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कश्मीर: ‘नागरिकों’ की मौत पर उबाल
सोमवार को, जब कश्मीर में सर्दी की छुट्टियां खत्म हो रही थी. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के चरमपंथी और तीन जवान लड़कों की शोपियां गांव में मौत के बाद कश्मीर घाटी में एक बार फिर से उपजे बवाल के कारण स्कूल और कॉलेजों को फिर से बंद करना पड़ा है. स्थानीय निवासियों का दावा है कि तीनों लड़के मासूम थे. जबकि पुलिस और सेना का कहना है कि इस मामले की जांच चल रही है.
आमिर अहमद मलिक की पहचान लश्कर लड़ाकों के रूप में हुई है. एक एके-47, तीन मैगज़ीन और 88 राउंड उससे बरामद किए गए.
लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत- सोहेल खलील वेगे (22), शाहिद खान (20) और शहनवाज़ अहमद वेगे (23)- से शोपियां के पहनो गांव में मातम का माहौल है. यही वह गांव है जहां सुरक्षाबलों ने आतंकियों से कथित मुठभेड़ होने का दावा किया है. सोमवार, नौ बजे सुबह, गांव के लोग अपने घरों से बाहर निकलना अभी शुरू ही हुए थे. लोगों के सिर झुके हुए और बांहें फिरन के अंदर, लोग चुपचाप मृत युवकों को श्रद्धांजलि देने जा रहे थे.
रविवार रात में हुई मौतों की ख़बर से लोग अभी उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि सोमवार सुबह दो और मृत शरीरों के मिलने की ख़बर आई.
रविवार को हुई मुठभेड़ वाले घटनास्थल से करीब 250 किलोमीटर दूर, लोगों की नज़र सड़क से नीचे लुढ़की एक नीले रंग की वैगन-आर कार पर पड़ी, जिसके ऊपर गोलियों के निशान थे. कार के भीतर 22 साल के गौहर अहमद लोन मृत मिला. सेना ने कहा है कि लोन के लड़ाकों से रिश्तों की जांच की जा रही है.
यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर, सैदपुरा गांव में मौजूद एक सेब के बगान में एक अन्य व्यक्ति का मृत शरीर पाया गया. मृतक आशिक हुसैन भट्ट, को लशकर सदस्य बताया जा रहा है.
‘आज़ादी’ ‘गो इंडिया, गो बैक’ और ‘मुसा मुसा, जाकिर मुसा’ जैसे नारों के बीच शोपियां में चारो लड़कों का अंतिम संस्कार अलग-अलग किया गया. इनके आंतकी कनेक्शन की जांच चल रही है.
सोहेल खलील वेगे के परिवार ने उसके ओवर-ग्राउंड वर्कर होने के दावों से इंकार किया है. उनके परिवार ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बताया, ‘वे पेहलिपोरा (पड़ोस का गांव) से अपनी मां को रिश्तेदार के घर छोड़कर लौट रहा था. रास्ते में उसे मार गिराया गया.’ इसी तरह शाहिद खान के परिवार ने भी कहा कि वह निर्दोष था और उसकी हत्या की गई है.
इस बात की चर्चा गांव में लोग दबी जुमान में कर रहे हैं कि कुछ लड़ाके आशिक हुसैन भट्ट के गांव रख कापरान में उसके अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद थे और उन्होंने आशिक को बंदूकों की सलामी दी.
सेना का पक्ष
सेना के मुताबिक, रविवार रात तकरीबन 8 बजे दो गाड़ियों को तेजी से मोबाइल वाहन चेकपोस्ट की तरफ बढ़ते देखा गया. वे सुरक्षा बलों के सिग्नल के बावजूद नहीं रुके. उनके ऊपर सर्च लाइट फ्लैश की गई. जवाब में गाड़ी के अंदर बैठे लोगों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. सेना के अनुसार जबाव में उन लोगों ने भी गोली चलाई जिसमें मलिक नाम का लड़ाका मारा गया. कार में तीन अन्य मृत पाए गए. दूसरी गाड़ी इस अफरा-तफरी में तेजी से भागने में सफल रही है. अगले दिन यह गाड़ी लोन के मृत शरीर के साथ मिली.
