Newslaundry Hindi
‘अगर आपकी वफादारी भारत के लोकतंत्र के प्रति है तो आपको न्यूज़ चैनल देखना बंद कर देना चाहिए’
बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक अभियान काफी चर्चा में रहा. अभियान था समाचार चैनलों को दो महीने के लिए त्याग देने का. एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एक लेख लिखकर अपील जारी की थी कि अगर अपने भविष्य के प्रति, अपने बच्चों के प्रति, अपने समाज के प्रति, अपने देश के प्रति आप सजग हैं तो अगले दो-ढाई महीने समाचार चैनलों का बहिष्कार करें. सरकारी प्रोपगैंडा और युद्धोन्माद का जरिया बन चुके हमारे देश के ज्यादातर समाचार चैनल असल में अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारियों से दगाबाजी कर रहे हैं.
रवीश कुमार का यह अभियान इतना लोकप्रिय हुआ कि देश की मुख्तलिफ भाषाओं में इस लेख को अनूदित करके करोड़ों लोगों के बीच में प्रसारित होने लगा. यह अपील देखते ही देखते अभियान बन गई. सार्वजनिक सभाओं में लोगों को इस बात की शपथ दिलाई जाने लगी कि लोग सत्ता के साथ कदमताल कर रहे चैनलों का बहिष्कार करें. इसके साथ ही रवीश कुमार का एक और लेख आज चर्चा में है. इस लेख का मजमून यह है कि विपक्षी दलों को सत्ता का मुखपत्र बन चुके टीवी मीडिया की बहसों से ढाई महीने के लिए हट जाना चाहिए. यह लेख भी अब अभियान की शक्ल लेने लगा है.
क्या टीवी मीडिया में सुधार की गुंजाइश नहीं बची है? क्या बहिष्कार करना ही एकमात्र विकल्प है? क्या विपक्षी दल जो कि संसाधन के मामले में मौजूदा सत्ताधारी दल के मुकाबले बहुत पीछे खड़े हैं, वे टीवी जैसे लोकप्रिय माध्यम का बहिष्कार कर पाने की स्थिति में हैं? इन तमाम सवालों पर हमने रवीश कुमार के साथ एक संक्षिप्त बातचीत की.
Also Read
-
Billboards in Goa, jingles on Delhi FMs, WhatsApp pings: It’s Dhami outdoors and online
-
Behind India’s pivot in Kabul: Counter to Pak ‘strategic depth’, a key trade route
-
‘Justice for Zubeen Garg’: How the iconic singer’s death became a political flashpoint in Assam
-
TMR 2025: The intersection of art and activism
-
दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एनसीआर में ग्रीन पटाखे चलाने की सशर्त इजाजत