Newslaundry Hindi
प्रभु की नाव पार कराने में लगी केवटों की टीम से एक मुलाकात
दूसरी बार लोकसभा चुनावों में विजय हासिल करने की कवायद में लगे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नामांकन के ठीक एक दिन पहले बनारस में भव्य रोडशो किया. इस रोडशो में जनसैलाब उमड़ पड़ा. बनारस में मतदान अंतिम चरण में यानी 19 मई को है.
मोदी के दाहिने हाथ अमित शाह राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव अभियान में व्यस्त हैं, दूसरी तरफ एक अन्य गुजराती सुनील ओझा के नेतृत्व में चुनावी रणनीतिकारों की एक टीम प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में चुनाव अभियान और मतदान की हर छोटी-बड़ी योजना की तैयारी में पूरी तल्लीनता से काम कर रही है.
ओझा के चुनाव-प्रबंधन की बानगी गुरुवार को देखने को मिली, जब प्रधानमंत्री की रैली में उमड़े जनसैलाब ने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये. रणनीतिकारों की टीम के चार अन्य महत्वपूर्ण सदस्य- रत्नाकर काशी, लक्ष्मण आचार्य, महेश चंद्र शर्मा और नलिन कोहली हैं.
भले ही इस बार चुनावी मैदान में प्रधानमंत्री के सामने कोई मजबूत उम्मीदवार न हो, लेकिन सुनील ओझा की टीम ने पिछली बार की तुलना में बड़े अंतर से जीत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
पिछले एक महीने से प्रियंका गांधी के बनारस से चुनाव लड़ने के लगातार संकेत मिलने के बाद कांग्रेस ने आख़िरकार अजय राय को ही दोबारा चुनावी मैदान में उतार दिया है. चार बार भाजपा विधायक रहने के बाद अजय राय ने 2009 में टिकट कटने पर पार्टी का साथ छोड़ते हुये सपा का दामन थाम लिया था और अंततः वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे. इस बार कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस से सपा में शामिल हुईं शालिनी यादव सपा-बसपा-रालोद के क्षेत्रीय गठबंधन की तरफ़ से अपनी उम्मीदवारी पेश कर रही हैं.
यह कहते हुए कि पूरी टीम लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने की दिशा में दिन-रात एक किये हुए है, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता स्वीकारने के लहज़े में कहते हैं, “हमारे सामने चुनौती सिर्फ़ यही है कि देश भर में सत्ता विरोधी लहर की आशंका के बीच भले ही मोदीजी की जीत का अंतर न बढ़े लेकिन जीत का अंतर कम से कम 2014 जितना बना रहे. छोटे अंतर से जीतना मोदीजी व भाजपा दोनों के लिए शर्मिंदगी भरा होगा.”
2014 के आम चुनावों में मोदी ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया था. पिछली बार मोदी को तक़रीबन 5.8 लाख वोट मिले थे वहीं 2.09 लाख वोटरों ने केजरीवाल पर अपना भरोसा जताया था.
सुनील ओझा, टीम के अगुवा, भावनगर (गुजरात) के पूर्व विधायक
मोदी के करीबी भरोसेमंद माने जाने वाले भावनगर के पूर्व भाजपा विधायक ओझा ने पिछले आम चुनावों में भी मोदी के चुनाव अभियान की कमान संभाली थी. ओझा की टीम के साथ जुड़कर चुनावी रणनीतियों को ज़मीनी तौर पर अमली जामा पहनाने के लिए लखनऊ से बनारस भेजे गये भाजपा प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव कहते हैं, “चाहे चुनाव अभियान हो या बूथ स्तर तक के मैनेजमेंट से लेकर मीडिया मैनेजमेंट की बात हो, ओझा हर एक चीज़ पर गौर करते हुए बारीक़ी से रणनीति तैयार कर रहे हैं.”
