Newslaundry Hindi
वायुसेना का हमला: गौरव के इन क्षणों में टीवी न्यूज़ का पतन भी देखें
26 फरवरी का दिन उस शब्द का है, जो भारतीय वायु सेना के पाकिस्तान में घुसकर बम गिराने के बाद अस्तित्व में आया है. भारत के विदेश सचिव ने इसे असैन्य कार्रवाई कहा है अंग्रेज़ी में नॉन मिलिट्री कहा गया है. इस शब्द में कूटनीति है. बमों से लैस लड़ाकू विमान पाकिस्तान की सीमा में घुस जाए, बम गिराकर बगैर अपने किसी नुकसान के सकुशल लौट आए और कहा जाए कि यह असैन्य कार्रवाई थी तो मुस्कुराना चाहिए. मिलिट्री भी नॉन-मिलिट्री काम तो करती ही है. इसके मतलब को समझने के लिए डिक्शनरी को तकलीफ देने की ज़रूरत नहीं है. पॉलिटिक्स को समझने की ज़रूरत है. मगर एक चूक हो गई. कमाल भारतीय वायुसेना का रहा लेकिन ख़बर ब्रेक पाकिस्तान की सेना ने की. लगता है भारत के पत्रकार देर तक सोते हैं. वैसे भी सुबह चैनलों में ज्योतिष एंकर होते हैं. इस पर भी मुस्कुरा सकते हैं.
पहली ख़बर पाकिस्तान के सैनिक प्रवक्ता मेजर जनरल गफूर ने 5 बजकर 12 मिनट पर ट्वीट कर बता दिया कि भारतीय सेना अंदर तक आ गई है बस हमने उसे भगा दिया. डिटेल आने वाला है. फिर 7 बजकर 06 मिनट पर ट्वीट आता है कि मुज़फ्फराबाद सेक्टर में भारतीय जहाज़ घुस आए. पाकिस्तानी वायुसेना ने समय पर जवाबी कार्रवाई की तो भागने की हड़बड़ाहट में बालाकोट के करीब बम गिरा गए. कोई मरा नहीं, कोई क्षति नहीं. इनका तीसरा ट्वीट 9 बजकर 59 मिनट पर आया कि ‘भारतीय वायुसेना ने आज़ाद कश्मीर के 3-4 मील के भीतर मुज़फ़्फ़राबाद सेक्टर में घुसपैठ की है. जवाब देने पर लौटने के लिए मजबूर जहाज़ों ने खुले में बम गिरा दिया. किसी भी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है, तकनीकी डिटेल और अन्य ज़रूरी सूचनाएं आने वाली हैं.’
इसके बाद मेजर जनरल साहब की तरफ से न कोई ट्वीट आया और न डिटेल. अब इसके बाद 11.30 मिनट पर भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस होती है. विदेश सचिव विजय गोखले बताते हैं कि आतंकी संगठन जैश के ठिकाने को निशाना बनाया गया है. भारत के पास पुख़्ता जानकारी थी कि जैश भारत में और फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा था. उसे पहले ही बे-असर करने के लिए अ-सैन्य कार्रवाई की गई. किसी नागरिक की जान नहीं गई. इस प्रेस कांफ्रेंस में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया गया न पूछा गया. भारतीय वायु सेना का नाम नहीं लिया गया. न ही लोकेशन के बारे में साफ-साफ कहा गया. यह भी नहीं कहा गया कि पाकिस्तान के भीतर जहाज़ गए या पाक अधिकृत कश्मीर में गए.
भारत ने आधिकारिक बयान को सीमित रखा मगर पाकिस्तान ने ही पुष्टि कर दी थी कि भारत के जहाज़ कहां तक गए थे. बाद में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि ऑपरेशन कहां हुआ था. उमर अब्दुल्ला ने पहले बालाकोट को लेकर सवाल उठाए और कहा कि अगर यह कश्मीर पख़्तूनख़्वा मे हुआ है तो बहुत बड़ी स्ट्राइक है. अगर नहीं तो सांकेतिक है. बाद में उन्होंने फिर ट्वीट किया और कहा कि कार्रवाई कश्मीर पख़्तूनख़्वा में हुई जो कि बहुत बड़ी बात है.
युद्ध या दो देशों के बीच तनाव के समय मीडिया की अपनी चुनौतियां होती हैं. ऑफ रिकार्ड और ऑन रिकार्ड सूचनाओं की पुष्टि या उन पर सवाल करने का दायरा बहुत सीमित हो जाता है. जो भी सोर्स होता है वो आमतौर पर एक ही होता है. कई चैनलों पर चलने लगा कि आतंकी मसूद अज़हर का साला मारा गया है. भाई ससुराल गए हैं तो जो मारा जाएगा वो साला ही होगा! पर यह बयान किसका था, पता नहीं. कई बार रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय के सूत्र होते हैं मगर सूत्रों का वर्गीकरण साफ नहीं है. ऑफ रिकार्ड सूचनाओं में भी विश्वसनीयता होती है मगर जब मीडिया के कवरेज़ में बहुत अंतर आने लगे तो मुश्किल हो जाती है. जैसे मरने वालों की संख्या भी अलग अलग बताई गई. पाकिस्तान कहता रहा कि कोई नहीं मरा है. भारतीय वायु सेना अपना शानदार काम कर चुप ही रही. कोई ट्वीट नहीं किया.
