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हेलीकॉप्टर से फूलवर्षा, एक लाख की भीड़, 40 लाख का खर्च और शेर सिंह राणा
तारीख- 21 जुलाई, स्थान- करनाल शहर का हुड्डा ग्राउंड. हज़ारों की संख्या में लोग चिलचिलाती धूप के नीचे हेलीकॉप्टर से बरसाए जा रहे गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों का सुख ले रहे हैं. ये लोग अपने नए-नवेले नेता का इंतज़ार सुबह से ही कर रहे थे. दिन में लगभग एक बजे उनका नेता आसमान के रास्ते फूल बरसाता हुआ परिदृश्य में प्रकट होता है. कुछ महीने पहले ही इस शख्स ने अपनी पार्टी का गठन किया है, जिसका नाम है राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी, और इस नेता का नाम है शेर सिंह राणा. शायद यह नाम सुनकर आपके जेहन में कुछ छवियां उभरी होंगी.
शेर सिंह राणा वही नेता हैं, जिन्हें समाजवादी पार्टी की सांसद फूलन देवी की हत्या के मामले पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा दोषी करार दिया गया था और उन्हें उम्रकैद की सज़ा हुई थी. एक वर्तमान सांसद की हत्या के दोषी राणा फिलहाल खुलेआम घूम रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं, और साथ ही सत्ताधारी भाजपा को चुनौती भी दे रहे हैं.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में शेर सिंह राणा की उम्र क़ैद की सज़ा को निलंबित करके दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी. राणा इस मामले में 12 साल, 11 महीने व 15 दिन के बाद रिहा हुए थे.
एक सांसद की हत्या के मामले में दोषी सिद्ध हो चुका व्यक्ति राजनीति में हिस्सा ले सकता है? इस पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण बताते हैं, ”अगर हाईकोर्ट ने लोवर कोर्ट द्वारा दिए गए जजमेंट पर स्टे लगा दिया हो तब वह शख्स चुनाव लड़ सकता है या राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो सकता है, लेकिन अगर जजमेंट स्टे नहीं हुआ हो तो वह हिस्सा नहीं ले सकता है.”
शेर सिंह राणा के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने जजमेंट पर कोई स्टे नहीं लगाया है. इसका मतलब ये है कि राणा खुद चुनाव नहीं लड़ सकते है. राणा बताते हैं कि मेरे मामले में पटियाला कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को हाईकोर्ट ने तब तक के लिए स्थगित किया है जब तक कि दोबारा कोई फैसला नहीं आता.
राणा कहते हैं, “मुझे चुनाव लड़ना ही नहीं है. मुझे अपने समाज का झंडा खड़ा करना है और समाज के लोगों को जिताना है. अगर मुझे या मेरे परिवार के किसी शख्स को चुनाव लड़ना होता तो हमें बीजेपी से कई बार ऑफर मिला. बीजेपी के एक नेता ने दो दिन पहले नागपुर से फोन किया कि हम आपके लिए राज्यसभा सोच रहे हैं. मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए. मुझे अपने समाज के लिए करना है.”
राणा ने जो राजनीतिक पार्टी बनाई है उसकी अध्यक्ष उनकी मां स्वयं हैं, राणा इसके संयोजक हैं. तो इन शेर सिंह राणा की करनाल के हुड्डा ग्राउंड में लम्बे इंतज़ार के बाद हेलीकॉप्टर से ग्रैंड एंट्री ने हलचल पैदा कर दी. राणा हेलीकॉप्टर से ग्राउंड का चक्कर लगाते हुए, अपने समर्थकों पर फूलों की बारिश करते रहे. समर्थक जोश में नारेबाजी करते हैं. करनाल की अपनी सभा में शेर सिंह राणा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा की.
चुनाव की तैयारी को लेकर शेर सिंह राणा की पार्टी राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी ने 2 जून को गुरुग्राम से राष्ट्रवादी जनलोक परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की थी. इसी यात्रा के समापन के मौके पर राणा 21 जुलाई को करनाल के हुड्डा ग्राउंड पर हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे.
करनाल में हुई इतने बड़े पैमाने की रैली को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने राणा से पूछा तो उन्होंने कहा, “रैली को भव्य बनाने की हर संभव कोशिश पार्टी के द्वारा की गई थी. हमारा आकलन है कि इस पर 35 से 40 लाख रुपए खर्च हुए हैं. समाज के लोग ही सारा पैसा देते हैं. यहां एक लाख से ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए थे. यही लोग मेरे लिए हेलीकॉप्टर से लेकर हवाई जहाज का इंतज़ाम करते हैं.”
फूलन देवी की हत्या
इस सवाल के जवाब में राणा छूटते ही कहते हैं, “मैंने फूलन देवी की हत्या नहीं की.” गौरतलब है कि फूलन देवी की हत्या 25 जुलाई, 2001 को दिल्ली के अशोक रोड पर स्थित उनके सरकारी आवास के पास कर दी गई थी. वे उस समय समाजवादी पार्टी की सांसद थी. इस मामले में शेर सिंह राणा गिरफ़्तार हुए और लगभग 13 साल जेल में रहे. दिल्ली की पटियाला कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जा चुके शेर सिंह राणा को साल 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है.
शेर सिंह राणा बताते हैं, ”इस मामले में कुल 12 आरोपी थे जिसमें से एक की मौत जेल में ही हो गई थी. इसमें से मुझे छोड़ कर 10 लोग पटियाला हाउस कोर्ट से बरी हो गए. मुझे उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई. अभी मैं हाईकोर्ट से रेगुलर जमानत पर हूं और मेरी अपील पेंडिग है. मुझे उम्रकैद की सज़ा हुई थी. इसमें 14 साल की जेल होती है. लगभग इतनी सज़ा तो मैं काट चुका हूं.”
एक तरफ राणा फूलन देवी की हत्या से इनकार करते हैं तो दूसरी तरफ उनके समर्थक ‘फूलन देवी की हत्या’ पर गर्व करते हैं और कहते हैं कि फूलन ने निर्दोष राजपूतों की हत्या की थी जिसका बदला शेर सिंह राणा ने लिया. लेकिन शेर सिंह राणा कहते हैं, ”मेरे सामने किसी ने भी ऐसा नहीं बोला. अगर कोई ऐसा बोलता तो मैं उसे रोक लेता. मेरा तो सीधा-सीधा ये कहना है कि मैंने फूलन देवी की हत्या नहीं की और मैं आने वाले समय में कोर्ट से बाइज्ज़त बरी होऊंगा. फूलन देवी की बड़ी बहन जो मामले की आई विटनेस थी, ने कई दफा कहा कि शेर सिंह राणा ने कुछ नहीं किया है.”
शेर सिंह राणा फूलन देवी के उस दावे पर सवाल खड़ा करते हैं कि उसने बलात्कार का बदला लेने के लिए राजपूतों की हत्या की थी. राणा कहते हैं, “दुनिया को बताया जाता है कि फूलन देवी ने 22 लोगों की हत्या की, जिन्होंने उनके साथ ग़लत किया था. मैं चैलेन्ज करता हूं कि कोई भी ये साबित कर दे कि उन 22 लोगों में से किसी एक ने भी फूलन के साथ गलत किया था. जिनकी हत्या हुई अगर वो डाकू थे तो उनका क्रिमनल रिकॉर्ड तो रहा होगा न? इस मामले में मारे गए लोगों में किसी भी व्यक्ति का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था. वे सामान्य ग्रामीण थे. जिनकी हत्या हुई उनमें से 17 राजपूत थे. उसमें से एक छोटी बच्ची थी. अगर फूलन ने गलत करने वालों को सज़ा दी होती तो उनका पहला समर्थक मैं ही होता.”
हरियाणा से ही राजनीति की शुरुआत क्यों?
शेर सिंह राणा घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी. उत्तराखंड के रुड़की के रहने वाले शेर सिंह राणा हरियाणा से राजनीतिक करियर की शुरुआत क्यों करने जा रहे हैं, इसको लेकर शेर सिंह राणा कहते हैं, ”हरियाणा में लगभग 12 से 13 प्रतिशत आबादी राजपूत समुदाय की है, लेकिन रोज़गार में उनकी संख्या बेहद कम है. शायद आधा प्रतिशत है. जब से हरियाणा का निर्माण हुआ तब से एक भी राजपूत समुदाय का शख्स सांसद नहीं बना है. वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में राजपूत समुदाय का सिर्फ एक विधायक है. जब राजनीतिक रूप से राजपूत समुदाय इतना पिछड़ा हुआ है तो आखिर कैसे हमारे हित की बात होगी. इसीलिए हमने निर्णय लिया कि पहला चुनाव हरियाणा में ही लड़ेंगे. वैसे हम सिर्फ हरियाणा तक सिमटकर कर नहीं रहना चाहते है.”
राणा की कुछ प्रमुख चुनावी मांगें इस प्रकार हैं-
- हरियाणा में विधानसभा क्षेत्रों का दोबारा परिसीमन.