मूलतः विहिप के कार्यकर्ता रहे सुनील ओझा कभी मोदी के धुर विरोधी प्रवीण तोगड़िया के क़रीबी थे और नब्बे के दशक में संघ परिवार के मंदिर आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. मज़े की बात है कि ओझा विधायकों के उसी गुट में से एक हैं जिसने मोदी के ख़िलाफ़ विद्रोह करते हुए 2007 में भाजपा छोड़ दी थी. उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में शिकस्त का सामना करना पड़ा जिसके बाद वे मोदी विरोधी व मोदी सरकार में पूर्व गृह राज्यमंत्री रहे गोरधन ज़ड़ाफिया की पार्टी महागुजरात जनता पार्टी (मजपा) में शामिल हो गये थे. 2011 में दोनों ही नेताओं की भाजपा में वापसी हुई.
रत्नाकरजी, संघ प्रचारक
संघ-प्रचारक व भाजपा वाराणसी प्रभाग के संगठन महामंत्री रत्नाकरजी संघ की व्यवस्था के तहत ओझा की टीम का हिस्सा हैं. भाजपा के लिहाज़ से यह पद बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह भाजपा व संघ के बीच का सेतु माना जाता है. 2018 के उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद रत्नाकरजी काशी प्रभाग के अलावा गोरखपुर के संगठन महामंत्री का कार्यभार भी संभाल रहे हैं.
लक्ष्मण आचार्य, दलित एमएलसी, मोदी के ज़मीनी कार्यकर्ता
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य पार्टी के लोप्रोफाइल दलित नेता हैं. 1977 तक आरएसएस द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाने वाले लक्ष्मण आचार्य राम मंदिर आंदोलन में भागीदार रहे हैं. पिछले कुछ सालों से वे दलितों-आदिवासियों के बीच पैठ बनाने की पार्टी की कार्य-योजना पर काम कर रहे हैं. संगठन के दूसरे तमाम कामों को देखने के साथ-साथ लक्ष्मण आचार्य हफ़्ते भर से भी ज़्यादा वक़्त से प्रधानमंत्री मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर पूरे बनारस में घर-घर न केवल वोट मांग रहे हैं बल्कि लोगों को भाजपा सरकार की उपलब्धियों के बारे में भी बता रहे हैं.
महेश चंद्र श्रीवास्तव
युवावस्था से ही आरएसएस से जुड़े रहे महेश 2018 में लक्ष्मण आचार्य द्वारा खाली किए जाने के बाद से भाजपा के काशी प्रभाग के प्रमुख हैं. इस प्रभाग में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 ज़िले आते हैं. 2014 के सफल चुनावी अभियान में पूरी तल्लीनता से काम कर चुके महेश मोदी और अमित शाह के भरोसेमंद माने जाते हैं. वे कायस्थ समुदाय से आते हैं जिसकी बनारस और आसपास के ज़िलों में अच्छी ख़ासी आबादी है. उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की तमाम सफल रैलियों का श्रेय इन्हें ही जाता है.
नलिन कोहली, मोदी की मीडिया टीम के प्रमुख हैं
सुप्रीम कोर्ट के वकील व टीवी बहसों में सभ्य माने जाने वाले भाजपा के प्रवक्ता नलिन कोहली पिछले 15-20 दिनों से बनारस में जमे हुये हैं और इस बात का अनुमान है कि कम से कम वोटिंग के दिन तक वे यहीं रहेंगे. बनारस में मीडिया का प्रभार इन्हीं के जिम्मे है. कोहली 2014 में भी मोदी के मीडिया प्रभाग का जिम्मा बनारस में संभल चुके हैं.
बनारस के कैंट इलाके में स्थित होटल सूर्या में बने भाजपा मीडिया सेल के दफ़्तर में एक के बाद एक तमाम न्यूज़ चैनलों को दिये इंटरव्यू में नलिन कहते हैं, “मैं लगभग महीने भर अभी यहीं हूं लेकिन संभव है कि बीच में एक-दो दिन के लिये मुझे दिल्ली जाना पड़े.”
भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना हैं, “मीडिया टीम को दो शहरी व तीन ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों वाले इस संसदीय क्षेत्र के तक़रीबन सत्रह लाख मतदाताओं के बीच मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा व आतंकवाद के मुद्दे को लगातार उछालते रहने का जिम्मा सौंपा गया है. उन्हें राफ़ेल मामले में विपक्ष द्वारा लगाये गये आरोपों को पूरी ताकत से प्रतिवाद करने की हिदायत भी दी गयी है.”
Also Read
-
Gurugram’s waste crisis worsens as garbage collection stalls
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media