Newslaundry Hindi
न्यूज़ 18 में जारी है छंटनी का दौर
‘‘मैं चार साल से न्यूज़ 18 में रिपोर्टर था. मेरे काम की तारीफ होती थी. हाल ही में बढ़िया अप्रेजल भी हुआ था. एक दिन अचानक एचआर विभाग से किसी का फोन आया और कहा गया कि आप इस्तीफा दे दीजिए. कारण कॉस्ट कटिंग बताया गया. मैं हैरान रह गया क्योंकि कुछ दिन पहले ही मेरा अप्रेजल हुआ था. अब मैं काम पर नहीं जा रहा,’’ यह कहना है उत्तराखंड के पत्रकार अजय सिन्हा (बदला नाम) का.
अजय सिन्हा बताते हैं, ‘‘संस्थान लगभग 300 कर्मचारियों को निकालने की तैयारी में है. इसमें से कुछ लोगों को निकाला भी जा चुका है. उत्तराखंड में ही संस्थान ने अब तक चार लोगों को निकाल दिया है और जल्द ही और लोगों को निकाले जाने की तैयारी है.’’
न्यूज़ 18 के नोएडा ऑफिस में काम करने वाले एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यहां भी कई लोगों को निकाले जाने की तैयारी चल रही है. कर्मचारी बताते हैं, ‘‘हाल ही अप्रेजल हुआ है. एक तो बीते सालों की तुलना में इसबार अप्रेजल बेहद कम हुआ है. सबसे ज्यादा अप्रेजल 12 से 13 प्रतिशत हुआ है. वहीं जिन लोगों का अप्रेजल नहीं हुआ उनका जाना तय है. धीरे-धीरे उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है.’’
कर्मचारी जो संस्थान में एक टीम का नेतृत्व करते हैं, न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘कुछ दिन पहले न्यूज़ 18 हिंदी डिजिटल के संपादक दयाशंकर मिश्रा ने कहा था कि हर टीम से पांच से दस प्रतिशत लोगों को निकालना है. इसीलिए आप अपनी टीम से उन लोगों का नाम दीजिए जो काम में बाकियों की तुलना में कमजोर है. सिर्फ टीम लीडर से ही नहीं बल्कि डिजिटल टीम के पास आकर भी दयाशंकर मिश्रा ने कहा था कि काम पर ध्यान दीजिए छंटनी होनी है.’’
नोटबंदी और ट्राई के नए नियम के कारण परेशानी
पिछले दिनों भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दर्शकों को अपने पसंद का चैनल चुनने और सिर्फ उसी के लिए पैसे देने की सुविधा प्रदान की है. जिसके बाद दर्शक सिर्फ अपने पसंदीदा चैनलों को ही देखने के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं. इसका असर काफी टीवी चैनलों पर भी दिख रहा है.
न्यूज़ 18 द्वारा निकाले गए उत्तराखंड अजय सिन्हा बताते हैं, ‘‘लगभग दो महीने पहले मुंबई में बैठे सीएओ ने देश भर के ब्यूरो चीफ से बात की थी, उस बातचीत में उन्होंने कहा था कि नोटबंदी और ट्राई के नए नियम की वजह से हम परेशानी से गुजर है जिस कारण ‘डेड वुड्स’ (बेकाम के) लोगों को निकाला जाएगा. यानी उन लोगों को निकाला जाएगा जो काम में कमजोर है. लेकिन मेरा काम तो बेहतर था. संस्थान ने इससे पहले कई दफा मेरे काम की तारीफ की और मुझे सम्मानित भी किया तो मैं समझ नहीं पा रहा कि आखिर मुझे निकाला क्यों गया. कल तक जिसकी संस्थान में तारीफ हो रही थी वहीं आज ‘डेड वुड्स’ बन गया. प्रबंधन के फैसले से हैरान और परेशान हूं.’’
कंपनी के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं, ‘‘मुकेश अंबानी की कंपनी है. अगर मुकेश अंबानी के पास पैसे की कमी हो गई तो हमें मान लेना चाहिए कि देश का मीडिया गर्त में जा चुका है. इन्हें कर्मचारियों को निकालना है उसके लिए तरह तरह के बहाने बना रहे हैं. अब तो मंदी भी इनको एक कारण मिल गया है. कर्मचारियों की सुरक्षा का कोई इन्हें ख्याल ही नहीं है.’’
