Newslaundry Hindi
व्हाट्सएप पर यौन-कुंठा का ट्राएंगल: होली, सर्फ एक्सेल और ‘लव जिहाद’
राफेल के संबंध में कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री और भाजपा मंत्रियों ने अपने ट्विटर हैंडल को जैसे चौकीदार होने के ऑनलाइन एफडेविट में तब्दील कर दिया है. अचानक से आए इन चौकीदारों के सैलाब ने चौकीदारी के पेशे की मजबूरियों और शोषण की खिल्ली उड़ाई है. जवाबी हमला “चौकीदार ही चोर है” के जरिए हुआ जो इस पेश में लगे गरीब-मजलूमों की और ज्यादा फजीहत करता है. एक तरफ ये चुनावी ब्रांडिंग-मार्केटिंग चल रही है तो दूसरी ओर भाजपा और संघ प्रायोजित एजेंडे के तहत सर्फ एक्सेल और पुलवामा हमले की आड़ में धर्म विशेष के खिलाफ नफ़रत भड़काने का काम बदस्तूर जारी है.
पुलवामा में सेना के काफिले पर आंतकी हमले और फिर सर्फ़ एक्सेल विज्ञापन को लेकर हुए विवाद ने होली के ठीक पहले दक्षिणपंथी एजेंडे को हवा देने लायक प्रचुर साम्रगी मुहैया करवाई. एजेंडे के प्रसार का सबसे भरोसेमंद माध्यम बना हुआ है व्हाट्सएप. होली के मद्देनज़र यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि सर्फ़ एक्सेल के विज्ञापन को जिस तरह से लव जिहाद के नैरेटिव में बदला गया और उस पर प्रतिक्रिया दर्ज कराई गई, उसके केंद्र में होली का त्यौहार था. व्हाट्सएप ऐसे घुणापूर्ण संदेशों, वीडियो, फोटो से अटा पड़ा है. ऐसे माहौल में बहुत संभव है कि होली को सांप्रदायिक रंग में रंग दिया जाय. यह प्रशासन के लिए चुनौती होगी.
पुलवामा हमले के तुरंत बाद ही युद्ध, कश्मीरियों और मुसलमानों को सबक सिखाने वाले संदेश व्हाट्सएप के जरिए फैलाए जाने लगे थे. विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई और एयर स्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों की क्षति पर उपजे विवाद के बाद जैसे ही सवाल उठने शुरू हुए, आईटी सेल और समर्थकों को लगा कि भाजपा बालाकोट पर परसेप्शन की लड़ाई हार रही है. व्हाट्सएप पर भारत-पाकिस्तान मुद्दा और तेज़ हो गया. भारत-पाकिस्तान को केंद्रित पोर्नोग्राफिक तस्वीरों की जैसे बाढ़ आ गई.
इसका अंदाज़ा इस रिपोर्टर को तब हुआ जब एक खास तरह की पोर्नोग्राफिक तस्वीरें अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों में आने लगी. ये तस्वीरें व्हाट्सएप्प के जरिये कहां तक का सफ़र तय कर रही होंगी, इसका अंदाज़ा लगाना कठिन है. लेकिन हमारे पास इतनी जानकारी जरूर है कि ये ग्रुप 2015 बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान बने थे. इनमें आने वाले संदेशे 90 फीसदी तक संघ और भाजपा के समर्थन में होते हैं.
इसी समय सर्फ एक्सेल विज्ञापन विवाद ने मुस्लिम विरोधी भावनाओं को और हवा दी. विज्ञापन में कथित हिंदू बच्ची और मुस्लिम बच्चे के बीच दोस्ती को कट्टर दक्षिणपंथियों ने लव जिहाद की शक्ल में पेश किया. नतीज़ा यह रहा कि बॉयकॉट सर्फ एक्सेल कैंपेन चल पड़ा. ख़बरें यह भी आईं कि इंटरनेट पर सर्फ एक्सेल की रेटिंग गिराने निकले आईटी सेल के हराकरों ने माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल की रेटिंग गिरा दी. लेकिन व्हाट्सएप की दुनिया में एकदम अलग माहौल था. कहीं महिलाएं सर्फ एक्सेल को फ्लश में बहाते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर रही थी, तो कहीं विज्ञापन के चरित्र को ही बदल दिया गया. फॉटोशॉप की हुई तस्वीरों में हिंदू लड़का, मुस्लिम लड़की को रंग और जबरन रंग लगाता हुआ दिखता है. वर्चुअल स्पेस में तैरती इन तस्वीरों की पुनरावृत्ति कहीं होली के दिन हकीकत में न बने, इसके लिए प्रशासन को मुस्तैद रहने की आवश्यकता होगी.
यौन कुंठा का ट्रोलशास्त्र
वायरल की जा रही तस्वीरों के कुछ उदाहरण:
पहली तस्वीर: पुरुष और महिला की यौन संबंध बनाते हुए अंतरंग तस्वीर. तस्वीर की बाईं ओर वेबसाइट का नाम भी लिखा है. यह एक पॉर्न वेबसाइट है. इसमें पुरुष के समूचे शरीर को भारत के तिरंगे झंडे से फॉटोशॉप कर दिया गया है. वही महिला के शरीर को पाकिस्तानी झंडे से रंग दिया गया है. तस्वीर में मर्दवादी दंभ साफ झलकता है. अर्थ यह है कि भारत पाकिस्तान पर हावी है.
