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पलायन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार, समाधान के लिए यज्ञ
सरकार की चौथी होली आते-आते मोदी के करिश्मे का रंग बदरंग हो चुका है. काला धन, रोजगार, गरीबी, भ्रष्टाचार से लेकर पाकिस्तान पर काबू पाने तक, सभी प्रमुख वादों पर अहंकार में लिपटी उपहास रूपी विफलता स्वीकार की जा चुकी है. शब्द संक्षेपों (एक्रोनिम) से किसी तरह काम चलाया जा रहा है. अब सारे रास्ते बंद देखकर हर समस्या की जिम्मेदारी कांग्रेस पर डाली जा रही है और हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के जरिए अगला आम चुनाव जीतने के लिए बगलामुखी यज्ञ, मंदिर यात्रा और इसी तरह के कई टोटकों का ही सहारा शेष रह गया है.
फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए पंजाब नेशनल बैंक लूटने के मास्टर माइंड मामा-भांजे मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को देश से बाहर निकल जाने के लिए सेफ पैसेज देने के बाद अब भाजपा सरकार सबसे पहले अपने कप्तान नरेंद्र मोदी की इमेज बचाने पर फोकस कर रही है. उसने नीरव मोदी को ‘छोटा मोदी’ कहने पर गहरा एतराज उठाया. पहले से तय है कि देश में सभी प्रकार के चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़े जाने हैं इसलिए उनपर न्यूनतम कीचड़ पड़े इसका इंतजाम किया जाना जरूरी था. इसके बाद घोटाले की जिम्मेदारी कांग्रेस पर डालते हुए पीएनबी के कुछ छोटे अफसरों को बलि का बकरा बनाने के एक्शन प्लान पर अमल हुआ.
यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि बैंकिंग के सख्त प्रावधानों के कारण पीएनबी की गारंटी पर दूसरे बैंकों से 11,400 करोड़ का कर्ज उठाने की अनुमति देने वाले एलओयू बिना राजनीतिक दखल और सर्वोच्च अफसरों की मिलीभगत के जारी ही नहीं हो सकते थे. दूसरी ओर अधिकांश घपला इसी साल किया गया और मैनेज कर पाने में विफलता के बाद एफआईआर दर्ज करानी पड़ी.
इससे पहले भाजपा सरकार में शिकायतकर्ताओं ने पीएमओ को अर्जी दी थी जिसे रजिट्रार आफ कंपनीज़ के पास बढ़ा दिया गया, जहां से उन्हें जवाब दिया गया कि मामला बंद किया जा चुका है.
मोदी राज में बड़ी समस्याओं का सामना करने का सेट पैटर्न रहा है. सबसे पहले सरकार एक नैतिक मुद्रा के साथ विपक्ष की ओट में छिपने की कोशिश करती है यानि समस्याओं को पहले की कांग्रेस सरकारों के खाते में डाला जाता है.
दोनों तरफ से निरर्थक आरोपों के घटाटोप में भी मामला नहीं दबता तो बहस की उत्तेजना में जबान फिसलती है तब अहंकार में लिपटे उपहासों का सहारा लिया जाता है. यहां गेंद जनता के पाले में चली जाती है, जहां से उपहास और खिल्ली लौटकर वापस आते हैं. इसके बाद अंतिम तौर पर ध्यान भटकाने के लिए आरएसएस-भाजपा के अनुशासित कार्यकर्ताओं से लेकर ट्रोल्स की अराजक सेना तक सब मिलकर सटीक टाइमिंग के साथ ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनका अंत सफलतापूर्वक हिंदू-मुस्लिम घृणा को भड़काने में होता है.
इसे सरकार और संगठन के तीन सर्वोच्च जिम्मेदार नेताओं के जरिए समझा जा सकता है. विदेशों में जमा कालाधन वापस लाकर हर खाते में पंद्रह लाख डालने के वादे को जुमला बताने वाले अमित शाह सरकार के चौथे साल में राज्यसभा में पहुंचते हैं और पहली बात संसद में कहते हैं कि हमें कांग्रेस से विरासत में गड्ढा मिला था.
प्रधानमंत्री मोदी उच्च शिक्षा के बजट में कटौती और बढ़ती बेरोजगारी के सवाल पर कहते हैं, सड़क पर पकौड़े बेचना भी रोजगार है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पाकिस्तान से आतंकवादी हमलों की बाढ़ को रोक पाने की नाकामी पर सेना का मजाक उड़ाते हैं, संविधान की इजाजत मिले तो आरएसएस ऐसी सेना सिर्फ तीन दिन में खड़ी कर सकता है.
आम चुनाव की तैयारी में लगी भाजपा ने अपना अंतिम अस्त्र चला दिया है, अगले एक साल में पूरे देश को हिंदू-मुसलमान का पाला खींचकर सांप्रदायिक ताप बढ़ाते जाने की तैयारी है ताकि सरकार के परफार्मेंस पर ध्यान ही न जाए.
लालकिले पर सरकारी राष्ट्ररक्षा यज्ञ शुरू किया गया है जिसके लिए डोकलाम, सियाचिन, पुंछ और बाघा बार्डर से मिट्टी और जल लाया गया है. ग्यारह सौ ग्यारह ब्राह्मण ढाई करोड़ बार बगलामुखी मंत्र का जाप करेंगे जिसका मकसद सीमाओं को सुरक्षा कवच से बांधना और देश के भीतर से भ्रष्टाचार समाप्त करना है.
जो रथ मिट्टी लाने के लिए भेजे गए थे उन्हें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने झंडी दिखाकर रवाना किया था. बगलामुखी राजकाज की देवी मानी जाती हैं. समर्थन जुटाने का तरीका निकाला गया है कि साधारण लोग भी ग्यारह रुपए पेटीएम करके इस यज्ञ में घी की आहूति डलवा सकते हैं.
दूसरी तरफ अदालत में मामला विचाराधीन है फिर भी 13 फरवरी को अयोध्या से रामेश्वरम तक रामराज्य रथयात्रा रवाना की गई है. इसके तहत लोगों को राममंदिर बनाने की शपथ दिलाई जाएगी और इतिहास के मुस्लिम आक्रांताओं से वर्तमान में बदला लेने के लिए संकल्पबद्ध किया जाएगा.
इसी तासीर के ढेरों कार्यक्रम बनाए गए हैं जो चुनाव तक चलते रहेंगे. मोदी जब भी मुश्किल में फंसते हैं मुसलमान कार्ड चलते हैं. बीते दिसंबर में गुजरात चुनाव में भाजपा की पतली हालत देखकर उन्होंने कहा, कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के घर पाकिस्तानी उच्चायुक्त के साथ मिलकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर उनके खिलाफ साजिश कर रहे थे. यह व्यर्थ का वितंडा साबित हुआ.
यूपी के विधानसभा चुनाव में उन्होंने श्मशान पर कब्रिस्तान को तरजीह देने का मुद्दा उठाया था. कहा था, यूपी में रमजान पर दीवाली से ज्यादा बिजली दी जाती है. पॉवर कारपोरेशन ने आधिकारिक आंकड़े जारी किए तो पता चला यह झूठ था, ज्यादा बिजली तो दीवाली पर दी गई थी.
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