Newslaundry Hindi
क्या अब सरकारों ने किसानों से डरना भी बंद कर दिया है?
कर्ज माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल लागत से डेढ़ गुना ज्यादा करने की मांग को लेकर दिल्ली कूच कर रहे मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों को पुलिस ने दिल्ली पहुंचने से पहले ही रोक दिया. करीब 200 किसानों को हिरासत में भी लिया गया है.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के अंतर्गत विभिन्न राज्यों के किसान संगठन एकजुट हुए हैं. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली घेराव करने के लिए जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली फरीदाबाद सीमा पर ही रोक दिया गया.
मध्य प्रदेश से आये किसानों को फरीदाबाद अनाजमंडी में पुलिस ने नजरबंद कर दिया. इनमें लगभग 300 महिला किसान भी शामिल हैं. एक प्रदर्शनकारी महिला किसान रत्ना रघुवंशी ने बताया, “हम सरकार की किसान विरोधी नीतियों से काफी दुखी हैं. खेती से जीवनयापन बड़ी मुश्किल से हो पाता है इसलिए वे विरोध प्रदर्शन करने आने आई हैं.”
किसानों की मांग है कि सरकार स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करे. उन्हें फसल की उचित कीमतें दी जाए. सरकार ने जो न्यूनतम समर्थन मूल्य और आय संबंधी लुभावने वादे किसानों को किए थे, वे उन्हें पूरा करे.
जब किसानों ने किसान साथियों को गिरफ्तार किये जाने का विरोध शुरू किया तो यमुनानगर क्षेत्र में पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर रबड़ की गोलियां चलाई. लाठियों से खदेड़ा. साथ ही उनके ट्रैक्टर और ट्रॉलियां भी जब्त कर ली गईं.
पुलिस ने स्थानीय किसान नेताओं को भी हिरासत में ले लिया. पंजाब से आने वाले किसानों को अंबाला और डबवाली में रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 लगा दी गई.
फरीदाबाद के स्थानीय लोग जब किसानों की मदद करने आगे आये तो पुलिस ने कई स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में ले लिया. किसानों की मदद कर रहे अभिमन्यु और धीरज राणा ने बताया, “पुलिस उन्हें बार-बार किसानों की मदद करने के लिए रोक रही थी और गिरफ्तार करने की धमकी दे रही थी.”
सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए हरियाणा में अर्धसैनिक बलों की 25 कंपनियां और 6000 अतिरिक्त पुलिस जवान तैनात किए गए हैं.
उधर राजस्थान में भी अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले एक बड़ा किसान आंदोलन आकार ले रहा है. राजस्थान के किसान कर्ज माफी और राजस्थान सरकार की वादाखिलाफ़ी के विरोध में विधानसभा घेराव करने वाले थे. उनका नेतृत्व अमरा राम, पेमाराम और हेतराम बेनीवाल कर रहे थे. इन तीनों को ही पुलिस ने सीकर में रोक दिया. हालांकि शुक्रवार शाम अमरा राम को रिहा कर दिया गया.
ये किसान पूरी तैयारी से अपना विरोध प्रदर्शन करने निकले हैं. किसानों का जत्था 15 दिन के राशन से लैस है. किसान नेता रामनारायण चौधरी कहते हैं, ‘हम किसान कर्ज माफी, स्वामिनाथन कमिशन की रिपोर्ट लागू कराने की मांग करते हैं. उन्होंने प्रशासन द्वारा हिरासत में लिए गए अपने साथियों को छोड़ने की अपील भी की है. साथ ही ऐलान किया है कि वे किसान नेताओं की रिहाई के लिए 24 फरवरी को राजस्थान बंद करने जा रहे हैं.’
राजस्थान में मौजूद स्वतंत्र पत्रकार विनय सुल्तान ने फेसबुक के मार्फत बताया कि, “पुलिस ने सुबह से सीपीएम राजस्थान के दफ्तर को घेर रखा है. हनुमानगढ़ से कोटा तक हजारों किसान इस मार्च में हिस्सा लेने आ रहे थे. थोड़े बहुत किसान जयपुर पहुंच पाए. नागौर से जयपुर तक के सफर में आधा दर्जन से ज्यादा जगह पर पुलिस नाके लगा कर खड़ी है. सीकर से जयपुर के बीच हर पांच किलोमीटर पर पुलिस तैनात है.”
हालांकि किसानों की मांगें नई नहीं हैं. देशभर के किसान कर्ज और न्यूनतम सर्मथन मूल्य के चक्र में बुरी तरह घिरे हुए हैं. राजनीतिक दल किसानों का वोट पाने के लिए लुभावने वादे तो कर देते हैं. लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते. यह भारत की तमाम सरकारों की समस्या रही है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और पंजाब में सरकारों ने वादे के मुताबिक कर्जमाफी तो कर दी पर वह सभी किसानों को नहीं मिल पायी है.
सुनने में कर्जमाफी जनहित में प्रतीत होता है पर असल में उत्तर प्रदेश में कई किसानों को यह दस और बारह रुपए की रियात के रूप में मिला है. कृषि बीमा की शर्तें और नियमावली अपने आप में बेहद जटिल हैं. उदाहरण के लिए कई राज्यों में किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिल सकता जबतक किसी एक गांव के 60 फीसदी खेतों को नुकसान न पहुंचा हो.
पिछले साल दिल्ली में तामिलनाडु के किसानों का बड़ा प्रदर्शन हुआ था. वे दो महीने भर दिल्ली में डेरा डालकर बैठे रहे. लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी. उन्होंने आत्महत्या करने वाले किसानों का नरमुंड लगाया, पेशाब पिया, नंगे होकर प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी सरकार ने ना तो उनसे मिलने की जहमत उठाई, ना ही उनकी मांगों पर कोई ध्यान दिया.
पीड़ित किसानों ने बैंक अधिकारियों के अत्याचार का जिक्र किया था कि कैसे उनके घर आकर बैंक कर्मचारी बदसुलूकी करते हैं. पर इसी देश में नीरव मोदी जैसों के लिए 11000 करोड़ का घोटाला करना आसान है. फर्जी कागजों पर भारी भरकम रकम दे दी जाती है. वहीं जनता के नाम पर बनाये जाने वाले कानून, आम जनता के खिलाफ ही इस्तेमाल में लाए जाते हैं.
Also Read
-
‘They call us Bangladeshi’: Assam’s citizenship crisis and neglected villages
-
Why one of India’s biggest electoral bond donors is a touchy topic in Bhiwandi
-
‘Govt can’t do anything about court case’: Jindal on graft charges, his embrace of BJP and Hindutva
-
Reporter’s diary: Assam is better off than 2014, but can’t say the same for its citizens
-
‘INDIA coalition set to come to power’: RJD’s Tejashwi Yadav on polls, campaign and ECI