- गोवंशों के लिए अलॉट हुए चारागाहों पर से अवैध कब्जे हटवाए जाएं.
- 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुर्व्यहार करने वालों को सरेआम फांसी की सज़ा दी जाये.
- किसान आयोग का गठन हो, जिसमें अधिकारी किसान हो. किसान ही तय करें फसल की कीमत.
- हर क्षत्रिय परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाये.
शेर सिंह राणा हरियाणा में राजपूतों के चुनाव नहीं जीतने के पीछे साजिश बताते हैं. उनकी यात्रा में पहली मांग ‘विधानसभा’ क्षेत्रों का दोबारा परिसीमन’ की थी. राणा बताते हैं, “हमने पूरे हरियाणा का चप्पा-चप्पा छान मारा है. हर हलके और विधानसभा में हम गए हैं. बंशीलाल और ओमप्रकाश चौटाला ने समय-समय पर परिसीमन में गड़बड़ी की है. हरियाणा में 20 से 25 सीट है जहां 50 हज़ार से ज्यादा राजपूत समुदाय के वोटर हैं. वो जिधर वोट करेंगे उसकी जीत होगी. तो इन्होंने इस तरह से परिसीमन किया कि 20 हज़ार दूसरे विधानसभा में चले गए और बाकी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में. जिससे राजपूतों का वोट बिखर गया. जहां ये लोग ऐसा नहीं कर पाए, उस सीट को इन्होंने आरक्षित कर दिया. इस समय सत्रह विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हैं, जिसमें से 7 विधानसभा में राजपूत किसी उम्मीदवार को जिताने की भूमिका में हैं.”
करनाल की रैली में शेर सिंह राणा बताते हैं कि गुरुग्राम से करनाल तक चली ये यात्रा 600 गांवों से होकर गुजरी, जिसमें उन्होंने पांच लाख से ज़्यादा लोगों से मुलाकात की.
रैली में बोलते हुए शेर सिंह राणा ने बार-बार क्षत्रिय समुदाय और उसकी छत्तीस सहयोगी जातियों की बदहाली का जिक्र किया. शेर सिंह राणा इस सभा में कई हैरान करने वाली बातें कहते नज़र आते हैं. वो अपने समर्थकों से कहते हैं, ”तमाम नेता कहते हैं कि वो ईमानदार शासन देंगे, लेकिन मैं दबाकर घोटाला करूंगा ताकि क्षत्रिय समाज के लोगों का भला कर सकूं.”
हरियाणा की राजनीति में राजपूत
क्या हरियाणा की राजनीति में राजपूत समुदाय को अलग-थलग रखा गया. इस सवाल के जवाब में जेपी आंदोलन के समय से राजनीति से जुड़े रहने वाले और युवा लोकदल के प्रेसिडेंट रहे राज सिंह हुड्डा बताते हैं, ”हरियाणा से कई बड़े राजपूत नेता हुए है. जनता पार्टी की सरकार में ठाकुर वीर सिंह मंत्री थे. जय सिंह राणा और सत्यवीर सिंह राणा भी यहां राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. शारदा राठौर भी मंत्री रही हैं. और भी कई नेता रहे हैं. तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि राजपूत समुदाय यहां राजनीतिक रूप से पिछड़ा रहा है.”
राज सिंह हुड्डा शेर सिंह राणा के राजनीति में आने पर होने वाले प्रभाव के बारे में कहते हैं, “उनके आने से कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. अभी जो यहां के राजनीतिक हालात हैं, उसमें बीजेपी के अलावा कोई नज़र नहीं आ रहा है. कांग्रेस में गुटबाजी हावी है. हालांकि, बेहतर लोकतंत्र के लिए यह खतरनाक है लेकिन सच्चाई यही है कि आज विपक्ष गायब है. शेर सिंह राणा के आने से हरियाणा की राजनीति में कोई बदलाव नज़र नहीं आएगा.”
हिंदुस्तान अख़बार से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार कासिम खान कहते हैं, ”जहां तक शेर सिंह राणा के राजनीति में आने पर होने वाले असर का सवाल है, तो मुझे नहीं लगता कि कोई असर पड़ेगा. यहां कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी सालों से मेहनत कर रहे हैं. ये सत्ता में रहे हैं फिर भी इनकी दाल बीजेपी के सामने नहीं गल पा रही है, तो शेर सिंह राणा तो नए हैं, जिनकी एकमात्र पहचान फूलन देवी की वजह से है. वैसे भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब बेहद कम वक़्त बचा हुआ है.”
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