दूसरी तस्वीर: भारत और पाकिस्तान क्रिकेट टीम का मैच. एक भारतीय बल्लेबाज अपनी कलाइयां ऊपर करते हुए हवा में छलांग लगा रहा है. पाकिस्तानी बॉलर लड़खड़ाता हुआ जमीन पर गिर कर रहा है. यहां बल्लेबाज की तस्वीर में पुरुष गुप्तांग फॉटोशॉप किया गया है. पाकिस्तानी बॉलर के ऊपर महिला गुप्तांग चिपका दी गई है.
तीसरी तस्वीर: एक पुरुष महिला को चूम रहा है. पुरुष के ललाट पर चंदन का टिका लगा है. महिला के दाएं गाल पर चांद और सितारे (इस्लामी झंडे जैसा) बना है. तस्वीर का कैप्शन है, “हिन्दू हो तो जरूर शेयर करो, मुस्लिम का औलाद होंगे तो शेयर मत करो.”
चौथी, पांचवी, छठी तस्वीर जबरन चुंबन की है. हर एक तस्वीर में पुरुष भारत का प्रतिनिधित्व करता है. जबकि महिला या तो पाकिस्तान या इस्लाम की प्रतिनिधि है. सातवीं तस्वीर हिंदुओं से अपील करती है, “भारत मां के हिन्दू बेटों, कुछ तो नाम कमाओ. बुर्के वाली बेगमों को अब तुम सिंदूर लगाओ”. एक और तस्वीर कश्मीरी महिला पत्थरबाजों की है. तस्वीर के शीर्षक में लिखती है, “सर्फ एक्सेल को, विस्पर का मुंहतोड़ जवाब..अब बोलो दाग अच्छे हैं”.
दरअसल, फोटोशॉप की हुई ये तस्वीरें महज़ यौन कुंठा की अभिव्यक्तियां नहीं बल्कि एक खास धर्म के प्रति बहुसंख्यक समाज की पुरुषवादी वर्चस्व की छवियां भी हैं. राष्ट्र या समुदाय के सम्मान का संबंध महिला के गुप्तागों से स्थापित करने की कोशिश मर्दवादी राजनीति के हथकंडे रहे हैं.
इस रिपोर्टर ने व्हाट्सएप ग्रुपों में ये तस्वीरें भेजने वालों से संपर्क किया. “मन की बात” ग्रुप से जुड़े संजय कुमार पहले तो मानते ही नहीं कि ये तस्वीरें आपत्तिजनक हैं. वे कहते हैं, “ये तस्वीर मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नवादा यूनिट ग्रुप में मिली थी. वहां ये कहां से आई थी, इसकी जानकारी मुझे नहीं है.”
वहीं एक अन्य ग्रुप “नमो एगेन” में सर्फ एक्सेल और पुलवामा दोनों पर सख्त प्रतिक्रिया जताने वाले विनीत (बदला हुआ नाम) इस बात से इनकार करते हैं कि ये तस्वीरें भाजपा आईटी सेल की करतूत है. हालांकि वो इन तस्वीरों की जिम्मेदारी नहीं लेते लेकिन एक बेहद जरूरी बात कहते हैं, “पहले हमें इस तरह के कंटेंट अलग-अलग ग्रुपों से मिलते थे. अभी भी आते हैं लेकिन हर बार, हर मुद्दे पर अब हम लोग किसी का वेट नहीं करते. कई बार हमलोग पिक्सआर्ट जैसे एप की सहायता से खुद ही फोटो डिजाइन कर लेते हैं.” विनीत ने आगे बताया कि इस तरह के फोटो या संदेश भेजने की रणनीति क्षेत्रवार तय होती हैं.
इस रिपोर्टर ने विनीत से व्हाट्सएप संदेशों में भाजपा और आरएसएस की भूमिका को जानना चाहा. विनीत ने सवाल को यह कहते हुए टाल दिया कि बहुत तरह के एप आ गए हैं, कोई भी आसानी से फॉटोशॉप करके कंटेंट वायरल करवा सकता है. अगर विनीत की बात पर थोड़े देर के लिए यकीन करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि जिसे अबतक संगठित ट्रोल बताया जा रहा था, वह मास हिस्टीरिया में तब्दील हो चुका है.
व्हाट्सएप के जरिए फैल रही गलत सूचनाओं और अफवाहों के मद्देनजर कुछ महीने पहले सरकार की तरफ से एक एडवायज़री जारी हुई थी. इसके बाद व्हाट्सएप ने कुछ एहतियाती उपाय किए थे. इसके तहत लोगों को जागरूक करने के लिए रेडियो और टीवी पर विज्ञापन दिए गए, फॉरवर्ड मैसेज पर लिखा आने लगा. हालांकि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर कहा जा सकता है कि ये उपाय कामचलाऊ और अपर्याप्त सिद्ध हुए हैं.
Also Read
-
‘Foreign hand, Gen Z data addiction’: 5 ways TV anchors missed the Nepal story
-
No bath, no food, no sex: NDTV & Co. push lunacy around blood moon
-
Mud bridges, night vigils: How Punjab is surviving its flood crisis
-
Adieu, Sankarshan Thakur: A rare shoe-leather journalist, newsroom’s voice of sanity
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point