Newslaundry Hindi
आईएएनएस ने प्रधानमंत्री के नाम में जोड़ा ‘बकचोद’, फिर मांगी माफी
समाचार एजेंसी आईएएनएस से तमाम मीडिया संस्थान खबरें लेते हैं. एजेंसी की फीड से खबरों की कॉपियां तैयार की जाती हैं. लेकिन क्या हो जब एजेंसी के स्तर पर ही कोई भारी चूक हो जाए?
बुधवार को केन्द्रीय कैबिनेट ने फसल की कीमतों पर एक बैठक बुलाकर फसल की कीमतों पर उचित मेहनताना देने की नीति (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) पर मुहर लगाई. यह फीड आईएएनएस की तरफ से शाम को 6.21 बजे दी गई. इस फीड में बैठक की जरूरी सूचनाएं थी. पर एक बहुत बड़ी गलती भी शामिल थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के साथ एक आपत्तिजनक शब्द ‘बकचोद’ भी जोड़ दिया जिसका अर्थ होता है आवश्यकता से ज्यादा बोलने वाला.
यह स्टोरी आईएएनएस की वेबसाइट पर लगी. हालांकि शाम सात बजते-बजते एजेंसी को इस भारी चूक का अंदाजा हो गया और उसने यह खबर अपनी वेबसाइट से उतार ली. लेकिन कुछ जरूरी प्रश्न रह गए. मसलन, प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्द लिखे होने के बावजूद कॉपी संपादकीय टेबल से पास कैसे हो गई? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह गलती एक एजेंसी से हुई है, जिसपर देशभर के तमाम मीडिया संस्थानों की नज़रें टिकी होती हैं.
एक न्यूज़ संस्थान में आदर्श स्थिति यह होती है कि कॉपी एडिटर से लेकर रिपोर्टर तक की कॉपी कई स्तरों पर फिल्टर से होकर गुजरती है. डेस्क की कॉपी को डेस्क एडिटर से गुजरने के बाद जारी किया जाना होता है. क्या एक एजेंसी के पास इस तरह के किसी फिल्टर की कोई व्यवस्था नहीं है?
आईएएनएस सूत्रों के अनुसार आईएएनएस ब्यूरो चीफ और पॉलिटकल ब्यूरो चीफ का इस्तीफा हो चुका है. मैनेजिंग एडिटर हरदेव सनोत्रा की ओर से प्रेस रीलिज जारी की गई है जिसमें आईएएनएस की ओर से प्रधानमंत्री के लिए इस्तेमाल की गई भाषा के लिए माफी मांगी गई है.
आईएएनएस ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा, “हम प्रधानमंत्री के लिए इस्तेमाल की गई असंसदीय भाषा के लिए खेद प्रकट करते हैं. यह अक्ष्मय है. हमने अपनी पुरानी स्टोरी हटा ली थी और तुरंत नई स्टोरी जारी की थी.”
साथ ही साथ आईएएनएस ने सूचित किया कि रिपोर्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और एक फौरी जांच का आदेश दिया है. इस ख़बर से संबंधित संपादक को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है.
आईएएनएस ने इस गलती के लिए अपने सब्सक्राइबर्स, पाठकों और माननीय प्रधानमंत्री से माफी मांगी है.
हालांकि, प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ही आईएएनएस ने गलती के संभावित कारणों की ओर भी ध्यान आकर्षित कराने की कोशिश की है. आईएएनएस ने लिखा, “जो भी मीडिया की कार्यप्रणाली की गंभीरता से वाकिफ हैं, वे समझते हैं कि कुछ व्यवहारिक गलतियां हो सकती हैं. लेकिन जो हुआ है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.”
आईएएनएस मे कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति खुलकर बात करने को तैयार नहीं है. वहां काम करने वाले एक संवाददाता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि यह एक टाइपोग्राफिक गड़बड़ी है जो कि ऑटोकरेक्शन की आधुनिक तकनीक के चलते हुई है. हालांकि यह तर्क गले उतरना मुश्किल है, क्योंकि प्रधानमंत्री के नाम के साथ ऐसा कोई शब्द नहीं जुड़ा है.
ऑटोकरेक्ट की खासियत यही है कि जिस शब्द का टाइपिंग में ज्यादा इस्तेमाल करें, या बोलें, तो ऑटोकरेक्ट उस शब्द को स्वत: शब्दावली में जोड़ लेता है. लेकिन ऑफिस के सेट पर कोई इस तरह के शब्द क्यों रजिस्टर करेगा. फिलहाल हमें इस मामले में और ज्यादा जानकारी का इंतजार है.
Also Read
-
TV Newsance 253: A meeting with News18’s Bhaiyaji, News24’s Rajeev Ranjan in Lucknow
-
Uttarakhand: Forests across 1,500 hectares burned in a year. Were fire lines drawn to prevent it?
-
Know Your Turncoats, Part 15: NDA has 53% defectors in phase 5; 2 in Shinde camp after ED whip
-
Grand rallies at Mumbai: What are Mahayuti and MVA supporters saying?
-
Reporters Without Orders Ep 322: Bansuri Swaraj’s debut, Sambhal violence