसएसपी ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि जिलाधिकारी के निर्देश पर एनकाउंटर की जांच चल रही हैं. जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री और पार्टी के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है पुष्पेंद्र खनन माफिया था और अब समाजवादी पार्टी खनन माफिया के साथ खड़ी दिख रही है.
वहीं, बहुजन समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक ब्रजेन्द्र कुमार व्यास उर्फ डमडम महाराज ने भी पुष्पेंद्र के परिजनों से मुलाकात की. ब्रजेंद्र कुमार का कहना है कि मेरी बस इतनी मांग है कि पुष्पेंद्र के परिजनों के साथ न्याय होना चाहिए. इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
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