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सावित्री बाई फुले: ‘देश के प्रधानमंत्री ड्रामेबाज हैं’
लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी से खफा चल रही बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले ने पिछले दिनों कांग्रेस का दामन थाम लिया. फुले ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता ली.
बसपा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली सावित्री बाई फुले बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधायक और सांसद बनीं. लेकिन पिछले दो साल से वो लगातार मोदी सरकार को दलित विरोधी बताते हुए उसकी आलोचना कर रहीं थीं. फुले की मोदी सरकार से नाराजगी लोकसभा से लेकर सड़कों तक देखने को मिली.
पार्टी बदलने, सपा-बसपा गठबंधन के भविष्य, बीजेपी से रिश्तों और 2019 के चुनाव पर न्यूज़लॉन्ड्री ने फूले से विस्तार से बात की. यहां उस बातचीत के अंश प्रस्तुत हैं:
आप भारतीय जनता पार्टी से लम्बे समय से जुड़ी थीं. बीच-बीच में पार्टी से आपकी नाराजगी देखने को मिली, लेकिन बात इतनी बिगड़ गई कि पार्टी से अलग होने का निर्णय लेना पड़ा. बीजेपी छोड़ने की मुख्य वजह क्या रही?
मैं बाबा साहब भीम राव आंबेडकर द्वारा बनाए गए भारत के संविधान और आरक्षण के तहत बहराइच सुरक्षित सीट से सांसद बनी हूं. जब से मैं लोकसभा पहुंची तब से लगातार अख़बार और टीवी के माध्यम से पढ़ने और देखने को मिलता रहा कि आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम भारत की संविधान और आरक्षण की समीक्षा करेंगे. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बयान दिया था कि हम आरक्षण को ऐसे समाप्त करेंगे कि उसका रहना न रहना बराबर होगा. बीजेपी के मंत्री बोलते हैं कि हम भारत के संविधान को बदलने के लिए आए हैं. यही 13 पॉइंट रोस्टर को लेकर अभी बीजेपी ने जिस तरह पूरे देश के बहुजन समाज के साथ अन्याय किया है ये उसका जीता जगता प्रमाण रहा है कि सरकार आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रही है.
ऐसी स्थिति में जब मैंने अपनी पार्टी के भीतर ठीक से संविधान और आरक्षण लागू कराने की मांग कि तब मुझे हीन भावना से देखा जाने लगा. जब भी देश में दलितों और पिछड़ों के साथ अत्याचार होता था. देश के अलग-अलग हिस्सों में बाबा साहब की प्रतिमा तोड़ी गई. प्रतिमा तोड़ने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो रही थी. भारत के संविधान की प्रतियां जंतर-मंतर पर जलाई गई. लेकिन जिन्होंने संविधान की प्रति जलाई उनके खिलाफ कोई मामला तक दर्ज नहीं हुआ.
इन तमाम मसलों को लेकर मैं लगातार लोकसभा में बोलती रही. जब मेरी बात की अनसुनी की गई तब हमने सड़कों पर भी आंदोलन शुरू किया. लेकिन अनुसूचित जाति से होने के कारण उन लोगों ने मेरी बातों को अनसुना कर दिया. मैं आज भारत के संविधान के कारण सांसद हूं. संविधान में आरक्षण न होता तो बहराइच सीट सुरक्षित न होती और मुझे कोई टिकट नहीं देता. उस संविधान को बचाने के लिए, आरक्षण को बचाने के लिए मैं बीजेपी से अलग हुई हूं.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपना आधार लगभग खो चुकी हैं, इस स्थिति में आप कांग्रेस से जुड़ी. बीएसपी जो आपकी पूर्व पार्टी भी है और खुद को दलितों के हितों के लिए लड़ने वाली पार्टी बताती हैं या समाजवादी पार्टी के साथ क्यों नहीं गई?
आज बीजेपी को कोई हरा सकता है तो कांग्रेस ही हरा सकती है. आज की तारीख में कांग्रेस पूरे देश में बीजेपी को हराने के लिए लगातार कार्यक्रम कर रही है. अभी जिस तरह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया है वह संकेत है कि लोग भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस को देख रहे हैं. समाजवादी पार्टी की जहां तक बात है तो उनके पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में जिस तरह से बयान दिया और कहा कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनकर आएं, उससे लगता है कि दोनों अंदरखाने में मिले हुए हैं. यही स्थिति बीएसपी प्रमुख मायावती की भी है. सीबीआई से खुद बचाने के लिए ये लोग दबे-छिपे बीजेपी के साथ गठजोड़ कर रहे हैं. जिस कारण बहुजनों का विश्वास इनसे उठ चुका है. केंद्र में न तो सरकार सपा बना सकती है और न ही बसपा बना सकती है. अगर केंद्र में सरकार बनाएगी तो कांग्रेस ही बनाएगी. अगर ये दोनों यूपी से जीतकर भी आते हैं तो इनको किसी ना किसी दल को समर्थन करना पड़ेगा. इसलिए मैंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है.
