Newslaundry Hindi
एनएल एक्सक्लूज़िव: रेल मंत्री के हवाई शौक
ज्यादातर केंद्रीय मंत्री बेहद व्यस्त होते हैं, अक्सर उनकी दिनचर्या भी निश्चित नहीं होती. यह सब कुछ आपको रेलमंत्री के चार्टर्ड प्लेन और एक ही यात्रा की कई सारी बुकिंग के कारण हुए मोटे भुगतान में नज़र आएगा.
भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा सरकारी खजाने के दुरुपयोग की तहकीकात की इस श्रृंखला के तहत, रेल मंत्रालय के कामकाज की जांच में यह बात सामने आई है कि रेलवे अफसरों ने नियमों को ताक पर रखकर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को 2017 से अब तक उन्हें कई मौकों पर चार्टर्ड विमान उपलब्ध करवाए हैं. इसके चलते सरकारी खजाने पर यानी जनता के पैसे का अनुमानित खर्च 15-20 गुना ज्यादा हुआ. अगर गोयल सामान्य प्लेन से यात्रा करते तो यह गैरजरूरी खर्च बचाया जा सकता था.
रेल मंत्रालय की नियमावली इस मामले में स्पष्ट है. कोई मंत्री या अधिकारी चार्टर्ड प्लेन सिर्फ उसी हालत में ले जा सकता है जब कोई बड़ा हादसा हुआ हो. रेलमंत्री अपने आधिकारिक कामकाज के लिए चार्टर्ट प्लेन का इस्तेमाल सिर्फ तभी कर सकता है जब वह किसी एक्सिडेंट साइट का निरीक्षण करने जा रहा हो.
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में शपथ ग्रहण के बाद मितव्ययिता और आत्मसंयम का आह्वान किया था. नियमावली भी स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी सरकारी अधिकारी और मंत्री सिर्फ एयर इंडिया के विमान से ही यात्रा कर सकता है, जब तक की कोई आपात स्थिति न हो और मंत्री को तत्काल कहीं पहुंचना हो. इसके बावजूद रेलवे के अधिकारियों ने पीयूष गोयल और उनके दो मातहत राज्य मंत्रियों को निजी एयरलाइन से यात्राएं करवाई.
सिर्फ इतना ही नहीं, मंत्री के कार्यालय से एक ही दिन में, एक ही गंतव्य के लिए दो से तीन हवाई टिकट बुक किये गए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीयूष अपनी फ्लाइट मिस न कर दें. यह सारा खर्चा करदाताओं के पैसे से किया जा रहा है.
सितम्बर 2017 में, केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के कुछ दिनों बाद ही पीयूष गोयल के कार्यालय से दिल्ली से सूरत और बाद में मुंबई के लिए चार्टर्ड विमान किराये पर लेने के लिए अनुरोध किया गया था. चार्टर्ड विमान किराए पर लेने के अनुरोध के जवाब में, उत्तर रेलवे की अतिरिक्त महाप्रबंधक, मंजू गुप्ता ने रेलवे बोर्ड को लिखा: “शेड्यूल ऑफ़ पावर, (महाप्रबंधक के अधिकार) के भाग- ए, अनुच्छेद 58 के अनुसार जीएम/ डीआरएम हेलीकॉप्टर या एयरप्लेन के लिए अनुरोध कर सकते हैं. सिर्फ गंभीर दुर्घटना की स्थिति में जहां पर जल्दी पहुंच कर घायलों एवं मृत लोगों को घटनास्थल से बाहर निकलना हो. माननीय एमआर (रेल मंत्री) को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है जिसमें वे चार्टर्ड विमान या हेलीकॉप्टर किराये पर बुक करवा कर ले जा सकें.”
