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द क्विंट पर छापा: ‘मुझे याद है ऋतु कपूर और राघव बहल ने 100 करोड़ का कन्वर्जन किया’

क्विंट मीडिया के मालिक और न्यूज़18 के पूर्व प्रोमोटर राघव बहल के ऑफिस और घर में आयकर विभाग के छापे के कुछ दिनों बाद ही, उनके खिलाफ़ टैक्स में हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग के कुछ नए सबूत और आरोप सामने आ रहे हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने राघव बहल की कंपनी संबंधित अपनी पहले की रिपोर्ट में भी पाया था कि किस तरह से राघव बहाल ने एक छोटी पीएमसी फिनकॉर्प नामक स्टॉक कंपनी में 3.03 करोड़ रुपए का निवेश कर उससे 114 करोड़ रुपए बनाए. इस कंपनी को राजकुमार मोदी 2011 में प्रोमोट कर रहे थे. आयकर विभाग के अधिकारियों ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में यह आरोप भी लगाया कि यहां लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के नाम पर एक बड़ा टैक्स घपला संभव है.

आयकर विभाग का अधिकारियों का दावा है कि जो नए सबूत हाल फिलहाल में सामने आए हैं, वे पहले की आशांकाओं को पुष्ट करते हैं. यह सबूत कुछ और नहीं बल्कि खुद पीएमसी फिनकॉर्प के प्रबंध निदेशक राजकुममार मोदी का दिया हुआ बयान है. मोदी ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि राघव बहल ने अपने काले धन को बिना कोई टैक्स दिये, चेक़ के जरिये बदला. जिसके लिए उन्होंने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए पीएमसी फिनकॉर्प को खुद ही 100 करोड़ रुपए दिए थे.

आयकर विभाग के अधिकारी राजकुमार मोदी के बयान की पुष्टि कर रहे हैं और जल्दी ही इस मामले वे बहल से पूछताछ करेंगे.

कैसे हुआ यह सारा खेल:

राघव बहल ने 2012 में पीएमसी फिनकॉर्प के 5.50 रुपए प्रति शेयर की दर से 13.2 लाख रुपए के शेयर खरीदे. पीएमसी फिनकॉर्प के किसी भी व्यापारिक गतिविधि में संलग्न न होने के बावजूद, अगले 2 साल में इसके शेयर के दाम बढ़कर 848 रुपये प्रति शेयर हो गए. तब बहल ने अपने ज़्यादातर शेयर कोलकाता में स्थित ‘7 कागजी कंपनियों’ को बेच दिये, जिनके मालिक राजकुमार मोदी थे.

राजकुमार मोदी ने टैक्स अधिकारियों को दिए गए अपने बयान में बताया कि राघव बहल के चार्टर्ड अकाउंटेंट मोहन लाल ने उन्हें चेक के जरिये 100 करोड़ रुपये दिये, जिन्हें सफ़ेद करना था. ऐसा अरोप है कि बाद में यही 100 करोड़ रुपये से मोदी की उन 7 कागजी कंपनियों ने बहल की पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर ऊंचे दामों पर खरीदे.

11 अक्टूबर, 2018 को आयकर विभाग को दिये अपने बयान में राजकुमार मोदी ने यह आरोप लगाया कि राघव बहल ने एक जाली लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) को 100 करोड़ में पीएमसी फिनकॉर्प में बुक किया था. इसके जरिए सफ़ेद हुए धन का 1.5% हिस्सा कमीशन के रूप में मोदी को मिलना था, इस मामले में 1.5 करोड़ रुपए.

“मुझे याद है कि राघव बहल और ऋतु कपूर को सफ़ेद हुए 100 करोड़ रुपये मिले.” आगे मोदी ने जोड़ा, “कंपनी के पूंजी का शेयर के दाम घटने-बढ़ने से कोई संबंध नहीं है. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि कंपनी के शेयर के दाम गलत तरीके से जाली लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के लिए बढ़ाए गए. मेरी औसत कमाई, पूरे सफ़ेद हुए धन का 1.5% थी.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने मोदी के बयान को देखा है और बाद में मोदी ने अपने बयान में यह समझाने की कोशिश भी की है कि कैसे वह राघव बहल से मिले. उन्होंने बताया कि राघव बहल और ऋतु कपूर 2009 में, पहली बार पीएमसी फिनकॉर्प के शेयरधारकों के रूप में उनसे मिले थे. जब बहल ने कहा कि उनकी इच्छा अपने सीए के जरिये एक जाली लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) पाने की है. “मैंने एक आदमी/ब्रोकर/सबब्रोकर से पूछा, जिसने बहल से चेक के जरिये पैसे लिए थे कि वह 8 से ज्यादा कंपनियों से राघव बीएचएल और ऋतु कपूर के लिए शेयर ट्रान्सफर के बिल उपलब्ध कराये. उस आदमी का नाम मैं दो दिनों में बता दूंगा.” मोदी ने कहा.

पीएमसी फिनकॉर्प के अलावा, अन्य 7 कंपनियां थीं, इकोनॉमिक सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड, सीबर्ड विंकोन प्राइवेट लिमिटेड, सीबर्ड रीटेल प्राइवेट लिमिटेड, एम्बेसी सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, फ़ेमस इनवेस्टमेंट कॉन्स प्राइवेट लिमिटेड, रोलेक्स विनिमय प्राइवेट लिमिटेड और सीबर्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड थी. यह सभी कागजी कंपनियां कलकत्ता में मौजूद थी. कोई “नवनीत सिंघानिया” इन सभी कंपनियों के डाइरेक्टर थे, जिनके मालिक राजकुमार मोदी थे. दोनों ने यह माना है कि “इन कंपनियों ने डाइरेक्टर के पद पर होने के अलावा, असल में उस पूरी प्रक्रिया के एंट्री ऑपरेटर थे.”

