Newslaundry Hindi
द ट्रिब्यून पर एफआईआर के चलते प्रेस क्लब का मैदान छोड़ा रविशंकर प्रसाद ने?
ऐसा लगता है कि द ट्रिब्यून की पत्रकार रचना खैरा की आधार डाटा लीक संबंधी स्टोरी पर मचे बवाल के कारण क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस क्लब में अपना पूर्व घोषित कार्यक्रम मीट द प्रेस को कैंसल कर दिया है.
गौरतलब है कि 6 जनवरी को प्रेस क्लब के महासचिव विनय कुमार ने क्लब के पदाधिकारियों को एक आधिकारिक मेल भेजकर इस बारे में इत्तेला दी थी कि प्रेस क्लब में 9 जनवरी को दोपहर तीन बजे से क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ मीट द प्रेस कार्यक्रम का आयोजन होगा. मेल में यह भी कहा गया कि कार्यक्रम तीन तलाक़ और महिलाओं के मुद्दे पर केंद्रित होगा.
प्रेस क्लब के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इसको लेकर प्रबंधन कमेटी के सदस्यों के बीच तीखी तकरार हुई. कुछ सदस्यों ने क्लब के अध्यक्ष गौतम लाहिरी से सवाल किया कि एक तरफ द ट्रिब्यून के पत्रकार के खिलाफ सरकार एफआईआर दर्ज करवा रही है दूसरी तरफ प्रेस क्लब उन्हें तीन तलाक मुद्दे पर मंच मुहैया करवा रहा है.
इस पर गौतम लाहिरी ने क्लब के सदस्यों को आश्वासन दिया कि मंत्री से मिलने का कार्यक्रम एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन अगर किसी को आधार, द ट्रिब्यून या रचना खैरा से संबंधित सवाल पूछना है तो वह सवाल पूछ सकता है. इस आश्वासन पर सदस्यों के बीच राय बनी कि ठीक है कार्यक्रम होना चाहिए पर विषय का बंधन नहीं होगा.
इसके बाद 8 जनवरी को सुबह 10:41 पर प्रेस क्लब प्रबंधन कमेटी की तरफ से एक और मेल सभी सदस्यों को भेजा गया जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का प्रस्तावित कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. इसे लेकर एक बार फिर से प्रेस क्लब के सदस्यों के अंदरूनी व्हाट्स एप ग्रप में बहस शुरू हो गई कि कार्यक्रम प्रेस क्लब ने स्थगित किया है या मंत्रीजी की तरफ से स्थगित किया गया है. इसके जवाब में प्रेस क्लब के अध्यक्ष गौतम लाहिरी ने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम मंत्रीजी की तरफ से स्थगित हुआ है. लाहिरी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “मंत्री के दफ्तर से हमें बताया गया कि कुछ जरूरी काम आने और कैबिनेट की बैठक होने के कारण इसे आगे के लिए टाल दिया जाय.”
इस उत्तर ने कई सवालों को जन्म दिया कि क्या मंत्री ने रचना खैरा के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में मीडिया में पैदा हुए एकसुर विरोध को देखते हुए एहतियातन कार्यक्रम को स्थगित किया, ताकि उन्हें किसी तरह के असहज सवालों का सामना न करना पड़े? यह सवाल प्रेस क्लब के सदस्यों ने व्हाट्सएप ग्रुप में अध्यक्ष लाहिरी से पूछा. लेकिन इस बार लाहिरी ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि आगे फिर से कार्यक्रम होगा. किसी तरह का निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं है. जाहिर है इस सवाल का जवाब रविशंकर प्रसाद ही ठीक-ठीक दे सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के बीच इस बात को लेकर खीज और सुगबुगाहट चल रही है. हाल के दिनों में प्रेस क्लब के भीतर कई मुद्दों को लेकर तकरार हुई है. एनडीटीवी द्वारा अपने 25 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी के सवाल पर भी क्लब लंबे समय तक चुप्पी साधे रहा. उसने तत्काल न तो कोई बयान जारी किया न ही किसी तरह का विरोध कार्यक्रम आयोजित किया. इस चक्कर में नए साल का अवसर आ गया. फिर लगभग 20 दिनों बाद वुमेन प्रेस कॉर्प, प्रेस एसोसिएशन और इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के साथ मिलकर छंटनी पर बहस का कार्यक्रम आयोजित हो सका. इसमें एनडीटीवी का नाम लेने से परहेज किया गया.
एक पदाधिकारी बताते हैं कि क्लब के उपाध्यक्ष मनोरंजन भारती जो कि खुद भी एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार है, के दबाव के चलते क्लब इस आयोजन से बचता रहा. सूत्र बताते हैं कि क्लब अकेले किसी तरह के आयोजन से दूर रहना चाहता था. अंतत: जब उसे वुमेन प्रेस कॉर्प समेत तमाम संस्थाओं का साथ मिला तब वह इस आयोजन के लिए तैयार हुआ.
मजेदार तथ्य यह भी है कि रचना खैरा मामले में भी प्रेस क्लब ने देर से बयान जारी किया. हालांकि लाहिरी का कहना है कि रविवार होने के कारण लोगों तक हमारा बयान देर से पहुंचा, वरना इस मामले में हमने सबसे पहले बयान जारी कर दिया था.
बीईए, एडिटर्स गिल्ड समेत तमाम पत्रकार संस्थाओं ने द ट्रिब्यून की पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर अपना कड़ा विरोध दर्ज करवाया. इस सीधे से मसले में भी क्लब अकेले निंदा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. एक बार फिर से इसने महिला प्रेस क्लब समेत कई संगठनों के साथ संयुक्त बयान जारी किया. लाहिरी की सफाई है कि हमने समान विचार रखने वाले कुछ संगठनों के साथ सहमति बनाई है. इसलिए हम उनके साथ मिलकर बयान जारी करते हैं.
Also Read
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing
-
Hafta 550: Opposition’s protest against voter fraud, SC stray dogs order, and Uttarkashi floods
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream