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हिंदुत्व की विकृति से पैदा हुआ न्याय का आडंबर #JusticeForGoat
इस देश में जानवरों से रेप की शर्मनाक घटनाओं की एक फेहरिश्त मैं उन लोगों के ज्ञानवर्धन के लिए यहां रख रहा हूं जो हरियाणा के मेवात में बकरी के बलात्कारियों के नाम बताकर हिंदू-मुसलमान का ढिंढोरा पीट रहे हैं. बकरी के बलात्कारियों के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं करने के लिए बुद्धिजीवियों, फिल्मकारों, कलाकारों, पत्रकारों और सेकुलर कहे जाने वाले तबके को जमकर कोस रहे हैं. बकरी को इंसाफ दिलाने की मुहिम का हिस्सा नहीं बनने के लिए लताड़ रहे हैं.
मेरा मकसद ऐसे लोगों को सिर्फ ये बताना है कि इंसान जब जानवर में तब्दील होता है तो किस हद तक जा सकता है. वो जानवरों से भी बदतर हो जाता है. तब वो न हिन्दू होता है, न मुसलमान, न सिख, न ईसाई.
मानसिक विकार, विकृति और विक्षिप्तता इस हद तक आदमी को हैवान बना देता है कि भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ता, बिल्ली से लेकर अपने पालतू जानवर तक को नहीं बख्शते. और तो और जिस गाय का दूध पीते हैं, जिसे गोमाता कहते हैं, उसे भी नहीं बख्शते.
जानवरों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले ऐसे हैवानों को किसी धर्म से जोड़कर या उन्हें मुसलमान घोषित करके और सोशल मीडिया में #JusticeForGoat की मुहिम चलाकर अगर आप खुश हो रहे हैं तो नीचे बताई गई घटनाएं आपकी जानकारी के लिए है.
गाय के साथ बलात्कार की जिन घटनाओं का जिक्र मैं करने जा रहा हूं, उन सभी में आरोपी हिन्दू हैं. केरल से लेकर एमपी तक. इसलिए ये मत सोचिए कि जानवरों से बलात्कार करने वाले किसी धर्म विशेष के होते हैं या आपके धर्म के लोग इस मामले में साफ सुथरे होते हैं. मैं ऐसी घटनाओं पर लिखने से बचना चाहता था. ऐसी खबरें पढ़ने से भी बचता हूं. घिन आती है सोचकर. आज ट्विटर पर उछलते लोगों के उकसावे में आकर लिख रहा हूं ताकि सनद रहे.
मुझसे ट्विटर पर लोग पूछ रहे हैं कि आपने बकरी से रेप की खबर तो ट्विटर पर शेयर कर दी, उन दरिंदों के धर्म को क्यों छिपा गए? साथ में चौड़े होकर बता भी रहे हैं कि बकरी से गैंग रेप करने वाले मुसलमान हैं.
ट्विटर पर मुझे कुछ लोगों ने गालियां भी दी और बकरी से साथ रेप करने वाले लोगों का हिमायती भी घोषित कर दिया. किसी ने लिखा है अंजुम मियां, आपकी ही कौम के लोगों ने ये काम बकरी के साथ किया है इसीलिए आप उनके नाम छिपा रहे हो? किसी ने लिखा है बलात्कारियों का नाम जानकर आपके मुंह में दही जम गया होगा? किसी ने शब्दों की सारी मर्यादाएं मेरे लिए भी लांघी हैं और उन बलात्कारियों के बहाने उनके धर्म के लिए भी. हर ख़बर में हिन्दू-मुसलमान देखने वालों ने इस ख़बर में भी यही देखा.
