Newslaundry Hindi

कर्नाटक चुनाव: किसानों के लिए चुनाव बोल बच्चन है

शिवम्मा गौड़ा (28) एक कठिन जीवन व्यतीत कर रही हैं. उनके पति ने पांच महीने पहले आत्महत्या कर ली थी.

उनके ऊपर अपने तीन बच्चों की पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई है. उन्होंने एक कपड़ा फैक्टरी में काम करना शुरू किया है. उन्हें हर रोज़ मलावल्ली तालुक के धांगुरू गांव से दो घंटे की यात्रा कर बेंगलुरु के बाहरी क्षेत्र में आठ घंटे की नौकरी के लिए जाना पड़ता है. उन्हें 100 कपड़े प्रति घंटे सिलने होते हैं वर्ना पर्यवेक्षक नौकरी से निकाल देगा. यह सब उन्हें 6000 रूपये की तनख्वाह के लिए करना पड़ता है. जबकि इस तनख्वाह में घर खर्च चलाना और पति द्वारा लिए गए कर्ज़ की पूर्ति बेहद मुश्किल है.

उनकी परेशानियां उनके चेहरे पर नहीं झलकती- वे रह-रहकर हंसती रहती हैं, दिप्तिमान दिखती हैं और अपनी वास्तविक उम्र से कमसीन लगती हैं. वह अपने परिस्थितयों का जिक्र करती हैं जो उनके पति की आत्महत्या का कारण बना. “उन्होंने एक निजी साहूकार से दो लाख रूपये का कर्ज़ लिया था. पैसे वापस न लौटाने की वज़ह से वे हमेशा घर आकर उनपर चिल्लाया करते. वह एक दिन खेत गए और देर शाम तक वापस नहीं आए. हम लोग उन्हें खोजने गए, हमने देखा वह बेसुध पड़े हैं. उन्होंने कीटनाशक निगल ली थी.”

शिवम्मा को राज्य सरकार से अबतक कोई मदद नहीं मिली है और न ही उन्हें उम्मीद है कि सरकार कोई मदद करेगी. जब आप उनसे पूछते हैं कि 12 मई को आप किसे वोट करेंगी, वह कहतीं हैं चुनाव बहुत भारी सिर दर्द है. “पार्टी कार्यकर्ता यहां आएंगें और हमपर वोट डालने का दबाव बनाएंगें,” वह कहती हैं. उनकी पड़ोसन बताती है, उन्हें 200 रूपये और एक साड़ी दी जाएगी.

मांड्या जिले में सात विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं- मलावल्ली (जहां शिवम्मा रहती हैं), मद्दुर, मेलकोटे, मांड्या, श्रीरंगपटना, नागमंगला और कृष्णराजपेट- ये सभी क्षेत्र जनता दल (सेकुलर) की पकड़ वाले बताए जाते हैं. वोक्कलीगा बहुल इन क्षेत्रों में जेडीएस का पांरपरिक वोट बैंक  रहा है.

शिवम्मा की ही तरह, लोकेश गौड़ा बताते हैं कि वह भी जेडी(एस) को वोट करेंगे. उन्हें लगता है पार्टी प्रमुख एचडी कुमारास्वामी किसानों के मसीहा हैं और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अच्छे विचार रखते हैं. कुमारास्वामी हमारे लिए बहुत कुछ करेंगे. “जब मेरे रिश्तेदार ने आत्महत्या कर ली थी, उन्होंने परिवार को 50,000 रूपये दिए. वह किसानों का ख्याल रखते हैं,” वह कहते हैं.

मलावल्ली तालुका के धांगरू गांव में जेडी(एस) लोकप्रिय है.

लोकेश रेशम उत्पादन का काम करते हैं. पानी की समस्या उनकी सबसे बड़ी दिक्कत है क्योंकि कीड़े पानी वाली फसलों पर ही निर्भर होते हैं. कई किसान बोरवेल लगवाने के लिए कर्ज़ लेते हैं. एक बोरवेल लगाने की कीमत 70,000 रूपये के करीब आ जाती है.

लोकेश बताते हैं कि वह हर महीने रेशम के कीड़ों के पालन पर 20,000 रूपये का निवेश करते हैं. अगर सबकुछ ठीक रहा, तब 30,000 रूपये की आमदनी हो पाती है. हालांकि यह कभी-कभार होने की उम्मीद होती है. वह बताते हैं, रेशम के कोकून की कीमत 450 रू प्रति किलो से घटकर 250 रूपये पर आ गई है. लोकेश के ऊपर भी 4 लाख का कर्ज़ है लेकिन वह कहते हैं कि वह अपने रिश्तेदार की तरह आत्महत्या नहीं करेंगे.

लोकेश अपने खेत में

चिकम्मा, जिन्होंने 2015 में आत्महत्या कर ली थी, उनकी मां और बेटे कांग्रेस सरकार द्वारा दिए गए 5 लाख रूपये के मुआवजे से संतुष्ट हैं. अगर बेटा पढ़ा-लिखा होता तो सरकार ने उसे नौकरी भी दी होती. चिकम्मा पास के ही कुएं में कूद गईं थीं जो कि अब सूखा है. उन्होंने अलग-अलग निजी साहूकारों से बोरवेल खुदवाने और घर बनवाने के लिए 3 लाख रूपये कर्ज़ ले लिया था.