न्यूज़लॉन्ड्री के पास वह पत्र मौजूद है. पत्र में यह भी कहा गया है कि रेलवे बोर्ड को इस संबंध में उचित प्रावधान करने चाहिए क्योंकि भविष्य में भी ऐसी मांग (चार्टर्ड प्लेन के लिए) उठायी जा सकती है”. पत्र में यह प्रस्ताव भी रखा गया है कि रेलवे बोर्ड को, यदि जरूरी है तो, पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) का निर्माण करना चाहिए जो चार्टर्ड विमानों के संबंध में निर्णय ले सकें. पत्र मिलने के बाद रेलवे बोर्ड ने बिना समय गंवाए भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) को मंत्री के लिए चार्टर्ड विमान किराये पर लेने के लिए अधिकृत तौर पर नियुक्त कर दिया.
हालांकि, पीयूष गोयल ने बाद में अपनी सूरत यात्रा को स्थगित कर दिया था.
बाद में, न्यूज़लॉन्ड्री को मिले रेलवे रिकॉर्ड के अनुसार, आईआरसीटीसी ने कम से कम तीन मौकों पर पीयूष के लिए चार्टर्ड विमान बुक किए. उन्हें भूमि पूजन, व्यापारियों से मिलने के लिए और मंदिरों में देवताओं को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने जैसे मौकों के लिए विशेष विमान उपलब्ध कराये गए. इन सभी यात्राओं में लाखों रुपये का खर्च हुआ. जाहिर है इसमें किसी तरह की आकस्मिक स्थिति नहीं थी.
मौजूदा रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीयूष पहली बार अपनी पत्नी सीमा गोयल और अपने निजी सचिव के साथ मुंबई-बेलगाम-दिल्ली की तीन दिवसीय यात्रा (9-11 फरवरी 2018) पर चार्टर्ड विमान से गए थे जिसका खर्चा लगभग 13 लाख रुपये आया था. उनकी दूसरी चार्टर्ड उड़ान शनि शिंगणापुर-शिरडी-तुलापुर (इन तीर्थस्थानों को उनके मंदिरों के लिए जाना जाता है) और बाद में 2 अप्रैल को लातूर के लिए थी. 2 जून को उन्होंने दिल्ली से जोधपुर और फिर वापस दिल्ली के लिए 10 लाख खर्च करके चार्टर्ड विमान बुक किया.
पीयूष गोयल ने एक बार तो चार्टर्ड विमानों की उड़ान से ज्यादा खर्चा प्रतीक्षा पार्किंग के मद में किया है. आप खुद वो दस्तावेज देख सकते हैं – पीयूष गोयल के कार्यालय ने उनका बेलगाम का तीन दिवसीय कार्यक्रम बनाया. एक चार्टर्ड विमान को एयरपोर्ट पर प्रतीक्षा शुल्क के रूप में प्रति घंटे 2 से 3 लाख रुपये देना होता है.
कार्यक्रम के अनुसार, वह 10 फरवरी को 10 बजे सुबह बेलगाम पहुंचे. इसके बाद से उनका चार्टर्ड विमान 11 फरवरी को शाम 8:15 बजे तक खड़ा रहा और फिर यह अपने गंतव्य, दिल्ली के लिए उड़ा. जब विमान उनके इंतजार में खड़ा था, उस दौरान पियूष गोयल सड़क मार्ग से एक ओवर ब्रिज साइट का निरिक्षण करने गए, बेलगावी रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की, बेलगावी रेलवे स्टेशन से दक्षिण पश्चिमी रेलवे जोन पर यूटीएस मोबाइल टिकटिंग ऐप का उद्घाटन किया और स्टेशन बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के काम का निरिक्षण किया.
पीयूष गोयल ने लगभग एक घंटे तक उद्योगपतियों और चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के सदस्यों से भी मुलाकात की. यह मुलाकात आने वाले वार्षिक बजट और रेलवे के बुनियादी ढांचे के बारे में उन लोगों के विचार जानने के लिए थी.
अगर पीयूष ने बेलगाम के लिए बिज़नेस क्लास में भी किसी नियमित विमान से यात्रा की होती तो वापसी तक का खर्च लगभग 50,000 रुपये होता. लेकिन करदाताओं के ऊपर गोयल के चार्टर्ड विमान का खर्चा आया लगभग 13 लाख रुपये.