घाटी बंद रहा
रविवार को करीब 9.30 बजे, संयुक्त प्रतिरोध समिति के नेताओं, जिसमें सैय्यद अली शाह गिलानी, मीरवाइज़ उमर फारुक़ और यासीन मालिक शामिल हैं, ने निर्दोष नागरिकों की हत्या के विरोध में घाटी बंद का एलान किया.
अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फारुक़ ने ट्वीट किया-
इसके साथ ही श्रीनगर के भी कुछ हिस्सों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया. पुलिस के मुताबिक एमआरगंज, नौहट्टा, सफा कदल, खानयार और रेनवारी पुलिस थानों और शहर-ए-खास के पड़ोसी क्षेत्रों में धारा 144 लगा दी गई. पुराने शहर के कालखुर्द और सिविल लाइन्स के मैसुमा पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में आने-जाने पर रोक लगा दी गई.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया-
इसी बीच जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन (पीएससी) ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा की सोमवार की तय परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है. परीक्षा की नई तारीखें अबतक जारी नहीं की जा सकी है. शिक्षा मंत्री अल्ताफ़ बुख़ारी ने ‘कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन बुधवार तक सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है.’
उमर अब्दुल्ला, विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने राज्य सरकार से घटना की विस्तृत जानकारी और किन परिस्थितियों की वजह से यह घटना हुई, इसे सार्वजनिक करने की अपील की है.
“मुख्यमंत्री ने मृतकों को आम नागरिक बताया है और अब यह उनकी (महबूबा मुफ्ती) जिम्मेदारी है कि वे राज्य की गृहमंत्री होने के नाते उपलब्ध जानकारियों के आधार पर सख्त कानूनी कार्रवाई करें. राज्य की मुखिया के तौर पर, उनके शब्द आखिरी होने चाहिए,” अब्दुल्ला ने कहा.
“सेना का अधिकारी, आम अपराधी नहीं”- सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगा दी है. कुमार पर शोपियां में इसी वर्ष जनवरी में तीन आम नागरिकों को मारने का मुकदमा चल रहा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक जांच रोकने का आदेश दिया है. 24 अप्रैल को कोर्ट इस मामले में अपना आदेश देगी.
“आखिरकार यह मुकदमा सेना के एक अधिकारी का है, किसी आम अपराधी का नहीं,” चीफ जस्टिस ने कहा.
27 जनवरी को, शोपियां जिले के गनाउपुरा गांव में पत्थर फेंक रहे दो नौजवानों की मौत कथित रूप से सुरक्षा बलों की गोलियां से हो गई थी. भीड़ एक युवक की मौत का विरोध कर रही थी. 31 जनवरी को, मृतकों की संख्या तीन हो गई जब एक अन्य जख्मी नागरिक की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद शोपियां लगातार सात दिनों तक विरोध प्रदर्शनों के कारण बंद रहा था.
आम नागरिकों की मृत्यु के संबंध में, पुलिस ने धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) और 336 (जान को खतरा) के तहत सेना के गढ़वाल रेजिमेंट के 10 जवानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
इसके जबाव में, सेना ने दावा किया कि टुकड़ी ने पत्थरबाजी से बचने के लिए आत्मरक्षा में गोली चलाई थी. सेना का कहना है कि उसके जूनियर कमीशन ऑफिसर को मारने की कोशिश की गई थी.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सत्र चल रहा है. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नागरिकों की हत्या के मामले में जांच का आश्वासन दिया है. सेना पर एक एफआईआर होने से सेना का उत्साह कम नहीं होगा, सेना में भी कुछ बुरे लोग हो सकते हैं, उन्होंने सदन में कहा.
मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि सरकार और रक्षा मंत्रालय सेना के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है. देश की सेना जम्मू कश्मीर में विकट परिस्थितियों में भी अपनी सेवा दे रही है. हम अपने जवानों को हतोत्साहित नहीं होने देंगे.
पिछले महीने मेजर आदित्य के पिता ने कोर्ट में केस दायर कर मांग की थी कि उनके बेटे के खिलाफ एफआईआर वापस लिया जाय.
सोमवार को जम्मू कश्मीर सरकार ने कहा कि मेजर आदित्य का नाम पुलिस एफआईआर में मुख्य आरोपी के रूप में नहीं है बल्कि टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे सैन्य अधिकारी के तौर पर है.
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