'हमारा कचरा ढोने वाले डंपिंग साइटों में जलकर मर रहे हैं'

दिल्ली से लेकर अब अन्य महानगरों में डंपिंग साइट से होने वाले हादसों में मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

WrittenBy:विवेक मिश्रा
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इन घटनाओं से पहले पहली बार डंपिंग साइट से मौत का मामला दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास आया था. जहां कचरे में विस्फोट होने के कारण दो लोगों की मौत हुई थी और पांच लोग घायल हुए थे.

यह सब हो रहा है और एजेंसियों चेत नहीं रहीं. प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का आखिरी परिणाम और हादसों से होने वाली मौत का परिणाम अंत में मौत ही है. मानवीय त्रासदियों की अनदेखी जारी है और पर्यावरण प्रदूषण व ऐसी घटनाओं को हतोत्साहित करने के लिए जो भी कदम उठाए जाने हैं वह निष्प्रभावी हैं.

लुधियाना के सात लोगों के मामले में जस्टिस जसबीर सिंह की समिति ने अपनी सिफारिश में लिखा है लुधियाना नगर निगम शहर में मौजूद सेंकेंडरी 38 कूड़े-कचरे के प्वाइंट को पूरी तरह हटाए. 1100 टन प्रति दिन कचरे में से सिर्फ 968 टन प्रतिदिन कचरा डंपिंग साइट जा रहा है बाकी इन्हीं सेंकेडरी प्वाइंटस पर फेका जाता है.

मानेसर वाले मामले में समिति ने कम समय में जो उपाए किए जाने हैं उसके लिए अपनी सिफारिश में कहा है कि मानेसर नगर निगम जले हुए कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने के लिए बावल साइट पर भेज दिया जाए. इसके अलावा इसका खर्चा प्राइवेट लैंड के मालिक से वसूला जाए. वहीं, एचएसआईडीसी साफ-सफाई का काम नगर निगम को सुपुर्द करे जो कि दो महीने में लीगेसी वेस्ट को बावल साइट पर पहुंचाए. इसके अलावा हजार्ड्स वेस्ट को फरीदाबाद पहुंचाया जाए.

दोनों समिति ने कहा है कि जिम्मेदार एजेंसियां ठोस कचरा प्रबंधन कानून 2016 के नियमों का तत्काल पालन करें. दोनों समितियों ने इसके अलावा पूर्व में आदेशों का पालन न करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से नगर निगम और जिम्मेदार एजेंसियों पर जुर्मााना लगाने की भी सिफारिश की है.

(साभार डाउन टू अर्थ)

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