हिन्दुत्ववादियों को तो जैसे मसाला मिल गया. नतीजा ये हुआ कि रविवार को दिन भर #JusticeForGoat हैशटैग ट्विटर पर टॉप ट्रेंड करता रहा. फोटोशॉप के जरिए फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर की तस्वीर भी इस हैशटैग के साथ वायरल की जा रही है. तो मेरा ये लेख जवाब है ऐसे लोगों के लिए, जिन्होंने बकरी के बलात्कार में धर्म खोज लिया है, और इसी बहाने वे बकरी की चिंता कर रहे हैं. पहले कुछ ऐसी शर्मनाक और वीभत्स घटनाओं पर गौर कर लीजिए.
यूपी में कुतिया से रेप
बागपत के बबलू सिंह नाम के एक लड़के के खिलाफ कुतिया से रेप का मामला दर्ज किया गया था. खेत में कुतिया के साथ घिनौनी हरकत कर रहे शख्स का किसी ने चुपके से वीडियो बना लिया था. बागपत पुलिस ने कुतिया का बकायदा मेडिकल टेस्ट कराया और मामला दर्ज किया था.
गुजरात में गाय से रेप
वडोदरा के एक गांव में गायों के पैर बांधकर कुछ लोगों ने अमानवीय हरकतें की. फिर रेप किया. गले में रस्सी फंस जाने की वजह से एक गाय की मौत भी हो गई. इस कुकृत्य में रतेड़िया नाम के व्यक्ति के साथ कुछ और लोग शामिल थे. ये घटना जनवरी 2015 की है.
मध्य प्रदेश में गाय से रेप
एमपी के बैतूल में गाय से रेप करने के आरोप में श्रवण व्यास नाम के आदमी को जेल भेजा गया था. ये घटना मार्च 2016 की है. उस पर भी धारा 377 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
एमपी के बालाघाट में भी 25 साल के एक शख्स को 2013 में गाय के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करते पकड़ा गया था. भीड़ के हाथों बुरी तरह पिटने के बाद किसी तरह उसकी जान बची थी. बाद में उसने कबूला कि पत्नी से अलगाव होने के बाद से वो गाय के साथ घिनौनी हरकत कर रहा था.
केरल में गाय हुई शिकार
तिरुअनंतपुरम के पास एक गांव में रहने वाले 35 वर्षीय अजेश कुमार नाम के व्यक्ति ने पड़ोसी की गर्भवती गाय के साथ दुष्कर्म किया. गाय के मालिक जब पहुंचे तो गाय का रक्तस्राव हो रहा था और अजेश पास में ही बेहोश पड़ा हुआ मिला. भीड़ के हाथों उसकी जान जाते-जाते बची.
राजस्थान में भैंस से बलात्कार
सीकर की स्थानीय अदालत ने साल 2012 के सितंबर में भैंस के साथ यौनाचार के आरोप में एक व्यक्ति को दोषी करार दिया था. बनवारी लाल नाम के इस शख्स को धारा 377 के तहत गुनाहगार मानते हुए पांच साल की सजा दी गई थी.
हैदराबाद में कुतिया से रेप
दिल्ली से हैदराबाद घूमने गए एक लड़के ने शराब के नशे में पहले एक कुतिया की हत्या की. फिर उसके साथ अपनी हवस मिटाई. असलम नाम के उस लड़के को इस आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था. ये घटना अक्टूबर 2016 की है.
मेरे कहने का आशय ये है कि इसे एक शर्मनाक घटना के तौर पर देखें. मानसिक विकृति की सारी हदें पार करके ही उन लड़कों ने बकरी के साथ ऐसी घिनौनी हरकत की होगी कि लिखने के लिए भी शब्द नहीं मिल रहे. बलात्कारी प्रवृतियां उनके भीतर इस कदर अपनी जड़ें जमा चुकी थी कि उन्हें अपनी हवस बुझाने के लिए बस एक ‘मादा’ की तलाश थी. चाहे वो चार पैरों वाली मादा जानवर ही क्यों न हो? उन्हें बकरी मिल गई.
