Newslaundry Hindi
गांधी हैं सदा के लिए
1950 से लेकर 1971 तक आकाशवाणी का हिस्सा रहे मैलविल डि मेलो 31 जनवरी, 1948 को गांधीजी की अंतिम यात्रा का सात घंटे लंबा सजीव, भावुक प्रसारण करने के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी इस रेडियो कमेंट्री को रेडियो के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है. डि मेलो ने बाद में गांधीजी की अंतिम यात्रा से जुड़े इस संस्मरण पर विस्तृत लेख लिखा. यह लेख गांधी मार्ग पत्रिका में प्रकाशित हुआ. न्यूज़लॉन्ड्री ने उनके संस्मरण के आधार पर यह छोटी सी डॉक्युमेंट्री बनाई है. आज 70 साल बाद जब पीढ़ियां बदल चुकी हैं, लोगों की स्मृति से गांधी रूपी विचार धुंधला पड़ता जा रहा है, तब इस डॉक्युमेंट्री के जरिए हम हाड़-मास के एक ऐसे चमत्कार से रूबरू हो सकते हैं जिसकी चमक से महज सात दशक पहले तक 24 घंटे सूरज की रोशनी से चमकने वाले ब्रिटिश साम्राज्यवाद की चमक भी धुंधली पड़ गई थी.
Also Read
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
Air India crash: HC dismisses plea seeking guidelines for media coverage