Newslaundry Hindi
नविका कुमार के कठिन सवाल और अमित शाह के सरल जवाब
टाइम्स नाउ की नविका कुमार ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का ‘सबसे कठिन’ इंटरव्यू लिया. ऐसा चैनल ने दावा किया है. हालांकि, चैनल ने यह पहेली दर्शकों के लिए छोड़ी है कि यह साक्षात्कार करना नविका के लिए कठिन था या जबाव देने वाले अमित शाह के लिए.
यूपी और बिहार के उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के संदर्भ में भाजपा अध्यक्ष का साक्षात्कार लिया गया था. इसके पहले टाइम्स नाउ का सबसे बड़ा इंटरव्यू प्रधानमंत्री मोदी के साथ था. लेकिन दोनों साक्षात्कारों में एक बड़ा फर्क देखने को मिला. नविका और राहुल शिवशंकर के प्रधानमंत्री के साक्षात्कार में पूरी तरह एक भी क्रिटिकल सवाल नहीं थे. उस साक्षात्कार में ‘प्राइम मिनिस्टर’ से फॉलोअप सवाल नहीं किए गए. पर अमित शाह के इस साक्षात्कार में नविका ने अमित शाह से कुछ असहज करने वाले प्रश्न जरूर पूछे. लेकिन कायदे से फॉलोअप सवाल करने से चूक गईं. ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री के साक्षात्कार से पिटी भद्द को दुरुस्त करने की कोशिश थी.
गुजरात चुनाव से संबंधित एक प्रश्न में अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने जातिवादी आंदोलन उकसाकर चुनाव लड़ा और भाजपा जातिवादी राजनीति नहीं विचारधारा की राजनीति करती है. इस मौके पर सही शॉट लगाते हुए नविका ने अमित शाह से पूछ डाला- “आप मंदिर का आंदोलन करें तो विचारधारा की राजनीति और राहुल गांधी करें लिंगायत की राजनीति तो जातिवाद की लड़ाई?”
अमित शाह ने इस सवाल को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने नविका से पूछा- “हमने कब की जातिवाद की राजनीति?” इसपर नविका खामोश रह गईं. वे अमित शाह को यह बताना भूल गईं कि सभी पार्टियां उम्मीदवारों का चयन जाति और धर्म को ध्यान में रखकर करती हैं. भाजपा के लोकसभा सांसदों के खाते में एक भी मुसलमान का न होना क्या बताता है.
“क्या मोदीजी का उपचुनावों में प्रचार में नहीं जाना हार का कारण बना?” अमित शाह ने इसके उत्तर में बेहद हास्यास्पद तर्क दिया. शाह ने कहा- “मोदी जी पंचायत के चुनाव में नहीं गए, भाजपा वहां जीती. मोदी नगर निगम चुनावों के चुनाव प्रचार में नहीं गए, भाजपा वहां भी जीती. मोदीजी के जाने से फर्क तो जरूर पड़ता है लेकिन इसका चुनाव हारने से कोई मायने नहीं है.”
एक बार फिर नविका भाजपा अध्यक्ष को घेरने से चूक गईं. मतलब, क्या प्रधानमंत्री पंचायत और नगर निकाय चुनावों में भी प्रचार के लिए जा सकते हैं? और क्या पंचायत चुनावों की तुलना लोकसभा उपचुनावों से की जा सकती है? दोनों के निवार्चन क्षेत्र, मुद्दों, प्रथामिकताओं में बड़ा अंतर होता है.
“हिंदी के एक प्रतिष्ठित अखबार ने छापा कि नरेंद्र मोदी बनारस से चुनाव नहीं लड़ेंगे?”
“कोई कुछ भी लिखे, हमलोग कांग्रेस तो हैं नहीं कि इमरजेंसी लगा दें.” इसपर नविका से पलट कर प्रश्न पूछने की न तो उम्मीद थी, न उन्होंने पूछा. नविका कैसे पूछ पाती कि मीडिया संस्थानों के अंदर किस तरह का दबाव है. न्यूज़रूम के भीतर ख़बरों के स्वत: सेंसर का माहौल है. जज लोया मामले में किस तरह से अखबार और टीवी चैनल नतमस्तक हो गए- इसपर नविका ने कुछ नहीं पूछा.
कांग्रेस अधिवेशन में राहुल गांधी द्वारा शाह को कथित हत्या में शामिल होने के सवाल पर शाह ने कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने न सिर्फ उन्हें बरी किया है बल्कि यह भी कहा है कि उनपर राजनीतिक साजिश के तहत आरोप लगाए गए थे. नविका ने शाह से जस्टिस लोया के संबंध में भी प्रश्न किया. लेकिन उन्होंने फिर से कोर्ट का हवाला देकर मामले को निपटा दिया.
नविका ने राफेल डील और जय शाह के मामले पर भी प्रश्न किया. जम्मू कश्मीर में पीडीपी गठबंधन और राज्य में तनाव की स्थिति पर भी सवाल किए गए. स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि नविका ने अपने स्तर से एक अच्छा इंटरव्यू किया. मीडिया की खेमेबंदी के दौर में अमित शाह से भले ही काउंटर प्रश्न न किए गए हों लेकिन कठिन प्रश्न पूछकर शायद दबाव से मुक्त होने का संदेश देने की कोशिश की गई है.
Also Read
- 
	    
	      
In Rajasthan’s anti-conversion campaign: Third-party complaints, police ‘bias’, Hindutva link
 - 
	    
	      
If manifestos worked, Bihar would’ve been Scandinavia with litti chokha
 - 
	    
	      
Mukesh Sahani on his Deputy CM bid, the Mallah voter, and breaking with Nitish
 - 
	    
	      
NDA’s ‘jungle raj’ candidate? Interview with Bihar strongman Anant Singh
 - 
	    
	      
Foreign nationals account for around 0.012% of Bihar’s voters, SIR shows