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मोदी सरकार द्वारा 4 लाख करोड़ एनपीए वसूली का सच?

14 अप्रैल को भाजपा के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक लेख (इन्फोग्राफिक) के जरिए दावा किया गया कि “दिवालियापन कोड (इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड-2016) की वजह से यूपीए सरकार के समय के उद्योगों को दिए गए कर्ज़े या एनपीए (अनर्जक परिसंपत्ति) के 9 लाख करोड़ रुपये की चौंका देने वाली राशि में से 4 लाख करोड़ रुपये की वसूली हो गयी है”.

इस चौंका देने वाले दावे को भाजपा के कई समर्थकों ने भी ट्वीट किया, लेकिन पार्टी के समर्थक को छोड़कर ज्यादातर लोगों के लिए यह विश्वास करना मुश्किल होगा. ऑल्ट न्यूज़ इस बड़े दावे की तह तक गई.

भाजपा के अकाउंट से किए गए ट्वीट को अब डिलीट कर दिया गया है, लेकिन इसे आप यहां देख सकते है.

प्रधानमंत्री की वेबसाइट के मीडिया सेक्शन में भी ये ख़बर थी, लेकिन अब इसे भी डिलीट किया जा चुका है.

4 लाख करोड़ की वसूली का आंकड़ा इकोनॉमिक टाइम्स के 4 अप्रैल के “4 लाख करोड़ रुपये के एनपीए दिवालियापन कोड की वजह से लौट आये: अफसर” शीर्षक से छपे एक लेख से पता चला था. इस लेख में लिखा था, “दिवालिया कोड (इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड, 2016) की वजह से बैंकों में जमा किये गए एनपीए के 9 लाख करोड़ रुपये की चौंका देने वाली राशि में से आधे से भी कम की वापसी हुई है.”

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने सीआईआई की तरफ से आयोजित रिसॉल्विंग इंसॉल्वेंसी नामक एक कांफ्रेंस में ये आंकड़ा उजागर किया था जिसे समाचार एजेंसी आईएएनएस ने सबसे पहले रिपोर्ट किया था.

सभी सरकार समर्थक ख़बरों की तरह इस खबर को भी प्रधानमंत्री मोदी के नमो ऐप ने खूब फैलाया. और बीजेपी/एनडीए नेता, सांसद और विधायक ने सोशल मीडिया पर बेहद निष्ठा भाव से शेयर किया.

इस ख़बर को फिर फेक न्यूज़ वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ ने और मसाला डाल कर एक नए शीर्षक के साथ पेश किया, “एनपीए पर मोदी सरकार की भारी मार”.

कई सीए और जो दावा करते हैं कि वो तथ्यों की जाँच में माहिर है उनको भी यह ख़बर विश्वसनीय लगी, उन्होंने भी इस ख़बर को अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और इन आंकड़ों के चक्कर में फंस गए.

हाल ही में शुरू की गयी दिवालियापन कोड की वजह से “कांग्रेस द्वारा एनपीए: 9 लाख करोड़, मोदी ने वसूले: 4 लाख करोड़” और “9 लाख करोड़ के बकाया एनपीए में से 44.44% वापस आया”, यह आंकड़ा सरकार के समर्थकों को विश्वसनीय लगा.

पोस्टकार्ड न्यूज़ और अन्य दक्षिणपंथी समूहों ने तो इसे खूब फैलाया ही, इसके बाद बीजेपी ने स्रोतों से तथ्यों की जानकारी लिए बिना यह जानकारी शेयर की.

आरबीआई डेटा

एनपीए की वसूली पर आरबीआई के आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते है. राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल के पेश किये गए आरबीआई डेटा के अनुसार, पिछले चार सालों में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2.73 लाख करोड़ रुपये के खराब लोन में से केवल 29,343 करोड़ रुपये वसूल किए थे.

हालांकि बैंक बड़ी मात्रा में फंसे कर्ज़ को वसूलने में नाकाम रहे हैं, लेकिन यहां ‘लोन वेवर’ यानि कर्ज माफ़ी और ‘लोन राइट ऑफ’ यानि लोन को बट्टे खाते में डालने के बीच का फ़र्क समझना जरुरी है. सोशल मीडिया पर कई लोग इस बारे में उलझन में हैं, और बैंकों द्वारा लोन माफ़ी और लोन को बट्टे खाते डालने को एक ही बात समझते है. लोन बट्टे खाते डालने का मतलब ये नहीं है कि उधारकर्ता को क्लीन चिट दी गई है. दिवालिया कोड (इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड, 2016) की नयी प्रणाली द्वारा, और शेष तरीकों से शेष राशि को पुनर्प्राप्त करने के प्रयास चलते रहेंगे. वसूली के इन प्रयासों का अंतिम परिणाम देखा जाना बाकी है. फिलहाल वसूली दर 10.77% है, जिसका मतलब ये है कि पिछले 4 सालों में सरकारी बैंकों के एनपीए में से 89% से भी ज़्यादा राशि को वसूला नहीं गया है.

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय का स्पष्टीकरण

ऑल्ट न्यूज़ ने कॉर्पोरेट अफेयर्स सचिव इंजेती श्रीनिवास से आरबीआई आंकड़ों और मीडिया द्वारा प्रस्तुत किये गए समाचार के बीच की विसंगति को समझने के लिए बात की. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को लिखित रूप से बताया, “मीडिया ने मुझे गलत उद्धृत किया है. मैंने तो ये कहा था कि, तकरीबन 50% एनपीए, आईबीसी की नयी प्रणाली में संदर्भित किये गए है.” उन्होंने 4 लाख करोड़ के आंकड़े को समझाते हुए कहा कि, “आज की तारिख में 3.30 लाख करोड़ के मामले एनसीएलटी को संदर्भित कर दिए गए है. इसके साथ ही, 83,000 करोड़ रुपये के दावों के समझौते, एनसीएलटी को संदर्भित किए जाने से पहले ही सुलझ गए है. कुल मिलाकर ये राशि 4 लाख करोड़ से भी ज़्यादा है.”

बीजेपी द्वारा अपने ट्वीट में किया गया बड़ा दावा गलत निकला और जैसे ही गलती का पता चला, उसे डिलीट कर दिया गया. दक्षिणपंथी तथाकथित तथ्यों की जांच करने वाले, जो लोन माफ़ी और लोन बट्टे खाते में डालने के बीच के फ़र्क़ के बारे में बढ़ा चढ़ा कर लिख रहे थे, वे भी इन झूठे दावों में फंस गए. वे मान गए कि मोदी सरकार ने जादुई तरीके से 9 लाख करोड़ एनपीए में से 4 लाख करोड़ वसूल कर लिए, और इस झूठी जानकारी को सोशल मीडिया पर खूब फैलाया.

इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट ने RBI आंकड़ों में विसंगति बताते हुए संदेह भी जताया था. कॉर्पोरेट अफेयर्स सचिव ने इस बात को स्पष्ट किया की 4 लाख करोड़ एनपीए की वसूली हुई राशि नहीं, बल्कि आईबीसी प्रणाली में संदर्भित की गई राशि है.