Newslaundry Hindi
महाराष्ट्र से फिर सिर उठाता हिंदुत्व का आतंक
एक दशक पहले मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र के अतंकवाद विरोधी दल (एटीएस) द्वारा हिंदुत्व कार्यकर्ता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित गिरफ्तार हुए थे. इसके बाद पूरे देश में ‘भगवा आतंकवाद’ पर बहस शुरू हुई थी. शुक्रवार को तीन हिंदुत्व कार्यकर्ताओं की कई शहरों में बम विस्फोटों की साजिश रचने के आरोप में हुई गिरफ्तारी के बाद यह सिलसिला फिर से शुरू हो गया है.
जेल में नौ साल की सजा काटने के बाद एक साल पहले ही जमानत पर रिहा हुए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्राज्ञा पर 2008 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में हुए विस्फोटों की कथित रूप से साजिश रचने का आरोप था. इसमें सात लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए थे.
शुक्रवार को महाराष्ट्र एटीएस द्वारा कई जगहों पर की गई छापेमारी में वैभव राउत (40) को गिरफ्तार किया गया. मुंबई के नजदीक नाला सोपारा इलाके में उसके बंगले और दुकान से विस्फोटक सामग्री, हिंसक साहित्य और जहर की दो बोतलों के साथ 20 देसी बम (क्रूड बम) जब्त किया गया.
साथ ही उसी समय उनके दो सहयोगियों शरद कालस्कर (25) और सुधानवा गोंधलेकर (39) को भी पालघर और पुणे से गिरफ्तार किया गया. तीनों ही आरोपियों को 18 अगस्त तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. उनके पास से वाहनों की छह अलग-अलग नंबर प्लेटे भी जब्त की गई है जिसने एजेंसियों को हैरत में डाल दिया है.
वैभव राउत, एक रीयल इस्टेट एजेंट है जो गौरक्षा का काम करने वाली संस्था हिंदू गौरक्षा समिति का संयोजक भी है. उसके संबंध सनातन संस्था से भी बताए जा रहे हैं जिसका हाथ दाभोलकर और पानसारे की हत्या में आ चुका है. सनातन संस्था ने वैभव राउत से संबंध होने से इनकार किया है. कहा जा रहा है कि राउत हिंदू जनजागृति समिति के साथ भी जुड़ा हुआ है.
दूसरी तरफ कालस्कर सनातन संस्थान से जुड़ा हुआ है, जबकि गोंधलेकर कथित रूप से ‘शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान’ से जुड़ा हुआ है. इसी संगठन के नेतृत्व में साल के शुरुआत में संभाजी कोरेगांव की हिंसा हुई थी. जिसमें इसके अध्यक्ष आरोपी संभाजी भिड़े उर्फ भिड़े गुरुजी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
पुलिस बंगलोर में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में भी राउत की भूमिका की जांच कर रही हैं. राज्य एटीएस चीफ अतुलचंद्र कुलकर्णी ने पत्रकारों को बताया, “हमने आईपीसी के तहत आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. एटीएस ने अपनी जांच तेज कर दी है और आर्म्स एक्ट को एफआईआर से जोड़ दिया है.”
एक अधिकारी ने बताया कि तीनों आरोपियों के सोशल मीडिया पेज और फोन पर भी नजर रखी जा रही है ताकि मामले को और मजबूत बनाया जा सके.
शनिवार को पुलिस ने 16 मुखबिरों से भी पूछताछ की है. पुलिस को शक है कि ये सभी इस मामले से जुड़े हो सकते हैं. ये सभी मुखबिर नाला सोपारा, पुणे, सतारा और सोलापुर से ताल्लुक रखते हैं, जो कि संदिग्धों का पुराना इलाका रहा है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये एक संगठित आतंकी दल का हिस्सा हैं, जो पूरे राज्य में अराजकता फैलाने का इरादा रखते हैं.
विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने आरोप लगाया कि आरोपी बकरीद (22 अगस्त) के दौरान विस्फोट की योजना बना रहे थे. उन्होंने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. हालांकि “भगवा आतंक” शब्द का प्रयोग उन्होंने नहीं किया है.
विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी ने साल 2012 में भी इस संस्था पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. यह मामला अभी भी केंद्र में लंबित है.
कैसे हुआ आतंकी साजिश का खुलासा
गौरी लंकेश की हत्या मामले में अमोल काले की गिरफ्तारी के बाद से वैभव राउत पर पुलिस पिछले कुछ समय से निगाह रख रही थी. इस मामले को लेकर पुलिस हर कदम बेहद फूंक-फूंककर रख रही है. पुलिस को लगातार इस बात के संकेत मिल रहे थे कि बकरीद से पहले राउत के घर के अलावा कई स्थानों पर विस्फोटक सामग्री और हथियार की जमाखोरी की जा रही है.
गुरुवार को लगभग 4 बजे, पुलिस एक मुस्लिम बहुल आबादी वाले क्षेत्र, भंडार अली, नाला सोपारा (पश्चिम) के बंगले में पहुंची. उसी शाम, फोरेंसिक विशेषज्ञों, बम डिटेक्शन और डिस्पोज़ल स्क्वाड और डॉग स्क्वाड ने राउत के बंगले और दुकान पर छापा मारा जहां वो अपना रियल इस्टेट का कारोबार चलाता था. जांच दल शुक्रवार की सुबह राउत के बंगले और दुकान से जब्त की गई विस्फोटक और हथियारों को अपने साथ ले गया.