ऐसी ही विकृत मानसिकता वाले लोग एक साल, दो साल या तीन साल की मासूम बच्चियों के साथ रेप करने से भी नहीं हिचकते. नशा ऐसी विकृतियों को एक किक देता है. उन नशेड़ियों को उस दिन बकरी न मिलती तो क्या पता कोई बच्ची उनका शिकार हो जाती. उस रात नहीं तो किसी और रात. ऐसे बलात्कारियों के लिए दादी की उम्र की साठ-सत्तर साल की महिला भी एक शिकार की तरह होती है और साल दो साल की दुधमुंही बच्ची भी.
बीते पांच-छह सालों के दौरान ही देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आई हैं. गूगल पर सर्च के दौरान बकरी, कुतिया, भैंस से लेकर गाय तक के साथ बलात्कार की घटनाओं की जानकारी मिली. मतलब ये कि इंसानों की योनी में पैदा हुए दो पैरों वाले ‘जानवरों’ ने चार पैरों वाले जानवरों की कई नस्लों के साथ बलात्कार किया है. हो सकता है कि आपको ये पढ़ते समय घिन आए. मुझे लिखते समय आ रही है. कितना गिर सकता है कोई इंसान. और इतना गिरने के बाद उसकी जानवरों से तुलना तो जानवरों का भी अपमान है. जानवर भी इतनी घिनौनी हरकतें नहीं करते. सच अगर इतना स्याह है तो कबूल तो करना ही होगा.
जानवरों के साथ रेप करना मानसिक विकृति की पराकाष्ठा है. बेजुबान जानवर न तो प्रतिरोध कर सकते हैं. न शिकायत कर सकते हैं. न मुकदमा कर सकते हैं. न ही अपने साथ हुई हैवानियत की दास्तान बयान करके उस बलात्कारी को दुनिया के सामने शर्मशार कर सकते हैं.
हरियाणा में बकरी से बलात्कार की घटना से आपके भीतर किसी धर्म के खिलाफ पलते नफरत को खाद-पानी मिल रहा है तो इसका मतलब ये है कि आपकी चिंता समाज के भीतर बजबजाती विकृतियों से नहीं है. मानसिक तौर पर ऐसे विकृत लोगों के लिए साल-दो साल की बच्ची और बकरी में कोई फर्क नहीं.
हमें चितिंत इस बात पर होना चाहिए कि हमारे समाज के भीतर ये हो क्या रहा है? कैसे हम अपने परिवेश में ऐसी विकृतियों का शिकार हो रहे लड़कों को सही दिशा दें. अपने घरों में पलते-बढ़ते लड़कों की समय-समय पर सही काउंसलिंग करते रहें ताकि वो ऐसी किसी विकृति के शिकार न हों.
हमारे हजारों साल की सभ्यता कहिए, परंपरा कहिए, संस्कार कहिए या कि संस्कृति, इस देश में जानवरों से अप्राकृतिक यौनाचार की घिनौनी प्रवृति उस हद तक नहीं पहुंची है, जिस हद तक दुनिया के कई देशों में है. इंसान और जानवर के बीच अप्राकृतिक यौनाचार को bestiality या zoophilia कहा जाता है, जिसका हिन्दी में मतलब होता है पशुगमन.
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के कई देशों में जानवरों के साथ सैक्स लीगल है. बकायदा ब्राथल चलते हैं इनके. जानवरों के साथ ऐसी हरकतें करने वाले लोग सौ-पचास डॉलर खर्च करके ऐसे ब्राथल में जाते हैं. फिनलैंड, नार्वे, स्वीडेन, रोमानिया, चिली, क्यूबा, हंगरी, जापान, फीलीपींस जैसे देशों में जानवरों के साथ अप्राकृतिक सेक्स के लिए किसी तरह की सजा या रोक का प्रावधान नहीं हैं, बशर्ते कि जानवर जख्मी न हो जाए या उसकी जान न चली जाए.
