Newslaundry Hindi
यह मौका है जब प्रधानमंत्री बोलते और सारा देश सुनता
मुजफ्फरपुर बालिका गृह के कुकर्म पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बोल लिया. देवरिया बालिका गृह में हुए धतकर्मों पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुन लिया. अब पीएम मोदी से सुनने की अपेक्षा है. उनकी चुप्पी तोड़ने का वक्त है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करने वाले पीएम मोदी दो बड़े सूबों में बेटियों के साथ हुई इन त्रासद घटनाओं पर चुप रहें तो चुप्पी अखरती है.
पीएम की चुप्पी तब और अखरती है, जब वो सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए हर रोज ट्वीट कर रहे हैं. उज्ज्वला से लेकर स्वच्छ भारत योजना की कामयाबियों के झंडे फहराने वाली सूचनाओं को अपने ट्विटर हैंडल पर लगातार शेयर भी कर रहे हैं और अपने समर्थकों को जवाब भी दे रहे हैं. बालिका गृहों में बेटियों के साथ हुई जघन्यतम अपराध, बलात्कार और सामूहिक यौन शोषण पर प्रधानमंत्री का ‘दो शब्द’ भी खर्च न करना तब सवाल खड़े करता है, जब वो किसी मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई से लेकर करुणानिधि के शोक संदेश तक के लिए उपलब्ध हैं. प्रचार, प्रसार, खुशी और ग़म की खबरों वाले पीएम के ट्विटर हैंडल का मुआयना करने के बाद किसी को पता भी नहीं चलेगा कि देश की बेटियों के साथ इतना बड़ा अपराध हुआ है. ऐसा क्यों?
प्रधानमंत्री संसद के भीतर या बाहर कैमरों के सामने न बोलें तो भी कोई बात नहीं लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल के मामले में सबसे ‘प्रखर और स्मार्ट’ प्रधानमंत्री के दोनों ट्विटर हैंडल पर इतने बड़े कांड को लेकर सन्नाटा क्यों हैं? अब तो सुप्रीम कोर्ट तक ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की सुनवाई के दौरान कह दिया है कि देश में लेफ्ट, राइट और सेंटर हर ओर दुष्कर्म हो रहे हैं, फिर भी इन्हें रोका क्यों नहीं जा रहा है? देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के आंकड़े भी नए सिरे से सामने आए हैं. दस दिन की चुप्पी के बाद कम से कम अब तो आपका बोलना बनता है प्रधानमंत्री जी. सिर्फ नारे गढ़ने और नारे लगाने से नहीं बचेगीं बेटियां. उन्हें बचाना भी होगा.
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की सीबीआई जांच के आदेश के दो हफ्ते हो गए. नेशनल मीडिया में खुलासे के तीन हफ्ते हो गए. बिहार में विरोधियों का बंद हो गया. दिल्ली में विरोधियों का प्रदर्शन हो गया. संसद में विपक्ष का हंगामा हो गया. सड़क पर जनता का विरोध मार्च हो गया. और तो और मुजफ्फरपुर कांड को लेकर जब ये सब हो रहा था, तभी यूपी के देवरिया से भी ऐसी ही शर्मनाक खबरें आ गई. पूरे देश में हंगामा मचा है लेकिन पीएम की तरफ से चुप्पी है. आप जंतर मंतर पर कैंडल मार्च और प्रदर्शन करने वाले राहुल गांधी, तेजस्वी, शरद यादव, येचुरी, केजरीवाल जैसे नेताओं को मत दीजिए जवाब. बिहार, यूपी और देश की जनता को तो दीजिए, जिससे आप वोट मांगते हैं. जिनके प्रति आपकी जवाबदेही है. ऐसे तमाम मौकों पर आपकी चुप्पी, आपका मौन खलता है.
देवरिया के बालिका गृह से भागकर थाने पहुंची दस साल की एक बच्ची ने वैसी ही दास्तान सुनाई, जैसी मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम की बच्चियां पहले टाटा इंस्टीट्युट ऑफ सोशल साइंसेज की ऑडिट टीम को और फिर पुलिस एवं मीडिया को सुना चुकी थी. देवरिया के बालिका गृह की बच्ची ने वहां के संचालकों के घिनौने चेहरों से नकाब उतारते हुए कहा कि ‘रात में सफेद और काले रंग की गाड़ियां लड़कियों को लेने आती थी. बालिका गृह की मैडम उन्हें भेज देती थी और सुबह जब ये लड़कियां आती थीं तो सिर्फ रोती थीं.’
इस शर्मनाक खुलासे के बाद बालिका गृह से दो दर्जन बच्चियां छुड़ाई गईं. कई अब भी लापता है. योगी सरकार ने जांच का आदेश दे दिया है. अफसरों के तबादले कर दिए गए लेकिन ऐसे बालिका गृहों को चलाने और संरक्षण देने वाले सरकारी सिस्टम के सड़ांध से भी पर्दा उठ गया. बेटियों को बढ़ाने और पढ़ाने के सबसे बड़े पैरोकार और इस मुहिम के ब्रांड अबेंस्डर मोदीजी पूरे मामले पर चुप हैं.
दोनों राज्यों में एनडीए और बीजेपी की सरकारें हैं लिहाजा होना तो ये चाहिए था कि अब तक प्रधानमंत्री सामने आकर पूरे सिस्टम से कीचड़ को साफ करने और करवाने का ऐलान करते हुए कुछ भरोसा देते. कहते कि देश हो या प्रदेश, किसी भी सूरत में किसी भी बालिका गृह, महिला सुधारगृह या ऐसे शेल्टर होम में भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाएं न हो, इसके लिए हमने ये-ये इंतजाम किए हैं, और राज्य सरकारों को ये-ये निर्देश दिए हैं.
कम से कम ऐसी स्थिति में राहुल गांधी से लेकर तमाम विपक्ष ये तो सवाल नहीं उठा पाता कि पीएम चुप क्यों हैं?
राज्यों के शेल्टर होम का मामला राज्य सरकारों के अधीन आता है लेकिन मौजूदा दौर में बीस राज्यों में बीजेपी और उसके घटक दलों की सरकारें हैं. इन राज्यों में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने या सत्ता पर टिकाए रखने के लिए पीएम मोदी ही अश्वमेध का घोड़ा लेकर निकलते हैं. विरोधियों को ललकारते हैं. बलात्कार की घटनाओं से लेकर बेटियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर विपक्ष का मान मर्दन करते हैं और ‘अपनी सरकार’ बनाने के लिए वोट मांगते-बटोरते हैं. तो फिर ऐसे मौके पर वे चुप क्यों हैं.
उम्मीद का पहाड़ जगाते वक्त मैदान में आप हों, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे आप लगाएं और जब सरकारी शेल्टर होम्स में सामूहिक दुषकर्म की खबरें आएं, सड़े हुए सिस्टम की शिकार बेसहारा और लाचार बेटियां गुहार लगाएं तो आप चुप हो जाएं. आपका चुप हो जाना खलता है प्रधानमंत्रीजी. आप मुखर हैं. बोलने के लिए जाने जाते हैं तो फिर देश जैसे ऐसी त्रासदियों से गुजरते हुए शर्मशार होता है तो मौन क्यों साध लेते हैं?
मुजफ्फरपुर और देवरिया के बाद भी अगर सरकारों की कुंभकर्णी नींद खुल जाए तो हर राज्य में सरकार की नाक के नीचे, सरकारी पैसे से चल रहे ऐसे सैकड़ों शेल्टर होम्स की असलियत सामने आ जाएगी. यूपी के ही हरदोई स्वाधार गृह में भी चल रहे गोरखधंधे की खबरें कल ही आई हैं. देश के कई राज्यों में चल रहे शेल्टर होम्स में लड़कियों के साथ अभद्र और अश्लील व्यवहार की खबरें आती रहती हैं. शेल्टर होम्स के संचालकों की करतूतों से तंग आकर मजबूर और बेसहारा लड़कियों के भागने की खबरें भी आए दिन अखबार के किसी कोने में छपी दिखती है. उन खबरों का संज्ञान कौन लेता है? किस राज्य के मुख्यमंत्री ने अब तक अपने राज्य के सभी शेल्टर होम्स का सख्ती से जांच या ऑडिट कराया है? खानापूर्ति वाली जांच तो मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की भी होती थी और अधिकारी क्लीन चिट देकर उपकृत होते रहते थे. ऐसी जांचों से कहां पता चलेगा कि बालिका गृहों के भीतर लड़कियों को किस हद तक टार्चर किया जा रहा है या शोषण किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री जी, जरुरत इस बात की है कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक बुलाकर ऐसे शेल्टर होम्स के सुधार के लिए त्वरित योजना बने. बलात्कार की घटनाएं एमपी और यूपी में सबसे अधिक होती है. बलात्कार के आंकड़ों में दोनों सूबे एक दूसरे को मात देते नजर आते हैं. कभी कोई अव्वल होता है तो कभी कोई. हरियाणा और राजस्थान भी पीछे नहीं हैं. दिल्ली तो नंबर वन है ही, जहां पीएम, एचएम से लेकर देश की सत्ता की धुरी टिकी है.