अप्रैल में लातूर के लिए अपनी चार्टर्ड उड़ान के दौरान, पीयूष पहले मंदिर में पूजा-पाठ करने गए. अपने भाषण में उन्होंने कहा भी, “मैं भाग्यशाली हूं कि आज सुबह शनि शिंगणापुर मंदिर में दर्शन प्राप्त हुए, मैंने शिरडी में साईं बाबा का आशीर्वाद लिया और फिर लातूर आने से पहले तुलजापुर में मां भवानी का आशीर्वाद लिया.” पीयूष ने लातूर में कोच फैक्ट्री का भूमि पूजन करने के साथ ही अपने दौरे का समापन किया. चार्टर्ड विमान के लिए खजाने से 20-25 लाख रुपये का खर्चा किया गया.
अगर उनकी वेबसाइट की मानें तो पीयूष अपने परिवार के साथ अक्सर शनि शिंगणापुर जाते हैं. उनकी वेबसाइट के अनुसार, 26 अक्टूबर 2016 को वे अपनी पत्नी और बेटे ध्रुव के साथ शनि शिंगणापुर गए थे.
इसके अलावा, हाल ही में उन्होंने विशेष चार्टर्ड विमान से जोधपुर की यात्रा की, जहां उन्होंने हमसफ़र जोधपुर-बांद्रा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई, इस यात्रा का खर्चा करदाताओं पर 10 लाख से थोड़ा ज्यादा पड़ा.
आश्चर्य होता है, मंत्रीजी के निजी एवं व्यावसायिक कारणों की वजह से उनके लिए चार्टर्ड विमानों को किराये पर लिया गया था, लेकिन 2017-18 के दौरान हुए 73 रेल हादसों के दौरान यात्रियों को बचाने के लिए कोई हेलीकॉप्टर या विमान नहीं लिया गया था. इसके अलावा, गुप्ता ने अपने पत्र में बताया था कि रेलवे अधिकारी हेलीकॉप्टर या विमान के लिए अनुरोध सिर्फ गंभीर दुर्घटनास्थल पर जाने के लिए या दुर्घटनास्थल से घायलों और मृतकों को निकालने के लिए कर सकते हैं. बावजूद इसके मंत्रीजी के लिए दुर्घटनास्थल जाने के लिए निजी विमान किराये पर नहीं लिया गया.
लगता है सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के बजाय निजी एयरलाइन्स द्वारा यात्रा करना मंत्रियों का फैशन बन गया है. यह सब नरेंद्र मोदी के 2014 के ‘मितव्ययिता एवं आत्मसंयम’ के निर्देशों के बावजूद हो रहा है. 2016 में इन नियमों में थोड़ी सी ढील दी गई. इसके तहत निजी विमान कंपनियों से यात्रा करने के लिए पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी. साथ ही कोई सरकारी कर्मचारी सिर्फ अंगों के प्रत्यारोपण की स्थिति में ही निजी एयरलाइन से यात्रा कर सकता है.
लेकिन इन नियमों को भी तोड़ा गया और दस्तावेज बताते हैं कि मंत्री ने यात्रा खत्म करने के बाद अनुमति मांगी. रेलवे ने 2016 से अब तक पीयूष गोयल, उनके साथी मंत्री राजेन गोहेन और मनोज सिन्हा और उनके पूर्ववर्ती मंत्री सुरेश प्रभु, मंत्रियों के रिश्तेदारों, सहयोगियों, और उनके निजी कर्मचारियों के लिए 1023 हवाई यात्राएं वित्त पोषित की हैं.
रेलवे के रिकॉर्ड के मुताबिक, पीयूष गोयल ने एक साल से भी कम समय में 80 बार निजी एयरलाइन्स से यात्रा की और उनके पूर्ववर्ती सुरेश प्रभु और उनकी पत्नी उमा प्रभु ने अपने कार्यकाल के दौरान 105 बार निजी एयरलाइन्स से यात्रा की.
पीयूष और उनके साथी मंत्री प्रभु से ज्यादा व्यस्त लगते हैं. राज्य मंत्री राजेन गोहेन, उनकी पत्नी रीता गोहेन, उनके तीन बेटे- देव बी गोहेन, देब्रता गोहेन और वरुण गोहेन- और तीन बेटियां- मेघना गोहेन, सुष्मिता गोहेन और अंतरा गोहेन ने निजी एयरलाइन्स द्वारा 177 बार यात्रा की. मनोज सिन्हा और उनकी पत्नी नीलम सिन्हा ने 109 निजी उड़ानों के लिए रेलवे को बिल भेजा!
शेष 1023 निजी उड़ानें उनके परिचरों, सहयोगियों, और निजी कर्मचारियों के लिए थी. हर बार मंत्रीजी के कार्यालय से यही दलील दी गई- ‘माननीय मंत्री के व्यस्त कार्यक्रम’ और ‘एयर इंडिया की उपयुक्त उड़ानों की अनुपलब्धता’ के चलते ऐसा हुआ.
एयर इंडिया की बहुत सी उड़ानें मुंबई और बंगलुरू जैसे मेट्रो शहरों के लिए हैं. लेकिन मंत्री और उनके कर्मचारियों को ये ‘उपयुक्त’ नहीं समझ में आती और वे निजी उड़ानें लेते हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि 2016-2018 के दौरान एयर इंडिया का घरेलू बाजार शेयर 14 प्रतिशत से भी कम रहा और यह सरकारी उड्डयन कंपनी हमेशा से नुकसान में रहा है.
इसके अलावा, 7 अक्टूबर, 2004 को सभी केंद्रीय मंत्रियों के निजी सचिवों को जारी किये गए सरकारी अधिसूचना (जो कि अभी भी प्रभावी है और उसे अभी तक हटाया नहीं गया है) के अनुसार, “एक केंद्रीय मंत्री और उनके परिवार को, चाहे वो एक साथ यात्रा करें या अलग अलग, प्रत्येक वर्ष सिर्फ बारह यात्राओं का यात्रा भत्ता दिया जायेगा.” अधिसूचना के अनुसार, मंत्रियों को हर साल कुल 48 एकल यात्रा का अधिकार है.
उसी अधिसूचना में कहा गया है कि मंत्री अपने निजी सचिव या व्यक्तिगत सहायक या घरेलू नौकर के साथ अपने ही क्लास में केवल ‘सार्वजनिक हित में’ ले जा सकते हैं.
और भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि पीयूष के दफ्तर के कर्मचारियों को एक गंतव्य के लिए एक से अधिक उड़ान की बुकिंग करने की आदत है. मंत्री सिर्फ एक विमान से जाते हैं और बाकी की टिकट या तो कैंसल हो जाती है या उनका खर्चा सार्वजनिक खजाने में नहीं दिखाया जाता है.
उदहारण के लिए (न्यूज़लॉन्ड्री के पास दस्तावेज मौजूद हैं) पीयूष गोयल 8 मार्च, 2018 को बैंगलोर गए थे. उनके कर्मचारियों ने 8 मार्च को बैंगलोर से दिल्ली में दो उड़ानें बुक की थी, फ्लाइट नंबर 9डब्लू – 808 जिसकी कीमत 42,133 रुपये थी और एआई 503 जिसकी कीमत 47,802 रुपये थी. मंत्री जी ने सिर्फ एक टिकट पर यात्रा की बाकि दूसरी टिकट या तो कैंसल हो गयी या बर्बाद.
अगले ही दिन, वो मुंबई जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन कर्मचारियों को यह नहीं पता था कि वो वापस दिल्ली कब आएंगे. इसलिए उन्होंने 11 मार्च के लिए उड़ान संख्या यूके-960, जिसकी कीमत 53,077 रुपये थी और 12 मार्च के लिए यूके-970 की दूसरी उड़ान जिसकी कीमत 53,455 रुपये थी, को बुक किया.