कई रिसर्च रिपोर्ट से समय-समय पर खुलासा हुआ है कि इन देशों में हजारों जानवर इंसानों की हैवानियत से हर साल जख्मी होते रहे हैं. ऐसे शिकारों में गाय, भेंड़, सुअर, बिल्ली, कुत्ता से लेकर घोड़े तक शामिल होते हैं. ऐसे बेजुबान, जो किसी को कुछ कह नहीं सकते. कानूनी तौर पर मंजूरी मिली हुई है लिहाजा जानवरों को शिकार बनाने वालों को किसी का डर नहीं. डेनमार्क तीन साल पहले तक एनिमल सेक्स टूरिज्म के लिए बहुत बदनाम था. कई सालों तक पशु प्रेमियों के विरोध के बाद 2015 में वहां इसे प्रतिबंधित कर दिया गया .
बीते कई सालों से दुनिया भर के जानवर प्रेमी जानवरों के साथ सेक्स या पशु मैथुन के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. इसी का नतीजा है कि जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में जानवरों के साथ हैवानियत की ऐसी वारदातों को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं. जर्मनी में जानवरों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करने वालों के लिए 25 हजार यूरो के जुर्माने का भी प्रावधान 2013 में लागू किया गया.
इस कानून के खिलाफ ‘टॉलरेंस एंड इंगेजमेंट ज़ूफिलो’ यानि ज़ीटा ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन जर्मनी के फेडरल कोर्ट ने उनकी एक न सुनी. पशु के साथ सेक्स करने के समर्थकों की दलीलें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. ज़ीटा के निदेशक माइकल क्यॉक का कहना है, “पशु को नुक़सान पहुंचाए जाने के सबूत के बिना किसी को सज़ा देने की बात सोच के भी परे है.”
उनका मानना है कि “हम पशुओं को भागीदार के रूप में देखते हैं, न कि सिर्फ संतुष्टि हासिल करने के लिए एक साधन के रूप में. हम उन्हें कुछ करने के लिए मजबूर भी नहीं करते है. साथ ही महिलाओं की तुलना में पालतू जानवर को समझना आसान है.” जानवरों को इस अत्याचार से बचाने की लड़ाई लड़ने वालों के मुताबिक जर्मनी में हर साल हजारों जानवर ऐसे अप्राकृतिक यौनाचारों से जख्मी हो जाते हैं.
एक रिसर्च के मुताबिक जानवरों के साथ ऐसी हरकतें करने वालों में जुवेनाइल की तादाद बहुत ज्यादा होती है और ऐसे जुवेनाइल में से 92 फीसदी ऐसी ही हरकत बच्चियों के साथ कर चुके होते हैं. अमेरिकी एजेंसी एफबीआई के मुताबिक सीरियल रेपिस्ट या रेप के बाद महिलाओं को मार देने वाले विकृत लोगों में से ज्यादातर जानवरों के साथ भी अप्राकृतिक सेक्स कर चुके होते हैं. कहने का मतलब ये कि ऐसे लोग सेक्स के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
इसी तरह हॉलैंड, फ्रांस और स्विट्जरलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों में एनिमल सेक्स प्रतिबंधित है. ब्रिटेन में इस अपराध के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान था, लेकिन 2003 में इसे घटाकर इसकी सजा दो साल तय कर दी गई. तो इस हिसाब से अगर जानवरों के साथ सेक्स के मामले को समझने की कोशिश करें तो दुनिया के तमाम देशों से हम हजार गुना बेहतर हैं. हमारे यहां साल में चार-छह घटनाएं सामने आती हैं लेकिन उतनी बुरी हालत नहीं है, जो दुनिया के दर्जनों देशों की है. इसलिए #JusticeForGoat हैशटैग को ट्रेंड कराकर किसी धर्म पर चोट करने की बजाय हम सबको अपने भीतर और अपने समाज के भीतर झांकने की जरुरत है. आखिर कैसे रुके ये सब?
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