अपनी पिछली रिपोर्ट में न्यूज़लॉन्ड्री ने बताया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनमय बोर्ड (सेबी) ने 2016 में ऐसी 300 संदिग्ध कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था.

जिस आदमी/ब्रोकर/सबब्रोकर ने चेक़ से पैसे लिए थे, उसके बारे में राजकुमार मोदी कहते हैं कि उसने भी पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर 13.2 लाख रुपये में 5.50 रुपए प्रति शेयर की दर से खरीदे थे.

सूत्रों के मुताबिक मार्च, 2012 में राघव बहल ने पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर 5.50 रुपए प्रति शेयर की दर से 13.2 लाख रुपए के शेयर के खरीदें और फिर सितम्बर 2013 से मार्च 2014 किए बीच 848 रुपये प्रति शेयर की दर से बेच दिया. सीधे-सीधे 15,318.18% की बढ़ोतरी.

हालांकि अब सवाल उठता है कि किसने ऐसी जाली और कम स्टॉक वाली कंपनी के शेयर खरीदे? यह खुद बहल थे, जिन्होंने ने अपने ही 100 करोड़ रुपए से इन्हें खरीदा. उन पर आरोप है कि इसके लिए उन्होंने अपने सीए से राजकुमार मोदी को पैसे उपलब्ध कराए. जिसका इस्तेमाल बाद में शेयर खरीदने के लिए हुआ. मोदी ने बहल से मिले रुपयों को बाद में जाली लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के जरिये कोलकाता की 7 कंपनियों से पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर खरीद लिए. इस तरह से बहल को इनको काला धन सफ़ेद होकर वापस मिल गया; ऐसा मोदी ने कहा.

पूछताछ के दौरान मोदी ने यह भी बताया कि पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर्स कानपुर स्टॉक एक्सचेंज की सूची में 1985 से शामिल हैं. “कंपनी को मैंने 2003 में खरीदा. पीएमसी फिनकॉर्प के शेयर मेरे और मेरे परिवार (21%) के पास थे, जबकि कंपनी का प्रबंधन मैं (20-22%) देखता था. बाकी बचे हुए शेयर्स आम जनता के पास थे. कंपनी 2012 में बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) की सूची में शामिल हुई.”

यह जान लेना जरूरी है कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने एक अन्य एंट्री ऑपरेटर नवनीत सिंह सिंघानिया का भी बयान 21 अप्रैल, 2015 को रिकॉर्ड किया था. इस बयान में सिंघानिया स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वह जिन कंपनियों को संभालते थे, वह सब “कागजी या शेल कंपनियां” थी. जब उनसे पूछा गया कि एक एंट्री ऑपरेटर के रूप में उन्होंने किस तरह के काम किए? कंपनियां कौन-कौन सी थी? वह किन-किन कंपनियों में डाइरेक्टर थे? इस पर सिंघानिया ने जवाब दिया, “वह एंट्री ऑपरेटर के रूप काम करते थे, जिनका काम फंड को ठिकाने लगाना और इस पर अपना कमीशन लेना था. इसमें कई तरह के काम होते थे, जैसे विभिन्न पार्टियों से रुपए इकट्ठा करना और उन्हें सही जगह पहुंचाना, कई सारे खातों से रुपये जमा करना और निकलना. यह कंपनियां कोई असली काम नहीं कर रही थी, क्योंकि यह कागजी कंपनियां थीं, जो बस जमाखर्च का हिसाब रखती हैं.”

सिंघानिया ने यह भी कहा कि उनके नीचे 8-10 काम करने वाले लोग थे, जिनके पास बही-खाता, चेक़ बुक और कंपनियों के अन्य कागजात थे.

सेबी ने 12 अक्टूबर, 2018 के अपने आदेश में पीएमसी फिनकॉर्प की 3 शेयरधारक कागजी कंपनियों- एकोनोमिक सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड, सीबर्ड रीटेल प्राइवेट लिमिटेड और सीबर्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड पर आर्थिक जुर्माना लगाया है. नवनीत सिंघानिया इन तीनों कंपनियों के डाइरेक्टर हैं. इन तीन कंपनियों पर क्रमश: एक लाख और बाकी दो पर 3-3 लाख का आर्थिक दंड लगाया गया.

पीएमसी फिनकॉर्प मामले में सेबी का आदेश कहता है- “निरीक्षण के दौरान, पीएमसी फिनकॉर्प लिमिटेड, जो बीएसई और सेबी में पंजीकृत है, के दस्तावेज़ों में यह नजर आया है कि मार्च, 2012 से अगस्त, 2014 तक इकोनोमिक सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड, एम्बेसी सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, सीबर्ड रीटेल प्राइवेट लिमिटेड और सीबर्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड के कंपनी शेयरहोल्डर में बदलाव है.”

“बीएसई द्वारा उपलब्ध जानकारियों के आधार पर सेबी ने पाया कि कंपनी के शेयरहोल्डिंग में किसी तरह के बदलाव की जानकारी कंपनी और बीएसई के सामने उजागर की जानी चाहिए. ऐसा करना सेबी की नियमावली (प्रोहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेडिंग) रेगुलेशन-1992 और (सब्सटेंशियल एक्विज़िशन ऑफ शेयर एंड टेकओवर) रेगुलेशन-2011 के तहत अनिवार्य है.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बारे में क्विंट मीडिया के प्रमोटर्स राघव बहल और ऋतु कपूर से टिप्पणी के लिए संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. उनका जवाब मिलने पर इस स्टोरी को फिर से अपडेट किया जाएगा.