ऐसे कई उदाहरण हैं. 23 मार्च को, पीयूष के कर्मचारियों ने दिल्ली से लखनऊ के लिए मंत्रीजी के लिए चार हवाई टिकट बुक किए- 9 डब्ल्यू 7002 की कीमत 23,088 रुपये थी; 9 डब्ल्यू 740 की कीमत 13,531 रुपये थी; यूके 998 की कीमत 15,494 रुपये थी; और एआई 811 की कीमत 17,996 रुपये थी.
5 अप्रैल को, उनके कर्मचारियों ने दिल्ली से मुंबई के लिए दो हवाई टिकट बुक किए- एआई 624 जिसकी कीमत 43,084 रुपये थी और 9 डब्ल्यू 376 जिसकी कीमत 54,147 रुपये थी. चूंकि कर्मचारियों को साफ़ तौर पर ये नहीं पता था कि पीयूष 5 अप्रैल को उड़ान भर पाएंगे या नहीं इसलिए उन्होंने 6 अप्रैल के लिए भी टिकट बुक किया- यूके 988 में जिसकी कीमत 53,077 रुपये थी. और मुंबई से दिल्ली लौटने के लिए, 7 अप्रैल के लिए दो उड़ानें बुक की गईं- यूके 960 जिसकी कीमत 53,077 रुपये और 9 डब्ल्यू 307 जिसकी कीमत 41,710 रुपये थी. उन्हें तब भी ये नहीं पता था कि मंत्री जी 7 अप्रैल को उड़ान भर पाएंगे या नहीं इसलिए मुंबई से दिल्ली के लिए एक और बुकिंग की गयी जो कि 9 डब्ल्यू 310 में 48,155 रुपये में की गयी.
कोई व्यक्ति जितनी चाहे उतनी यात्राएं कर सकता है (न्यूज़लॉन्ड्री ने पूरे रिकॉर्ड की जांच की), बात सिर्फ इतनी सी है कि मंत्री जी या उनके निजी कर्मचारियों के जो भी ‘अतिरिक्त’ टिकट खरीदे गए, जिन्हें बाद में या तो रद्द किया गया या फिर वो पहुंच नहीं सके, इन सभी स्थितियों में सरकारी खजाने को काफी चपत लगी है.
पीयूष गोयल, जो कार्यवाहक वित्त मंत्री और कोयला मंत्री भी हैं, 5 जुलाई, 2010 से राज्यसभा सदस्य हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने वित्त और कोयला मंत्रालय के कारण चार्टर्ड विमान किराए पर लिए हैं. लेकिन उन्होंने अब तक न्यूज़लॉन्ड्री के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने बार-बार उनको, उनके निजी कार्यालय, दो अन्य मंत्रियों- राजन गोहेन और मनोज सिन्हा- और रेलवे बोर्ड को इस मसले से संबंधित कुछ प्रश्न भेजा है, ताकि उनके जवाब को इस स्टोरी में शामिल किया जा सके. लेकिन किसी ने भी अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. हम इस स्टोरी को उनका जवाब मिलने की स्थिति में अपडेट करेंगे.
न्यूज़लॉन्ड्री दो हफ्ते से भी अधिक समय से रेल मंत्रालय के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है, उधर गोयल के कार्यालय ने 5 अगस्त को वाराणसी जाने के लिए एक और चार्टर्ड उड़ान बुक करने का अनुरोध भेजा था और फिर मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन करने के लिए हेलीकॉप्टर का अनुरोध किया है. लेकिन आईआरसीटीसी के सूत्रों ने बताया कि अनुरोध अंतिम समय में वापस ले लिया गया, क्योंकि पियूष ने बाद में भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अमित शाह के साथ उड़ान भरने का निर्णय कर लिया.
क्या मंत्रियों के ऊलजलूल खर्चे पर लगाम लगेगी? क्या प्रधानमंत्रीजी भी सुन रहे हैं?
Also Read
-
Can truth survive the fog of war? Lessons from Op Sindoor and beyond
-
Bogus law firm and fake Google notices: The murky online campaign to suppress stories on Vantara
-
Bearing witness in Leh: How do you report a story when everyone’s scared to talk?
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
As Punjab gets attention, data suggests Haryana, UP contribute to over a third of Delhi’s PM 2.5