Newslaundry Hindi
‘हम रेड्डी और श्रीरामुलु को छोड़ नहीं सकते’: भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे
उडुपी की सांसद और भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक इकाई की सचिव शोभा करंदलाजे को न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने के लिए दो दिनों तक मनाना पड़ा. बातचीत के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धरमैय्या को सत्ता का भूखा बताया. करंदलाजे ने भाजपा सदस्य श्रीरामुलु का चुनाव प्रचार कर रहे जर्नादन रेड्डी का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कि श्रीरामुलु और रेड्डी दोनों करीबी मित्र हैं. उनसे बातचीत का अंश:
कांग्रेस और जनता दल सेकुलर ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है. लेकिन एक राष्ट्रीय दल होने के बावजूद भाजपा ने अब तक अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है. इस देरी का कारण क्या है?
हमने कांग्रेस का घोषणापत्र देखा और उसमें उनकी गलतियां भी देखीं. वे कन्नड़ में नहीं लिख सके और अंग्रेज़ी में भी उन्होंने गलतियां की हैं. उदाहरण के लिए ‘विंडो’ को ‘विडो’ लिख दिया गया है. यह हालत है कांग्रेस के घोषणापत्र की. हमलोग घोषणापत्र जारी नहीं करेंगे. हम कर्नाटक के विकास के लिए विज़न डॉक्यूमेंट जारी करेंगे.
हम लोग सरकार के विभिन्न विभागों की आर्थिक स्थिति का आकलन कर रहे हैं. कई सारे विशेषज्ञों से बातचीत चल रही है. देरी का कारण यही है. हम जल्द ही विज़न डॉक्यूमेंट जारी करेंगे.
आप घोषणापत्र की जगह विज़न डॉक्यूमेंट कह रही है. क्या है इसमें? भाजपा क्या वादे करने जा रही है?
मैं विज़न डॉक्यूमेंट के बारे में 4 मई तक जानकारी नहीं दे सकती. 4 मई को इसके जारी किए जाने की संभावना है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सिद्धरमैय्या सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं. प्रधानमंत्री ने भी कांग्रेस सरकार पर इसी तरह के आरोप लगाये हैं. लेकिन भाजपा उम्मीदवार येदियुरप्पा की पूर्व सरकार पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप रहे हैं?
येदियुरप्पा पर लगे आरोप फर्ज़ी हैं. कुछ भी अबतक साबित नहीं हो सका है. कांग्रेस ने उन्हें गवर्नर हंसराज भारद्वाज के जरिए फंसाया था. उनके खिलाफ हर एक आरोप गलत है और जनता के सामने गलत तरीके से पेश किया गया है.
आपने कहा येदियुरप्पा के खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हो सका है. इसी तरह अगर देखा जाय तो प्रधानमंत्री मोदी और शाह ने जो आरोप कांग्रेस पर लगाए हैं, उसमें भी कुछ ठोस नहीं है. येदियुरप्पा के खिलाफ एफआईआर हुआ है और वह जेल में भी रहे हैं. आप कैसे येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को सही कह सकती हैं?
हमने सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह, कांग्रेस सरकार पर कई तरह के आरोप लगाये हैं. लेकिन सिद्धरमैय्या सरकार ने लोकायुक्त को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने अपने नेताओं को बचाने के लिए लोकायुक्त की सारी शक्तियां छीन लीं.
अगर आप इंकम टैक्स विभाग की पड़ताल को देखें तो उसमें पाएंगें कि गोविंद राजे की डायरी में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की आर्थिक गड़बड़ियों की संदिग्ध इंट्री है. नोटबंदी के बाद, उनके मंत्री के घर से करोड़ों रुपये के नये नोट मिले. यह क्या बताता है.
चूंकि आपने दागदार मंत्रियों और अफसरों का जिक्र किया तो मैं आपका ध्यान रेड्डी बंधुओं की ओर खींचना चाहूंगा. जनार्दन रेड्डी जो बेल पर बाहर हैं, वह भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं. भाजपा ने रेड्डी बंधुओं से दूरी क्यों नहीं बनाई?
श्रीरामुलु और रेड्डी दोनों करीबी मित्र हैं. उनका भाजपा से कोई लेना देना नहीं है, वह भाजपा के पार्टी सदस्य भी नहीं हैं. दोनों कई वर्षों से घनिष्ठ मित्र हैं. यही वजह है कि रेड्डी उनके लिए प्रचार कर रहे हैं.
पार्टी सचिव होने के नाते क्या आप इस बात से सहज हैं कि सजायाफ्ता रेड्डी आपके पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे हैं?
