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बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में 80 फीसदी विद्यार्थी फेल?

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड विश्वविद्यालय राज्य सरकार के अधीन आने वाला विश्वविद्यालय है और बुंदेलखंड इलाके के लगभग सभी डिग्री कॉलेज इसी से सम्बद्ध हैं. 31 मई, 2018 को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के परिणाम घोषित हुए. परिणामों ने लोगों को हैरत में डाल दिया. सिर्फ 20 फीसदी विद्यार्थी ही परीक्षा पास करने में सफल हो सके. बाकी 80 फीसदी छात्रों को फेल कर दिया गया है. पिछले वर्षों तक परीक्षा के परिणाम इसके विपरीत हुआ करते थे. तब विश्वविद्यालय का पास प्रतिशत 80 फीसदी के आसपास रहा करता था.

इतनी बड़ी संख्या में असफल हुए छात्रों मे परिणाम आने के बाद सड़क पर उतरने का रास्ता चुना है. बांदा, उरई, झांसी, हमीरपुर आदि जिलों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. विभिन्न सम्बद्ध कॉलेजों के प्रशासन ने इस मामले में छात्रों की कोई सहायता कर पाने में अपनी असमर्थता जताते हुए उन्हें सीधे विश्वविद्यालय से संपर्क करने को कहा है.

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में स्तानक की छात्रा पूर्णिमा सिंह ने बताया, “मुझे केमिस्ट्री इनऑर्गेनिक के पेपर में जीरो नंबर मिले हैं. जबकि मेरा पेपर अच्छा हुआ था. खाली कॉपी तो छोड़ी नहीं थी जो मुझे 0 नंबर मिले हैं?”

पूर्णिमा की मांग है कि उनकी कॉपी का पुन: मूल्यांकन किया जाए.

पूर्णिमा की ही तरह अधिकांश छात्र-छात्राओं को विभिन्न विषयों में 0, 1, 2 या 3 नंबर मिले हैं जबकि छात्रों का दावा है कि उन्होंने पूरा प्रश्नपत्र हल किया था.

“मुझे फिजिक्स फर्स्ट पेपर में 3 नंबर मिले हैं और केमिस्ट्री पेपर में 6 नंबर मिले हैं. इसी प्रकार मैथ में 7 नंबर मिले है. मैं चाहती हूं कि हमारी कॉपियों का पुनः मूल्यांकन करवाया जाए और साथ ही ऑनलाइन अपलोड भी करवाया जाए,” जीजीआईसी कॉलेज, बांदा की छात्रा दीक्षा शर्मा ने कहा.

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया है कि पुन मूल्यांकन के लिए 3000 रुपये प्रति विषय की मांग की जा रही है. वे यहां तक आरोप लगाते हैं कि कॉपी मूल्यांकन के नाम पर विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार करता रहा है. “पहले जानबूझ कर फेल करते हैं और फिर पुनः मूल्यांकन और बैक पेपर के नाम पर मोटी फीस वसूलते हैं.”

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे छात्रों के इन आरोपों पर बिफरे हुए हैं. उन्होंने स्थानीय मीडिया को बयान दिया, “हम 0 नंबर वाली कॉपी ऑनलाइन अपलोड करा देंगे.”

दुखद है कि परिणाम घोषित होने के बाद तीन छात्रों (हमीरपुर निवासी आकाश श्रीवास और अक्षय और उमरी निवासी राजू) ने आत्महत्या कर ली. बीते शनिवार को छात्रों ने झांसी में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी पुन: मूल्यांकन कर शिकायतों की जांच करेगी.

हालांकि छात्रों का कहना है कि उन्हें कोई ठोस कारवाई का आश्वासन विश्वविद्यालय से नहीं मिला है. जाहिर है कई छात्रों को स्नातकोत्तर में परिणाम में विलंब होने के कारण दाखिला नहीं मिल सकेगा. उनकी मांग है कि विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन करे और एक सीमित समय में जांच पूरी की जाए जिससे की छात्रों के भविष्य पर प्रभाव न पड़े.

(तस्वीर साभार: शांतनू सिंह गौड़)