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सूचनाः भूख से मरने से पहले अपने डीलर से संपर्क करें
“सूचना: कोई भी कार्डधारी या अन्य ग्रामीण भूख से मरने से पहले अपने डीलर से भेंट करे,” यह सूचना झारखंड के जमशेदपुर जिले में चिपकाई गई थी जिसे सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है.
जब यह सूचना फैलाई जा रही है उसी दौरान झारखंड के एक अन्य जिले गिरीडीह के तीसरी क्षेत्र में बुधनी सोरेन ने भूख से दम तोड़ दिया. बुधनी ने बीते कई दिनों से कुछ भी नहीं खाया था. बुधनी की कहानी भी भुखमरी से मरने वाले बाकी लोगों की तरह ही है.
बुधनी सोरेन की बेटी सुनीता सोरेन ने बताया, “घर में कई दिनों से कुछ खाना नहीं था. कोई अनाज नहीं था.” सुनीता के मुताबिक बुधनी कई दिनों से भूखी थी.
वीडियो रिपोर्ट में रिपोर्टर ने जानना चाहा कि क्या बुधनी के पास आधार कार्ड या राशन कार्ड था. सुनीता ने कहा कि बुधनी के पास कोई आधार या राशन कार्ड नहीं था.
रिपोर्टर ने सुनीता से गांव के मुखिया के बारे में पूछा- क्या मुखिया कभी आए थे. पता चला कि मुखिया बुधनी के घर कभी नहीं गए. रिपोर्टर ने मुखिया से भी बात की. उन्होंने साफ कहा, “जब वे क्षेत्र के भ्रमण पर थे तब लोगों से उन्हें सूचना मिली कि बुधनी की मौत भूख से हुई है. अगर हमें पहले से पता होता तो उसके लिए जरूर से व्यवस्था करते.”
गांव के एक अन्य व्यक्ति ने बुधनी के घर की दयनीय स्थिति के बारे बताया. उसने बताया कि बुधनी अपने बच्चे के साथ उसके स्कूल चली जाया करती थी जहां मिड डे मील का भोजन उसे भी मिल जाता था. पिछले कुछ दिनों से स्कूल बंद होने के कारण उसे वह भी नहीं मिल पा रहा था.
यह उसी झारखंड की तस्वीर है यहां कुछ महीने पूर्व एक बच्ची संतोषी की मौत भुखमरी की वजह से हुई थी. उस बच्ची के अंतिम शब्द थे- भात-भात.. उसके परिवार को पिछले कुछ समय से राशन नहीं मिल रहा था क्योंकि उसका राशन कार्ड आधार से जुड़ा नहीं था.
दिल्ली केंद्रित आधार की बहसों में निजता का सवाल अहम होता है लेकिन दूर दराज के इलाकों में आधार व राशन कार्ड न होने की कीमत लोग जान गंवाकर दे दे रहे हैं, इस तथ्य को बहसों का हिस्सा बनाना बहुत जरूरी है.
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