रियल इस्टेट एजेंट उर्फ गौरक्षक
मुंबई के समीप नाला सोपारा में वैभव राउत एक लोकप्रिय नाम है. वह विवाहित है और उसके दो बच्चे हैं- एक लड़का और एक लड़की. सूत्रों ने यह जानकारी न्यूज़लॉन्ड्री को दी.
राउत का अपने इलाके में काफी दबदबा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों ने रविवार को इलाके में बंद का आह्वान किया था. नवंबर 2014 में भी, जब उसने एक स्थानीय बूचड़खाने पर गौहत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था तब कुरैशी समुदाय के लोगों ने भी राउत के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. विरोध स्वरूप अगले दिन, स्थानीय लोगों ने बंद का आयोजन किया था.
“हम दशकों से उसके करीब रहते आ रहे हैं और हमने कभी भी उसकी दुकान या घर पर कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं महसूस किया. वह समाज में हिंदू चेतना का प्रसार करने का कार्य करता है,” वैभव राउत के पड़ोसी अमोल राउत ने बताया.
हिंदू गौरक्षा समिति के संस्थापक और संयोजक होने के कारण उसे इस इलाके में काफी प्रतिष्ठा और प्रभाव हासिल हुआ है. समिति एक तरह का स्वयंसेवी समूह है जो गौरक्षा का काम करता है. इसके सदस्यों की उम्र 15 से 55 वर्ष के बीच है. यह समिति सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति के साथ मिलकर काम करती है. दोनों ही संगठनों की महाराष्ट्र और गोवा में गहरी घुसपैठ है.
गौरक्षक राउत अक्सर सोपारा गांव के नजदीक मवेशियों को ले जाने वाली गाड़ियों को रोककर चेकिंग किया करता था. स्थानीय लोगों के मुताबिक उसने कई मवेशियों का वध होने से बचाया, वह भी तब जब राज्य सरकार ने बीफ पर प्रतिबंध का बिल भी पारित नहीं था.
2015 से अब तक राउत ने 30 छापे मारे हैं और मवेशी व्यापारियों पर पांच मुकदमे दर्ज करवाए हैं. पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है और अब तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है, सूत्रों ने बताया. पालघर पुलिस ने राउत को ‘हिंसक’ और ‘आक्रामक’ बताया है.
स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से राउत हिंदुत्व का कट्टर समर्थक रहा है. हालांकि वह मांस खाने वाले भंडारी समुदाय से ताल्लुक रखता है, लकिन पिछले कुछ समय से उसने शाकाहार अपना लिया था और शाकाहार का प्रचार-प्रसार करता रहता है, उसे जानने वाले बताते हैं.
हिंदू संगठनों ने खुद को अलग किया
सनातन संस्था ने राउत से अपना किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है. सनातन संस्था के कानूनी मामलों के जानकार संजीव पुनालेकर कहते हैं, “राउत गायों और हिंदू समुदाय के लिए काम करता है. हमारा संगठन ऐसे लोगों का समर्थन करता है. लेकिन वह कभी भी संस्था का सदस्य नहीं रहा. फिर भी एटीएस ने उसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार के इशारे पर झूठ-मूठ में फंसाया है. हिंदू गतिविधियों के खिलाफ एटीएस के पुराने केस पहले भी कोर्ट में खारिज हो चुके हैं.” दिलचस्प यह है कि संजीव पुनालेकर इस मामले में राउत की कानूनी मदद भी कर रहे हैं.
जब उनसे पूछा गया कि क्यों एक दक्षिणपंथी सरकार हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता को फंसाएगी तो पुनालेकर ने कहा, “वह ऐसा आगामी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए कर रहे हैं. भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का साथ चाहती है क्योंकि बहुत संभव है कि शिवसेना गठबंधन का साथ छोड़ दे. एनसीपी को खुश करने के लिए, भाजपा हमें बदनाम कर रही है. हमें तनिक भी हैरानी नहीं होगी अगर फड़ण्वीस सरकार हमारी संस्था को प्रतिबंधित कर दे.”
पुनालेकर ने राउत की गिरफ्तारी के तरीके पर प्रश्न खड़ा किया और कहा कि एटीएस ने राउत को गिरफ्तार करने में नियमों का पालन नहीं किया है. राउत के पास से बरामद चीज़ों का पंचनामा नहीं किया गया और उन्हें कस्टडी में ले जाते हुए उनके चेहरे को “बुर्के” से ढका गया.
इसी तरह एक और गिरफ्तार आरोपी गोंधलेकर से भी उसकी संस्था शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान ने पल्ला झाड़ लिया है. शिव प्रतिष्ठान के कार्यकर्ता नितिन चौगले ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “पिछले चार वर्षों से गोंधलेकर से हमारे कोई संबंध नहीं है.”
हिंदू जनजागृति समिति ने राउत की गिरफ्तारी को मालेगांव पार्ट 2 की संज्ञा दी है और इसे हिंदू संगठनों का लगातार उत्पीड़न बताया. उन्होंने बताया कि साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित की ही तरह उन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है. “राउत ने गोवा में हमारे साथ हिंदू अधिवेषन में भाग लिया था. उन्होंने हमारे साथ मंच साझा किया लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम उससे जुड़े हैं,” हिंदू जनजागृति समिति के रमेश शिंदे ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा.
मालेगांव घटना के एक दशक बाद इस घटना ने एक बात फिर से साफ कर दी है कि महाराष्ट्र में हिंदुत्ववादी हिंसा और आंतक की जड़ें काफी गहरी हैं.
Also Read
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
I&B proposes to amend TV rating rules, invite more players besides BARC
-
Scapegoat vs systemic change: Why governments can’t just blame a top cop after a crisis
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else