Newslaundry Hindi
ज़मानत मिलने के बावजूद जेल में ही रहना होगा नेशन लाइव के पत्रकारों को
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ अपमानजनक विषयवस्तु के साथ कार्यक्रम करने के आरोप में नेशन लाइव की एमडी इशिका सिंह, एंकर अनुज शुक्ला को 8 जून तथा मैनेजिंग एडिटर अंशुल कौशिक को 10 जून को गिरफ़्तार कर लिया गया था. गिरफ़्तारी के लगभग दो सप्ताह के बाद नोएडा की जिला एवं सत्र न्यायालय ने तीनों पत्रकारों को ज़मानत दे दी है. हालांकि, ये ज़मानत उन्हें मानहानि के मामले में दी गयी है और उनके ख़िलाफ़ दर्ज़ एक अन्य मामले में बेल खारिज़ होने के कारण फ़िलहाल उनकी रिहाई नहीं होगी.
गौरतलब है कि तीनों पर नोएडा स्थित समाचार चैनल नेशन लाइव का परमिट न होने और बिना अनुमति के चैनल चलाने के मामले में जालसाजी और धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया गया है. इस मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश वेद प्रकाश वर्मा कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ, नोएडा की जिला एवं सत्र न्यायालय के जज नलिन कांत त्यागी की अदालत ने तीनों आरोपियों के ख़िलाफ़ मानहानि के मामले की सुनवाई की और उन्हें 40 हज़ार रुपये के दो बॉन्ड पर ज़मानत दे दी.
अनुज शुक्ला और अंशुल कौशिक के वकील नितिन गुप्ता और पार्थ त्यागी ने अदालत में दलील दी कि “इस शो में कुछ भी अपमानजनक नहीं था और पत्रकार वास्तव में मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ महिला के विवादास्पद दावों की जांच करने की कोशिश कर रहे थे, साथ ही वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि इसके पीछे किसी प्रकार की राजनैतिक रंजिश तो नहीं है.”
उन्होंने अदालत से कहा कि “एफआईआर में कहा गया है कि चैनल का प्रदर्शन केवल एक पार्टी के सदस्यों को भड़काने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन तक चर्चा होने के बाद भी कोई बवाल नहीं हुआ. पार्टी विशेष के किसी भी सदस्य ने कोई शिकायत दर्ज़ नहीं करायी और मानहानि के आरोपों के बावजूद मुख्यमंत्री की तरफ़ से भी कोई एफआईआर दर्ज़ नहीं की गयी, लेकिन ये सब एक पुलिसकर्मी ने किया. पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने के 48 घंटे के बाद भी अदालत में पेश नहीं किया गया.”
तो वहीं सरकारी वकील ने ज़मानत का विरोध करते हुए कहा कि “एक छोटा सा लांछन भी समाज की स्थिति को ख़राब कर सकता है.” साथ ही उन्होंने कहा कि मानहानि से संबंधित एफआईआर एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा दायर की गयी थी. अन्य मामले जिला सूचना विभाग की सहायक निदेशक मीना बिस्वास की जांच के आधार पर दर्ज किये गये हैं.
सभी पक्षों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि कार्यक्रम से समाज में दुश्मनी, नफ़रत या असंतोष की स्थिति पैदा नहीं हुई. अदालत ने कहा कि तथ्यों को देखते हुए और मामले के गुण-दोषों पर टिप्पणी किये बिना ज़मानत देने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली एक महिला ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ से वो शादी करना चाहती हैं. इसके अलावा महिला ने कई और विवादस्पद दावे किये थे. इसी मामले को लेकर योगी आदित्यनाथ के प्रति कथित अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को भी यूपी पुलिस ने उनके दिल्ली स्थित आवास से गिरफ़्तार कर लिया था. इसी क्रम में नेशन लाइव के पत्रकारों की भी गिरफ़्तारी हुई थी. बाद में प्रशांत को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा भी कर दिया गया.
Also Read
-
Delhi’s ‘Thank You Modiji’: Celebration or compulsion?
-
Margins shrunk, farmers forced to switch: Trump tariffs sinking Odisha’s shrimp industry
-
DU polls: Student politics vs student concerns?
-
अडाणी पर मीडिया रिपोर्टिंग रोकने वाले आदेश पर रोक, अदालत ने कहा- आदेश एकतरफा
-
Adani lawyer claims journalists funded ‘by China’, court quashes gag order