इस हमले को कैसे अंजाम दिया गया इसकी अंतिम जानकारी नहीं आई है. अभी आती जा रही है. मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के कमाल की बात हो रही है. कोई ख़रोंच तक नहीं आई तो सोचा जा सकता है कि किस उम्दा स्तर की रणनीति बनी होगी.बग़ैर किसी चूक के ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देना बड़ी बात है. जनता वायु सेना के पराक्रम से गौरवान्वित हो उठी. बधाइयों का तांता लग गया.
मीडिया में एक दूसरा ही मोर्चा खुल गया.अपुष्ट जानकारियों की भरमार हो गई. बहसें और नारे राजनीतिक हो चले. सरकार और वायुसेना के पराक्रम के मौके पर चैनलों की पत्रकारिता( अखबारों और वेबसाइट की भी) के पतन की बात भी आज ही करूंगा. आज सरकार की शब्दावली ज़्यादा संयमित और रचनात्मक थी. मगर चैनलों की भाषा और उनके स्क्रीन वीडियो गेम में बदल चुके हैं. टीवी न्यूज़ के इस पतन को आप गौरव के इन्हीं क्षणों में समझें.
मैंने ये बात पहले भी की है और आज ही करूंगा. अलग अलग चैनल हैं मगर सबकी पब्लिक अब एक है. बाकी पब्लिक चैनलों से बाहर कर दी गई है. एंकरों के तेवर से लग रहा है कि वही जहाज़ लेकर गए थे. तभी कहा कि हमारे देश में युद्ध के समय पत्रकारिता के आदर्श मानक नहीं हैं. न हमारे सामने और न उनके सामने. सूचनाओं को हम किस हद तक सामने रखें, बड़ी चुनौती होती है.
हम सबके भीतर स्वाभाविक देशप्रेम होता है. चैनलों के स्क्रीन से लगता है कि उस देशप्रेम का राजनीतिकरण हो रहा है. अपने देशप्रेम पर ज्यादा भरोसा रखें. जो चैनल आपके भीतर देशप्रेम गढ़ रहे हैं वो अगर कल भूत प्रेत दिखाने लगें तब आप क्या करेंगे. यह फर्क उसी ऐतिहासिक क्षणों में उजागर होना चाहिए ताकि दर्ज हो कि मीडिया इस इतिहास को कैसे प्रहसन में बदल रहा है. इसे नाटकीयता का रूप देकर वो क्या कर रहा है आपको देखना ही पड़ेगा. आपको सेना, सरकार की कमायाबी, मीडिया की हरकतों और सूचनाओं की पवित्रताओं में फर्क करना ही होगा.
उधर प्रधानमंत्री की गतिविधियों में मीडिया से कहीं ज्यादा रचनात्मकता रही. लगता है मंगलवार को उन्होंने भी न्यूज़ चैनल नहीं देखे. शायद देखने की ज़रूरत नहीं. वे गांधी शांति पुरस्कार से लेकर गीता पाठ तक के कार्यक्रम में शामिल रहे. गीता का वज़न 800 किलो का बताया गया और बम का 1000 किलोग्राम का. दोनों अ-सैन्य पहलू हैं. जिस गीता का उद्घाटन कर आए वो इटली से छप कर आई है. तभी कहता हूं कि आर चैनलों ने रचनात्मकता के कई अवसर गंवा दिए. आज गांधी को शांति मिली या गीता द्वंद हल हुआ, मगर सूत्रों का काम खूब हुआ. वे न होते तो चैनल पांच मिनट से ज्यादा का कार्यक्रम न बना पाते.
पाकिस्तान घिर गया है. वो मनोवैज्ञानिक, रणनीतिक और कूटनीतिक हार के कगार पर है. बौखलाएगा.क्या करेगा देखा जाएगा. मगर वह भारतीय पक्ष के दावों को स्वीकार नहीं कर रहा है. उसकी कार्रवाई की आशंका को देखते हुए भारत की सीमाएं चौकस कर दी गई हैं. युद्ध होगा, कोई नहीं जानता. मंगलवार (26 फरवरी) का दिन ऐतिहासिक है.
Also Read
-
TV Newsance 253: A meeting with News18’s Bhaiyaji, News24’s Rajeev Ranjan in Lucknow
-
Uttarakhand: Forests across 1,500 hectares burned in a year. Were fire lines drawn to prevent it?
-
Know Your Turncoats, Part 15: NDA has 53% defectors in phase 5; 2 in Shinde camp after ED whip
-
Grand rallies at Mumbai: What are Mahayuti and MVA supporters saying?
-
Reporters Without Orders Ep 322: Bansuri Swaraj’s debut, Sambhal violence