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कैराना: चुकी-चुकी सी लहर योगी की यूपी में
वही हो रहा है, जिसकी आशंका थी. यूपी के कैराना में बीजेपी हार की तरफ तेजी से बढ़ रही है. वोटों का फासला 75 हजार को पार कर चुका है. नूरपर में तो सपा जीत भी चुकी है. बीजेपी को उम्मीद थी कि गोरखपुर और फूलपुर में मिले जख्म पर शायद कैराना से मरहम लगेगा लेकिन यहां तो जख्म और गहरे हो रहे हैं.
कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में उनकी ही बेटी मृगांका सिंह भाजपा की उम्मीदवार हैं जो आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन से काफी पीछे चल रही हैं. देश के महाबली मोदी और प्रदेश के महाबली योगी दोनों को कैराना के नतीजे मुंह चिढ़ाने वाले हैं.
बीते चुनाव में जिस कैराना लोकसभा सीट क्षेत्र से हुकुम सिंह ने 50 फीसदी से ज्यादा यानी 5 लाख 66 हजार वोट पाकर जबरदस्त जीत हासिल की थी, उसी कैराना में बीजेपी इस कदर हार जाए तो बीजेपी नेताओं को मान लेना चाहिए कि पानी खतरे के लाल निशान से काफी ऊपर जा चुका है.
हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए सूबे से सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्या समेत बीजेपी के तमाम दिग्गज जुटे रहे लेकिन नतीजे चार सौ चालीस वोल्ट के करंट की तरह झटका देने वाला है. मतदान के ठीक पहले पीएम मोदी ने दिल्ली-मेरठ के अधूरे हाईवे पर रोड शो करके मतदाताओं को विकास का नमूना दिखाकर खेल को अपने पक्ष में करने की आखिरी कोशिश भी की थी.
अमित शाह की रणनीति, मोदी का चेहरा, योगी की ताकत… सब मिलकर भी अगर कैराना में हार का ही मुंह देखना पड़ा तो बीजेपी के लिए चिंता का चरम आ चुका है. साफ संकेत है कि अगर यूपी में गैर बीजेपी दलों ने एकजुटता दिखाई तो बीजेपी के लिए 2014 के नतीजे दोहरा पाना मुश्किल नहीं, नामुमकिन होगा.
जिस यूपी से लोकसभा की 71 सीटें जीतकर बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर अपना बहुमत लेकर काबिज हो गई थी, उस यूपी में बीजेपी को तीस पार कर पाना भी मुश्किल होगा. यूपी की बाजी उसी तरह पलट सकती है जैसे गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना में पलट रही है.
कैराना वही इलाका है, जहां से हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाकर बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को धार देने की कोशिशें भी की थी. बीजेपी नेता कैराना को कश्मीर बताने लगे थे और हर रैली में कैराना-कैराना को शोर मचाकर यूपी में हिन्दुओं के लिए नए ख़तरे की ‘डरावनी और बिकाऊ’ तस्वीर खींचने लगे थे.
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले भी लगातार योगी अपनी रैलियों में कैराना से हिन्दुओं के पलायन को मुद्दा बनाने में जुटे रहे थे. यूपी चुनाव में तो बीजेपी को सवा तीन सौ सीटें मिल गई. अब जब गैर भाजपा दल एक साथ हो गए तो बीजेपी के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है. न ध्रुवीकरण की चाल कामयाब हुई. न योगी का हथियार चला. न मोदी का मैजिक.
तबस्सुम हसन कैराना से 2009 में बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुकी हैं. तब उन्होंने हुकुम सिंह को ही हराया था लेकिन 2014 की मोदी लहर में तबस्सुम हसन को 29 फीसदी यानी 3 लाख 29 हजार वोट तो मिले लेकिन हुकुम सिंह के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा.
कुछ दिनों पहले तक समाजवादी पार्टी की नेता रहीं तबस्सुम हसन अजित सिंह की पार्टी से उम्मीदवार बनीं. बदले माहौल में सपा, बसपा और कांग्रेस का साथ मिला. नतीजा सामने है. यूपी में अजेय रही बीजेपी लोकसभा का तीसरा उपचुनाव हार रही है. वो भी तब, जब देश में मोदी और प्रदेश में योगी हैं.
(यूसी न्यूज़ से साभार)
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