Newslaundry Hindi
मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस : न्याय का उड़ता मखौल
मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम (सेवा संकल्प एवं विकास समिति) का मामला अब संवैधानिक संस्थाओं का माखौल उड़ाने के उदाहरण के तौर पर याद किया जाएगा.
पिछले साल अप्रैल में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) ने बिहार के बालगृहों का सोशल ऑडिट किया था. टिस की ‘कोशिश’ यूनिट ने अपने रिपोर्ट में 38 जिलों के 110 बालगृहों की ऑडिट रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी थी. रिपोर्ट में बालिका गृह की लड़कियों के हवाले से लिखा गया कि उनका यौन शोषण किया गया है. जून में पटना पीएमसीएच ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की 42 में से 29 लड़कियों के साथ बलात्कार की पुष्टि की थी. इन लड़कियों को पटना, मधुबनी और मोकामा के अलग-अलग बालिका गृहों में रखा गया था.
मामला सामने आने के बाद यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई ने अपनी जांच में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए थे. इन 21 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई फिलहाल दिल्ली के साकेत कोर्ट में चल रही है. इसी साल जून में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की तहकीकात 3 महीने के अंदर पूरे करने के आदेश दिए थे. अभी 12 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने टिस (कोशिश) की अनुशंसा पर आदेश जारी किया था कि शेल्टर होम की 44 में से 8 लड़कियों को उनके परिवार के हवाले किया जा सकता है. जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि उन्हें ज़रूरी वित्तीय, शैक्षिक और मेडिकल सुविधा भी मुहैया करवाई जाए. कोर्ट ने बिहार सरकार को इन लड़कियों को सरकारी योजनाओं और मिलने वाले मुआवज़े की प्रक्रिया शुरू करने का भी आदेश दिया था. लेकिन लगता है कि बिहार सरकार ने अब तक मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम मामले से कोई सबक नहीं लिया.
13 सितंबर 2019 की रात एक बार फिर बिहार के पूर्वी चंपारण इलाके के बेतिया-पंखनाहा रोड पर एक चलती कार में एक लड़की के साथ कथित तौर पर गैंग रेप हुआ. ये लड़की मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम हादसे की भुक्तभोगी रह चुकी है. 44 में से 1 लड़की को भी बिहार सरकार सुरक्षा देने में नाकाम रही. मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम मामले को सामने आने के बाद इस लड़की को मोकामा के एक शेल्टर होम में रखा गया था.
यह हादसा तब हुआ है जब लड़की अपने किसी रिश्तेदार के घर जा रही थी. रास्ते में आरोपियों ने उसे जबरन अपनी कार में खींचा और रेप के बाद उसे उसके घर के सामने लाकर छोड़ दिया. डर के कारण लड़की उस समय पुलिस के सामने जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. बाद में शनिवार को उसने बेतिया थाने जाकर एफआईआर दर्ज करवाई.
सोशल मीडिया पर एक विडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें लड़की अपनी आपबीती सुनाती नज़र आ रही है. लड़की बताती है, “हम घर जा रहे थे, अपनी भाभी के. हमको मालूम नहीं था पीछे से स्कॉर्पियो आ रहा है. वो आए और हमको स्कॉर्पियो में बैठा लिया. चारों आदमियों ने अपना मुंह बांध रखा था. आगे जाकर सब ने अपना मुंह खोल दिया. हम उनमें से 2 को पहचान लिए. जब हम पूछे कि ये सब यहां क्या कर रहा है तो बोला तुमको कुछ दिक्कत नहीं होगा. फिर कुछ दूर आगे जाकर गलत काम किया. फिर हमको बोला अगर थाना में जाएगी तो तुम्हारा जान मार देंगे, घर वाला को उठवा लेंगे.”