जब पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को कोई दिक्कत नहीं है तो मैं इसकी चिंता क्यों करूं? हम रेड्डी और श्रीरामुलु को अलग नहीं कर सकते. जब रेड्डी जेल में भी थे, दोनों के बीच रिश्ते अच्छे थे. महत्वपूर्ण है कि आप करूणाकर रेड्डी, सोमशेखर रेड्डी और श्रीरामुलु (रेड्डी बंधुओं के करीबी) पर आरोप लगा सकते हैं लेकिन तथ्य है कि ये सभी रेड्डी के मामले से संबंधित नहीं हैं.
आपने जब मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतों द्वारा हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या का मामला उठाया, राष्ट्रीय मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई. क्या यह भी चुनावी मुद्दा है?
यह हमारा नहीं कांग्रेस का एजेंडा है. कांग्रेस ने एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया), पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और केएफडी (कर्नाटक फोरम ऑफ डिग्निटी) के साथ हाथ मिला लिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में एसडीपीआई 29 से 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. लेकिन इस बार उन्होंने सिर्फ चार उम्मीदवार उतारे हैं. यह स्पष्ट दिखाता है कि सिद्धरमैय्या एसडीपीआई के साथ मिले हुए हैं- जो कि एक आंतकवादी संगठन है.
वह आंतकी संगठन कैसे है? आप किस आधार पर यह कह रही हैं?
पीएफआई के सदस्य एसडीपीआई में हैं. जो कि एक राजनीतिक संगठन है. आर रूद्रेश और शरद मडीवाला (दोनों आरएसएस कार्यकर्ता) के मर्डर में यह साबित हुआ है कि हत्या में पीएफआई सदस्यों की संलिप्तता थी. पीएफआई के सदस्य गिरफ्तार हुए और जेल भी गए. इससे साबित होता है कि आंतकी वारदातों और कर्नाटक में हत्याओं में पीएफआई शामिल है.
पीएफआई पर सबसे पहले केरल की कांग्रेस सरकार ने सवाल उठाये थे. वह भाजपा शासित प्रदेश नहीं था. ऐसे में आप कांग्रेस को समझौतावादी कैसे कह रही हैं?
यह सिद्धरमैय्या की गंदी राजनीति है. वह सिर्फ सत्ता चाहते हैं, लोग नहीं. उन्हें कर्नाटक में कानून व्यवस्था की कोई चिंता नहीं है. वे सबकुछ कर रहे हैं जिससे समुदायों को बांटा जा सके. वह लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों को बांटना चाहते हैं. वह मुस्लिम वोट बैंक बचाने के लिए सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिला रहे हैं. लेकिन सच यह है कि ज्यादातर मुसलमान पीएफआई और उसकी विचारधारा के खिलाफ हैं. फिर भी सिद्दारमैय्या को लगता है कि मुसलमान उनकी पार्टी को वोट करेगा.
अगर एक हिंदुवादी संगठन मुसलमान की हत्या कर दे, क्या आप उस संगठन को आंतकी संगठन कहेंगी?
सांप्रदायिक घटनाओं या निजी कारणों से हत्या की वारदात हो सकती है. लेकिन हिंदू हत्यारे नहीं होते. हमारी संस्कृति और संस्कार हत्या करना नहीं सिखाते.
उन हिंदुओं के बारे में क्या कहेंगी जिन्हें हत्या के जुर्म में सजा हुई है? क्या जेल में बंद हिंदू हत्यारे नहीं हैं?
(चिढ़ते हुए) वे आंतकवादी नहीं हैं. वे निजी कारणों- संपत्ति वगैरह, की वजह से हत्या करने के आरोपी होंगे. लेकिन वे देशद्रोही नहीं हैं. पीएफआई के सदस्य, जो आईएसआईएस के लिए बहाली कर रहे हैं, ये सारे देशद्रोही हैं.
मैं आपको साफ तौर पर कह सकती हूं कि कोई भी हिंदू या भारतीय ऐसे नहीं मार सकता है जैसे कोई पीएफआई सदस्य किसी को मार सकता है. जिनकी ट्रेनिंग आईएसआईएस में हुई है, वे ही सिर काट सकते हैं. तटीय कर्नाटक में पीएफआई पर आरोप लगे हैं कि वे आईएसआईएस के लिए लोगों की बहाली कर रहे हैं.
आप फिर से गंभीर आरोप लगा रही हैं. आप कह रही है कि कांग्रेस के संबंध ऐसे संगठनों से हैं जिनके तार आईएसआईएस से जुड़े हैं. अगर हम आपकी बात को सच मानें तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मामला है. ऐसे में भाजपा सरकार क्या कर रही है? क्या वे कारवाई कर पाने में असमर्थ साबित हुए हैं?
मामलों की जांच चल रही है. तटीय कर्नाटक और कासरगोड़ (केरल) में काम कर रहे संगठनों पर केंद्र सरकार की नज़र बनी हुई है.
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?