ऐसा बताया जा रहा है कि न्यूज़ 18 के कई सीनियर कर्मचारी जिन पर निकाले जाने की तलवार लटकी हुई है हाल ही में सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलने भी गए थे हालांकि प्रकाश जावेडकर से मिलने का कोई फायदा हुआ हो, ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है.
न्यूज़ 18 के एक अन्य कर्मचारी बताते हैं, ‘‘दरअसल न्यूज़ 18 टेलीविजन नुकसान में चल रहा है. प्रबंधन डिजिटल की तरफ आकर्षित हो रहा है. जब से ग्राहकों को न्यूज़ चैनल चुनने का हक मिला है तब से संस्थान के दर्शकों में काफी गिरावट आई है. हालांकि न्यूज़ 18 का डिजिटल भी बहुत बेहतर परफॉर्म नहीं कर रहा है अब तक इन्हें लग रहा है कि डिजिटल में अगर हम इन्वेस्ट करेंगे तो फायदा हो सकता हो. तो ज्यादातर टेलीविजन के लोगों को निकाला जा रहा है.’’
संस्थान से एक राज्य के ब्यूरो चीफ के रूप से जुड़े प्रभात (बदला नाम) बताते हैं, ‘‘ईटीवी जब से न्यूज़ 18 में मर्ज हुआ है तब से यहां कर्मचारियों की संख्या बढ़ गई है. जहां ज्यादा कर्मचारी है वहां से लोगों को दूसरी जगहों पर ट्रांसफर किया जा रहा है. जो लोग ट्रांसफर स्वीकार कर रहे हैं उन्हें वहां भेज दिया जा रहा है. जो लोग शहर से बाहर नहीं जाना चाहते हैं उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है. मैं जहां का ब्यूरो चीफ हूं वहां पर ज़रूरत चार लोगों की थी लेकिन रखे ज्यादा लोग गए थे. ईटीवी का कम करने का तरीका अलग था इनका अलग है. जिस कारण लोगों को निकालना पड़ रहा है.’’
बिहार में न्यूज़ 18 से जुड़े एक कर्मचारी बताते हैं, ‘‘अभी बड़े स्तर पर तो यहां छटनी जैसा कुछ नहीं दिख रहा है. अप्रेजल भी सबका ठीक ठाक हुआ है लेकिन दो-तीन लोगों को निकाला ज़रूर गया है. ऐसा हर साल ही होता है. जो बेहतर काम नहीं करता उसे निकाला ही जाता है. बाकी आगे कई तरह की अफवाहें सुनने में आ रही हैं. डर तो लोगों में है लेकिन देखना होगा की क्या होता है.’’
नोएडा स्थित न्यूज़ 18 के डिजिटल विंग में काम करने वाले एक कर्मचारी बताते हैं कि हिंदी में लोगों को निकाले जाने की एक वजह संपादक का बदलाव भी है. कुछ दिन पहले ही दयाशंकर मिश्रा बतौर संपादक न्यूज़ 18 डिजिटल में आए हैं. इसके बाद से कुछ हेरफेर हो रही है.
इस संबंध में जानकारी के लिए हमने न्यूज़ 18 के एचआर विभाग की वर्षा सिन्हा से बात की. उनसे जब हमने न्यूज़ 18 में चल रही छंटनी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि यह सब गोपनीय मामला है. हम आपको कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं.
वहीं इस पूरे मामले पर न्यूज़ 18 हिंदी डिजिटल के संपादक दयाशंकर मिश्रा से भी हमने बात करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. उनका जवाब आने पर हम उसे इस स्टोरी में शामिल करेंगे.
स्टोरी के दौरान हमारी जिन कर्मचारियों से बात हुई उसमें से लगभग सबने अपना नाम छुपाने की गुजारिश की क्योंकि उन्हें डर है कि आगे उन्हें नौकरी मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं नोएडा ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि अगर संस्थान को किसी भी तरह पता चल गया कि सूचना हमारे जरिए बाहर गई तो बिना नोटिस के बाहर निकाल दिया जाएगा.
Also Read
-
‘Pralhad Joshi using Neha’s murder for poll gain’: Lingayat seer Dingaleshwar Swami
-
Corruption woes and CPIM-Congress alliance: The TMC’s hard road in Murshidabad
-
Is the Nitish factor dying down in BJP’s battle for Bihar?
-
Presenting NewsAble: The Newslaundry website and app are now accessible
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist