Newslaundry Hindi
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय पार्ट-2: छात्राओं और प्रोफेसरों ने लगाए उत्पीड़न के आरोप
“वीसी हमें स्लीवलेस कपड़े पहनकर आने पर टोकते हैं. एक दिन वीसी ने मुझे बुलाया और कहा, स्लीवलेस पहनकर आना बंद कर दो. वर्ना मैं यूनिवर्सिटी को तालिबान बना दूंगा,” महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय की छात्रा सुनीता (बदला हुआ नाम) ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया.
“हम कैंपस में लड़कों से बात नहीं कर सकते. उनके साथ खुले में बैठ नहीं सकते, घूम नहीं सकते. वीसी हमें बुला कर पूछते हैं, वह लड़का तुम्हारा क्या लगता है? उसके साथ क्यों चल रही हो?” कहते हुए शालिनी (बदला हुआ नाम) की आवाज में गुस्सा झलकने लगता है.
“हम लोग यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठे थे. वहां एक पुलिसवाला हमारा वीडियो बनाने लगा. मैंने उसका फोन छीन लिया. हमें एसपी के पास ले जाया गया. हमने एसपी से शिकायत की, वह बिना हमारी अनुमति के वीडियो बना रहा था. तो एसपी ने कहा, तुम वहां नंगा नाच कर रही थी, जो तुम्हारा वीडियो बनाने पर तुम्हें बुरा लग गया?” सुनीता ने कहा. वह दुखी होकर आगे कहती है, ऐसे में बताइए हम लोग कहां जाएं, किससे शिकायत करें.
5 अक्टूबर, 2017 को न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में हॉलीवुड के अभिनेता हार्वी वाइंस्टाइन पर यौन उत्पीड़न और यौन दुराचार के आरोप लगे थे. बाद में कई अन्य क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं ने भी अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का अनुभव साझा करना शुरू किया और इस तरह #MeToo के रूप में एक आंदोलन खड़ा हो गया. विश्वविद्यालयों और अकादमिक क्षेत्र में हड़कंप तब मचा जब राया सरकार ने अकादमिक क्षेत्र में महिलाओं के उत्पीड़न में कथित तौर पर शामिल अध्यापकों की सूची साझा की. आलोचकों ने प्रश्न उठाया कि जब लड़कियों ने शिकायत ही नहीं करवाई तो इस तरह के ‘नेम एंड शेम’ का क्या औचित्य है? उत्पीड़न की वारदातें पुरुष और महिलाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर ताकत के अनुसार निर्धारित होता है.
बिहार का मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय से जिस तरह की ख़बरें सामने आ रही हैं उनमें भी एक #MeToo आंदोलन की पूरी संभावना है. महिला शिक्षिकाएं और छात्राएं वीसी के व्यवहार और विश्वविद्यालय में वीसी समर्थित लोगों के बर्ताव से परेशान हैं. उन्होंने अपनी शिकायतें विश्वविद्यालय, स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय महिला आयोग तक से की है. लेकिन दुखद है कि अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है. इस रिपोर्टर ने कई छात्राओं और महिला प्रोफेसरों से बात की और सबने वीसी और उनके समर्थकों के आचरण पर सवाल उठाया है.
बबिता मिश्रा, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गणित विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. पहले वह गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन भी थी. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “एक दिन अचानक मेडिकल इमरजेंसी के कारण मुझे घर जाना पड़ा. मैंने छुट्टी के लिए आवेदन लिखा और प्रोवोस्ट आशुतोष प्रधान को दे दिया. कुलपति विश्वविद्यालय में उस वक्त अनुपस्थित थे. मैंने उनका इंतजार किया लेकिन जब काफी देर तक वह नहीं आए तो मैं निकल गई. मेरी छुट्टी के दौरान ही गर्ल्स हॉस्टल से एक छात्रा गायब हो गई. मुझ पर लापरवाही का आरोप लगाकर वार्डनशिप से हटा दिया गया. उसके बाद वीसी मुझ पर इस्तीफा देने का दवाब बनाने लगे.” जाहिर तौर पर ये ऐसा आरोप है जिसका दूसरा पक्ष सिर्फ वीसी या फिर विश्वविद्यालय प्रशासन ही बता सकता है. लेकिन वह अपनी तरफ से कोई जवाब देने से कतरा रहा है.
बबिता मिश्रा द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग को भेजी गई शिकायत
बबिता ने बताया कि विश्वविद्यालय में कोई ऐसा फोरम नहीं है जहां महिलाएं शिकायत कर सकें. उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग को शिकायत भेजी है. शिकायत में उन्होंने लिखा, “वीसी ने वार्डनशिप से हटाने के पहले कोई जांच तक नहीं बैठाई. मुझे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. वीसी ने आशुतोष प्रधान और दीपेश हुड्डा के सामने मुझे अपमानित किया.”
बबिता ने अपनी शिकायत में सीसीटीवी कैमरों का जिक्र करते हुए लिखा है कि उससे असुरक्षा का बोध होता है. “ऐसा लगता है हम लगातार सर्विलांस में हैं.”
बॉटनी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ. प्रतिभा सिंह ने भी वीसी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “मेरे पति गुजरात में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया था. जब उनका ट्रांसफर मुजफ्फरपुर (मोतिहारी के पास एक जिला) हो गया तो विश्वविद्यालय में एक अफवाह उड़ा दी गई वीसी ने केन्द्रीय कृषि मंत्री से बात करके मेरे पति का ट्रांसफर करवाया है. इस अफवाह के पीछे खुद वीसी का हाथ था.”
प्रतिभा आगे कहती हैं, “मैंने पहले इस पर ध्यान नहीं दिया. सोचा बुजुर्ग व्यक्ति हैं, इससे ही खुशी मिलती है तो मिले. लेकिन जब मैंने महसूस किया कि लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं और इसके बहाने मेरे चरित्र पर उंगली उठा रहे हैं, तब मैंने इसका विरोध करना शुरू किया. एक मीटिंग में सबके सामने उन्होंने कहा कि मेरे चेहरे पर जो चमक दिख रही है, वह उनके ही कारण है. मेरे पति का ट्रांसफर उन्होंने ही करवाया है.”
डॉ. प्रतिभा बताती हैं कि इतना होने के बाद भी उन्होंने कहीं भी शिकायत नहीं करवाई थी. जब विश्वविद्यालय की ही कई महिला प्रोफेसरों से हमारी बातचीत हुई, तब मालूम हुआ कि वीसी सिर्फ मेरे बारे में ही नहीं बल्कि अन्य महिलाओं के बारे में भी ऐसी ही बेहूदा बातें कर रहे हैं. तब जाकर मैंने शिकायत दर्ज करवाने का फैसला किया.
प्रतिभा ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग को अपनी शिकायत भेजी है. फिलहाल महिला आयोग ने प्रतिभा और बबिता दोनों के ही मामलों में मोतिहारी एसपी उपेन्द्र शर्मा से स्टेटस रिपोर्ट मांगा है.
डॉ. प्रतिभा सिंह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत
महिला प्रोफेसरों का यह भी आरोप है कि वीसी की शह पर उनके समर्थक (जो विश्वविद्यालय के छात्र भी नहीं है) प्रोफेसरों के लिए अपमानसूचक और निजी टिप्पणियां फेसबुक पोस्ट के जरिए करते हैं.
“मोतिहारी बिहार की एक छोटी सी जगह है. यह दिल्ली की तरह नहीं है कि अगर इस कोने में कोई आपके बारे में लिख रहा है तो आपके जीवन पर फर्क नहीं पड़ता. यहां जब मैं सड़क पर निकलती हूं तो मुझे इस तरह की टिप्पणियों का सामना पड़ता है कि अरे, ये तो वही महिला है जिसके पति का ट्रांसफर वीसी ने करवाया है,” प्रतिभा बताती हैं.
एक अन्य महिला प्रोफेसर श्वेता ने भी अपनी आपबीती न्यूज़लॉन्ड्री से साझा की. उन्होंने बताया, “एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्य ज्ञानेश्वर गौतम ने मेरे बारे में अभद्र बातें बोली हैं. यह मेरी छवि खराब करने के लिए कहा गया था. मैंने इस बाबत वीसी को शिकायत भी भेजी थी लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई.” यह किसी हैरत से कम नहीं कि एंटी-रैगिंग कमेटी के सदस्यों पर अगर इस तरह के आरोप लगते हैं और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह एक महत्वपूर्ण संस्था की संवेदनहीनता की झलक है.
छात्राओं के कपड़ों पर टिप्पणियों के संबंध में श्वेता ने कहा, “एक दिन मैं सैफरन कलर का शर्ट पहनकर विश्वविद्यालय आई थी. तकरीबन 15 लोगों के सामने वीसी ने कहा कि मैं ‘इस तरह’ के कपड़े पहनकर न आया करूं.”
असिस्टेंट प्रो. श्वेता द्वारा वीसी को भेजी गई शिकायत
“वीसी ने मुझसे कहा, तुम क्या करती हो, बच्चे तुम्हारे फैन बन जाते हैं. तुम उनके ऊपर ब्लैक मैजिक करती हो क्या?” श्वेता बताती हैं. उत्पीड़न की ऐसी कई अन्य कहानियां भी महिला प्रोफेसरों और छात्राओं ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताईं, जिन्हें दस्तावेजों के आधार पर साबित कर पाना मुश्किल है.
“यौन कुंठा से भरी टिप्पणियों को ऑन पेपर कोई कैसे साबित करे? हमने कभी सोचा ही नहीं था कि वीसी हमसे इस तरह की बेहूदी बातें कर सकते हैं. बाद में हमने रिकॉर्डिंग करना शुरू किया. लेकिन हमपर ही झूठ बोलने का इल्जाम लगा दिया गया,” ये कहते हुए एक छात्रा रो पड़ती है.
छात्राओं का आरोप है कि वीसी छात्राओं को रात को फोन करते हैं. नियमित कॉल आने का आलम यह है कि छात्राओं को वीसी का मोबाइल नंबर याद हो गया है. कई बार वह अपने पीएस दीपेश हुड्डा के नंबर से फोन करते हैं.
महिला प्रोफेसरों और सोशल मीडिया पर कथित तौर पर वीसी और एक छात्रा के बीच बातचीत का ऑडियो वायरल हो रहा है. ऑडियो में वीसी कथित तौर पर छात्रा से यह कहते सुनाई पड़ते हैं, “तुम उनसे (प्रो. श्याम नंदन) से कह दो, अगर तुमने वीसी के खिलाफ कुछ भी किया तो मैं तुम पर यौन शोषण का आरोप लगा दूंगी.”
“हमने छात्राओं के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें हिम्मत दी है. उनसे कहा गया कि, बेटा आप आवाज उठाओगे, सब आपके साथ आएंगे. कई छात्राएं जो वीसी के ही विभाग की हैं, उन्हें वीसी ने धमका कर रखा है,” महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के ज्वाइंट सेक्रेटरी मृत्युंजय ने कहा.
सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ विमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल) एक्ट, 2013 के अनुसार हर एक कार्यालय में एक कमेटी का गठन किया जाना था जहां महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें. महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अब तक यह कमेटी नहीं बनी है. ओएसडी आनंद प्रकाश ने विश्वविद्यालय के नये होने का हवाला देते हुए कहा, “महिला प्रोफेसरों की शिकायतों के बाद कमेटी का गठन किया गया है.” हालांकि वह कमेटी के सदस्यों और कार्रवाई के संबंध में कोई जानकारी नहीं दे सके.
एक छात्रा ने दावा किया कि अपने पुरुष मित्र से बात करने की वजह से वीसी ने उसके मां-बाप से शिकायत कर दी. लड़की ने बताया, “वीसी ने पापा से कहा, आप अपनी बेटी पर ध्यान दीजिए!”
विश्वविद्यालय का माहौल खराब होने के कारण छात्राएं और प्रोफेसर्स डर के साये में जीने को मजबूर हैं. डॉ. प्रतिभा ने बताया, “मुझे अपने घर से बाहर निकलने में डर लगता है. ऐसा लगता है कि कोई हमें ट्रैक कर रहा है.” असिस्टेंट प्रोफेसर श्वेता ने भी बताया, “मैं कहीं बाहर डिनर पर गई थी. यह बात वीसी के करीबी लोगों को कैसे मालूम चल गई? मतलब मैं कहां जा रही हूं, किससे मिल रही हूं- इस तरह का सर्विलांस हमारे ऊपर किया जा रही है.”
छात्राओं के अनुसार, “हमलोग यहां एडमिशन लेकर फंस गए हैं. चूंकि अब हमारा चार सेमेस्टर खत्म हो चुका है. कोर्स पूरा होने में सिर्फ आठ महीने बाकी हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय से एडमिशन कैंसिल कराने की नौबत में हमारे दो साल बर्बाद हो जाएंगें.”
महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद मीणा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि छात्राओं और महिला प्रोफेसरों की शिकायत उनके संज्ञान में है. उन्होंने कहा, “छात्राओं के कपड़ों पर टिप्पणियां होती ही है. साथ ही एक प्रोफेसर हैं अतुल त्रिपाठी, जिनसे जींस पहनकर आने पर इस्तीफे का दबाव बनाया गया था.”
कंप्यूटर साइंस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल त्रिपाठी ने बताया, “एक दिन मैं जींस पहनकर कॉलेज पहुंचा. वह सादा जींस था. इस पर मेरे डीन ने आपत्ति जताई. मैंने उनसे कहा कि वह मुझे सर्कुलर दिखाएं जिसमें जींस पहनकर विश्वविद्यालय आना मना है. इस बात को लेकर मुझे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.”
अतुल त्रिपाठी को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस
अतुल बताते हैं, “दरअसल, वीसी ने मुझे किताबों के एक खरीद ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने को दिया था. मैंने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि मैंने किताबें रिकमेंड की ही नहीं थी. उसमें एक-एक किताब 28 से 30,000 रुपये में खरीदी गई थी. इसी बात की खुन्नस में उन्होंने जींस को तूल दिया.” (न्यूज़लॉन्ड्री की पहली रिपोर्ट विश्वविद्यालय में आर्थिक अनियमितताओं पर थी)
न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कुछ प्रोफेसर्स ने बताया, “वीसी उन्हें इस्तीफा लेने की धमकी देते हैं. कहते हैं, मैं तुम्हारी सर्विस बुक खराब कर दूंगा.” कई प्रोफेसर्स ने इस बात का भी दावा किया कि उनपर वीसी ने दबाव डालकर इस्तीफा लिखवाया और उस पर दिनांक डालने नहीं दिया.
“चूंकि हमारी पहली नौकरी है. हम लोग रिसर्च करने वाले लोग हैं. हम लोगों को कहां मालूम था कि विश्वविद्यालय और अकादमिक दुनिया में हमें यह सब झेलना होगा,” डॉ. प्रतिभा ने कहा.
न्यूज़लॉन्ड्री ने वीसी प्रो. अरविंद अग्रवाल से संपर्क करने की कई कोशिशें की हैं लेकिन उन्होंने अबतक हमारे फोन कॉल, टेक्सट मैसेज और ईमेल का जवाब नहीं दिया है.
जाहिर हैं महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर अरविंद अग्रवाल के ऊपर वहां की महिला शिक्षिकाओं और छात्राओं ने कुछ बेहद संगीन आरोप लगाए हैं. इस मामले में अपना पक्ष रखने और बचाव करने की जिम्मेदारी खुद उनकी है. अब तक वो न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने या उसके सवालों का जवाब देने से बचते रहे हैं. उनकी चुप्पी उनके ऊपर लगे आरोपों के दाग को गाढ़ा ही करेगी. हमें उनके जवाब का बेसब्री से इंतजार है.
(महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय पार्ट 1: अनियमितता, अफवाह, षड्यंत्र और हिंसा का विश्वविद्यालय यहां पढ़ा जा सकता है.)
Also Read
-
‘Merciless’ assault, ‘abused’, men detained for shooting videos: 24 hours in UP’s Sambhal
-
TV Newsance 252: Modi’s emotional interview with Times Now’s Sushant and Navika
-
Hafta 484: Modi’s Adani-Ambani dig, UP and Maharashtra polls, BSP scion’s sacking
-
Know Your Turncoats, Part 13: In Maharashtra’s 7, Ajit loyalist who joined Pawar Sr, MP with Rs 105 cr
-
‘Punched me 200 times’: Journalist beaten, ‘locked up’ at Amit Shah’s UP rally