चूंकि मामला मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम से जुड़ा है, कहीं बड़ा बवाल न खड़ा हो जाए, पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कार्रवाई की. बेतिया कोतवाली पुलिस के एसएचओ शशि भूषण ठाकुर के मुताबिक, साजन, कुंदन और आकाश नाम के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
एसएचओ शशि भूषण ठाकुर ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि चौथे आरोपी दीनानाथ को भी जल्द पकड़ लिया जाएगा. “हमने (पुलिस) एसआईटी का गठन किया है. मामले की तहकीकात की जा रही है. मीडिया से गुजारिश है कि वे हमारा सहयोग करें. जो भी बातें जांच में सामने आएंगी, हम मीडिया को इसकी सूचना देंगे,” एसएचओ शशि भूषण ठाकुर ने कहा.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीड़ित लड़की ने 4 में से 2 आरोपियों के पहचान की पुष्टि की है.
सोमवार, 16 सितंबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है. आयोग की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा है, “आयोग ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग इस मामले की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन करेगा.” इसके साथ ही आयोग ने बिहार डीजीपी से आग्रह किया है कि वे मामले की प्राथमिकता से जांच करें और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करें. आयोग ने एफआईआर से संबंधित प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट भी 4 हफ्ते के अंदर जमा करने का आदेश दिया है.
सामाजिक कार्यकर्ता और सुप्रीम कोर्ट में मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम मामले की याचिकाकर्ता निवेदिता झा कहती हैं, “बालिका गृह की लड़कियों को भले ही कोर्ट ने परिवार के साथ रहने का आदेश दे दिया है, लेकिन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन लड़कियों की काउंसलिंग की जरूरत है कि आखिर वे अपने परिवार के साथ रहने की स्थिति में हैं या नहीं. उनके परिवारों की स्थिति क्या है, इसका भी ख्याल रखे जाने की आवश्यकता है.”
निवेदिता झा के मुताबिक अगर सरकार और प्रशासन इन लड़कियों के सुरक्षित देने का भरोसा कायम नहीं कर सकती, ऐसे में बहुत संभव है कि आरोपित केस को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे.
टिस की रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर के अलावे 14 अन्य बालगृहों में भारी अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था. हालांकि अबतक इन बालगृहों की जांच कहां तक पहुंची है, इसकी कोई सूचना नहीं है. सामाजिक कार्यकर्ता निवेदिता झा ने टिस की रिपोर्ट में उल्लेखित बाकी बालगृहों की जांच हेतु भी याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सीबीआई को इसकी जांच सौंपी है. सीबीआई ने अबतक इसे लेकर कोई स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दायर नहीं की है.
मुजफ्फरपुर मामले को लेकर जिस तरह से सरकार और जांच एजेंसियों का रूख रहा है, वह न्याय की अवधारणा पर गंभीर सवालिया निशान खड़े करता है. इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई चीफ नागेश्वर राव को सज़ा के तौर पर एक दिन कोर्ट रूम में ही रहने और एक लाख का जुर्माना लगाया था. नागेश्वर राव ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का तबादला कर दिया था. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस मामले में अधिकारियों का तबादला बिना कोर्ट की संस्तुति के नहीं किया जा सकता था.
नीतीश कुमार के कार्यकाल में बढ़ते अपराध की धमक को लेकर विपक्षी दलों में भी इच्छाशक्ति डावांडोल है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है, “सुशासनी अहंकार का चीरहरण कर मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार कांड में पीड़ित युवती का चलती गाड़ी में गुंडों ने फिर किया गैंगरेप. इतना वीभत्स कांड होने के बाद भी सरकार सोती रही और फिर पीड़िता का रेप हो गया. बिहार में अपराधी, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी तांडव कर रहे है. CM जवाब दें.”
Also Read
-
Kutch: Struggle for water in ‘har ghar jal’ Gujarat, salt workers fight for livelihoods
-
Hafta 483: Prajwal Revanna controversy, Modi’s speeches, Bihar politics
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
TV Newsance 251: TV media’s silence on Revanna ‘sex abuse’ case, Modi’s News18 interview
-
Amid Lingayat ire, BJP invokes Neha murder case, ‘love jihad’ in Karnataka’s Dharwad