बीते दो साल के दौरान मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान समेत कई राज्यों के बालिका गृहों से लड़कियों के भागने, गर्भवती होने, टार्चर किए जाने और सड़ा हुआ घटिया खाना दिए जाने की खबरें भी आई हैं.
अखिलेश राज में ही बरेली बालिका गृह की लड़कियों ने अपने सेंटर संचालकों की करतूतों का खुलासा करते हुए चिट्ठी लिखी थी. इसी साल के मई महीने में भोपाल के एक बालिका गृह में कुछ लड़कियों ने नंगा करके पीटे जाने और अश्लील हरकतें करने की शिकायतें की थी. ऐसी शिकायतों की जांच अगर नए सिरे से होने लगे तो मुजफ्फरपुर और देवरिया जैसे खुलासे हर राज्य के कई-कई सेंटर से होने लगेंगे. इन बालिका गृहों में कई स्तरों पर गड़बड़ियां होती हैं. करोड़ों-अरबों के फंड के घोटाले होते हैं. लड़कियों की तादाद ज्यादा दिखाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया जाता है. ये सब नीचे से ऊपर तक की साठगांठ के बिना मुमकिन नहीं. अब ऊपर वाला कितना ऊपर बैठा है, ये तो जांच से ही पता चलेगा.
देवरिया शेल्टर होम के संचालकों ने सेंटर बंद करने के आदेशों के बाद भी जिस तरह के पूरे सिस्टम को ठेंगा दिखाकर अपना धंधा जारी रखा, उससे पता चलता है कि ऐसे लोगों कि हिमाकत किस हद तक है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिले के डीएम समेत कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश तो दे दिए हैं लेकिन जांच तो पूरे सिस्टम की होनी चाहिए कि कैसे ये सब होता रहा?
शेल्टर होम की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उसका कुनबा किन लोगों के बूते इतना ताकतवर था कि उसके कुकर्मों को सब नजरअंदाज करते रहे और वो शेल्टर होम चलाकर करोड़पति बन गया. मुजफ्फरपुर के ब्रजेश ठाकुर के सियासी रिश्ते और हर दल के नेताओं से चार दशकों की पुश्तैनी सेटिंग के किस्से आप लगातार पढ़ ही रहे होंगे.
तमाम राज्यों में एनजीओ के नाम पर ठेके ऐसे ही रसूखदार और ऊंची पहुंच वाले लोगों को मिलते हैं. अब जरुरत इस बात की है कि देश के हर राज्य में ऐसे हर सरकारी शेल्टर होम्स की जांच हो. दोषी और लापरवाह अफसरों, नेताओं और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई ऐसी हो कि नजीर बने. ये तभी मुमकिन है जब देश की सत्ता के साथ-साथ बीस राज्यों की सत्ता पर काबिज बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ये तय कर दें कि अब मुजफ्फरपुर और नहीं…
Also Read
-
5 dead, 50 missing: Uttarkashi floods expose cracks in Himalayan planning
-
When caste takes centre stage: How Dhadak 2 breaks Bollywood’s pattern
-
Modi govt spent Rs 70 cr on print ads in Kashmir: Tracking the front pages of top recipients
-
What’s missing from your child’s textbook? A deep dive into NCERT’s revisions in Modi years
-
August 7, 2025: Air quality at Noida’s Film City