चिकम्मा की तस्वीर

उनकी पड़ोसन पवित्रा नागराजू के पास पांच एकड़ जमीन है और कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के तर्क में कुछ योजनाएं गिनवाती हैं- अन्न भाग्य (मुफ्त चावल), आरोग्य भाग्य (फ्री स्वास्थ्य सुविधा) और 3 लाख तक के कर्ज़ पर कोई ब्याज नहीं. “कांग्रेस सरकार ने हमारे लिए काम किया है इसलिए हम उन्हें वोट देंगे न कि उन्हें जो हमारे लिए कुछ करने का वादा कर रहे हैं.”

उस राज्य में जहां तीन से चार किसान हर रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसी में उनकी कहानी औरों से बेहतर है.

कांग्रेस के शासन में 3,515 किसानों ने आत्महत्या की है. जबकि पुरानी सरकार में यह संख्या 1,125 थी. राज्य में कृषि दक्षिण पश्चिमी मानसून पर निर्भर करता है. 64.60 फीसदी कुल कृषि भू-भाग में सिर्फ 26.50 फीसदी पर ही खेती हो रही है. वर्ष 2012 और 2016 में राज्य में भयानक सूखा पड़ा था. अप्रैल 2016 और मार्च 2017 तक के बीच 821 किसानों ने आत्महत्या की थी.

कृषि संकट सिर्फ़ मांड्या तक सीमित नहीं है. कर्नाटक के उत्तरी भाग में बिदर जिला तक यह समस्या फैली है.

मंजूनाथ गौड़ा हनुमाननाथ गौड़ा सन्मानी (35) के पास कुंडागोल पंचायत, धारवाड़ में चार एकड़ जमीन थी. उन्होंने 2016 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने बैंक से 1.5 लाख और निजी साहूकारों से 18 लाख रूपये का कर्ज़ लिया था. उनके भाई छन्नावीर गौड़ा सन्मानी बताते हैं, सूखे से लगातार फसल बर्बाद होने और बहन की शादी के खर्चे ने मंजूनाथ गौड़ा को आत्महत्या करने पर मज़बूर कर दिया.

बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके पास लोन लेने के अलावा कोई चारा नहीं था. सरकारी बैंक सीमित लोन देते हैं और बैंक से लोन लेना आसान नहीं है, इसलिए वह लोन के लिए बड़े किसानों और निजी साहूकारों के पास गए. “चूंकि हमारी खेती मानसून पर निर्भर है, बारिश न होने पर हमारी सारी मेहनत बर्बाद होने का खतरा बना रहता है. नुकसान बढ़ता जाता है,” छन्नावीर गौड़ा कहते हैं.

उनके जैसे किसानों की राहत के लिए सरकार ने पिछले साल कॉ-ऑपोरेटिव बैंकों से लिए गए 50,000 रूपये तक के लोन माफ करने का ऐलान किया था. करीब 22 लाख किसान इसके अंतर्गत आते हैं. रैथा सेना कर्नाटक के उपाध्यक्ष शंकर अंबाली कहते हैं कि इसका फायदा सिर्फ 20 फीसदी किसानों को मिला है क्योंकि ज्यादातर किसानों ने अन्य स्त्रोतों से लोन लिया है. रैथा सेना किसानों की समस्या पर काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्था है.

“आत्महत्या के बाद मुआवजा देने से कोई फायदा नहीं है. यह एक गलत प्रथा है. सरकार को सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए जिससे आत्महत्या रुक सके. सरकार का वादा था कि किसानों को फसलों की अच्छी कीमत मिलेगी लेकिन राज्य का अग्रीकल्चर्ल प्राइस कमीशन अबतक यह वादा पूरा नहीं कर सका है. आज, प्याज उगाने वाले किसान उचित दाम के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सरकार उनकी मदद करने के बजाय उन्हें जाति के नाम पर बांट रही है. ”

वे अपनी बात में एक और बात जोड़ते हैं, तालाब बनाने के लिए कृषि भाग्य योजना सही काम कर रही है. “बारिश के पानी के संरक्षण में यह योजना मददगार साबित हुई है.”

सिद्धारमैय्या सरकार उम्मीद कर रही होगी कि किसानों को जो मदद उन्होंने दी है, वह 15 मई को परिणामों में झलके. लेकिन शिवम्मा के लिए चुनावों के कोई मायने नहीं हैं क्योंकि कोई भी सरकार उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बेहतर नहीं कर पाएगी. “मैं कोई भी बटन दबा दूंगी और इस झंझट से मुक्ति पा लूंगी,” वह कहती हैं.

(इलिज़ाबेथ मनि ने कन्नड़ से अंग्रेज़ी में अनुवाद करने में सहायता की है और लक्ष्मी बाग्वे और मंजूनाथ सोमरड्डी ने स्टोरी के लिए जरूरी इंपुट दिए हैं. ये 101 रिपोर्टर्स के साथ काम करती हैं.)