पीएम नरेंद्र मोदी को बारे में आप क्या सोचती हैं? उनके पांच साल के काम को कैसे देखती हैं?
देश में नरेंद्र मोदी पर लोगों का भरोसा अब खत्म हो गया है. नरेंद्र मोदी के रूप में देश में इतना झूठा प्रधानमंत्री पहली बार हुआ है. नरेंद्र मोदी जो कहते हैं वो करते नहीं और जो करते हैं वो कहते नहीं हैं. देश के प्रधानमंत्री ड्रामेबाज हैं. आपने देखा होगा कि जिस तरह से कुंभ मेले में सफाईकर्मियों का पैर धोकर तौलियों से पोछते दिखे ये ही उनका ड्रामा है. अगर उनको सफाईकर्मी समाज का सम्मान बढ़ाना था तो उनका भत्ता बढ़ा देते. उनके बच्चों को अच्छे स्कूलों में एडमिशन दिला देते. लेकिन इनके ड्रामे को दलित समुदाय का हर व्यक्ति समझ चुका है और आने वाले लोकसभा चुनाव में इन्हें सबक सिखाने के लिए वो तैयार हैं. मोदी सरकार के पांच साल में दलितों का भयंकर शोषण हुआ है.
प्रधानमंत्री खुद को चौकीदार कहते हैं लेकिन उनकी चौकीदारी में देश के जवान लगातार शहीद हो रहे हैं. पीएम कहते हैं हमारा देश सुरक्षित है, लेकिन देश सुरक्षित हाथों में होता तो बयालीस सीआरपीएफ जवानों की मौत न होती. अब मोदीजी पर सवाल उठ रहे हैं. पीएम झूठ बोलते हैं. कभी भारत-पाकिस्तान का नाम लेकर, कभी हिन्दू-मुस्लिम की बात करके, कभी मंदिर-मस्जिद की बातकर, कभी दंगा फैलाकर, कभी गाय के नाम पर मुसलमान समुदाय का उत्पीड़न करके. इनके पास यही मुद्दा रह गया है. अगर मोदी फिर से पीएम बनते हैं तो देश का संविधान बर्बाद हो जाएगा.
बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में काफी बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है. जबकि कांग्रेस का प्रदेश में कोई खास वोट बैंक नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. आरोप लग रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ वोटकटवा पार्टी की भूमिका निभाएगी?
देखिए अब देश की जनता ये तय कर रही है कि केंद्र में सरकार कौन बना रहा है. कांग्रेस वोटकटवा पार्टी नहीं, एक राष्ट्रीय पार्टी है. वोट काटने का काम उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा करेगी. देश में सरकार कांग्रेस बनाने जा रही है. इसलिए देश की जनता, खासकर उत्तर प्रदेश की जनता अब सीधे कांग्रेस को वोट देने जा रही है. जहां तक मेरे लोकसभा चुनाव की बात है, बहराइच की जनता सावित्री बाई फुले को इसलिए जिताएगी क्योंकि मैंने क्षेत्र में रहकर पांच साल तक काम किया है. वहां की जनता को दल नहीं नेता चाहिए जो संविधान की रक्षा कर सके. बहुजन की हक़ की बात कर सके. आरक्षण बचा सके.
कांग्रेस लम्बे समय तक सत्ता में रही है. बीजेपी और बाकी गठबंधन की सरकारों ने लगभग 15 साल शासन किया है. ऐसे में अगर दलितों-पिछड़ों को हक़ नहीं मिल पाया तो इसके लिए बीजेपी से ज़्यादा कांग्रेस ही जिम्मेदार है या नहीं?
देश में पिछले पचास सालों में जो नुकसान नहीं हुआ वो मोदी जी ने पिछले पांच साल में कर दिया है. आज दलित-मुस्लिम समुदाय के साथ में जो घटनाएं हो रही है, वो आप टीवी और अखबारों में देखते ही होंगे. देश की जनता मोदी से खफा है.
आप कह रही हैं कि मोदी शासन में दलितों पर अत्याचार हुए. आरक्षण खत्म करने और संविधान को बदलने की कोशिश हुई. ऐसे में बाकी दलित सांसद क्यों चुप रहे?
बाबा साहब ने सोचा था कि आरक्षण के तहत सुरक्षित सीटों से दलित और पिछड़े लोग लोकसभा और विधानसभा में पहुंचेगे तो भारत के संविधान में दिए गए कानून को संपूर्ण रूप से लागू कराएंगे और बहुजन समाज के लिए संविधान में जो अधिकार दिए गए हैं उस अधिकार को लागू कराकर उन्हें बराबरी पर लाने का काम करेंगे. लेकिन जो लोग आरक्षण के तहत जीतकर जाते हैं वो दलों के गुलाम बन जाते हैं. जिसके कारण आजादी के बाद से अब तक भारत का संविधान संपूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाया.
आप कहां से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी?
मैं बहराइच लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ूंगी. निश्चित रूप से वहां की जनता मुझे जिताकर संसद में भेजेगी.
देखिए सावित्री बाई फुले से पुरी बातचीत
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