प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया का एक और कारनामा, पत्रकार सुचेता दलाल के खिलाफ चलाई फर्जी खबर

ऑपइंडिया एकतरफा, भ्रामक और दुराग्रह से भरी सूचनाएं फैलाने के लिए अक्सर बदनाम रहा है.

Article image
  • Share this article on whatsapp

प्रोपेगेंडा खबरों की लिए चर्चित ‘ऑपइंडिया’ ने एक बार फिर फेक न्यूज़ प्रसारित की है. यह खबर मशहूर पत्रकार सुचेता दलाल को लेकर थी. जब दलाल ने ट्वीटर पर आपत्ति जताई तब वेबसाइट की तथाकथित एडिटर ने वहीं पर माफी मांग ली लेकिन खबर को हटाया नहीं. 

ऑपइंडिया एकतरफा, भ्रामक और दुराग्रह से भरी सूचनाएं फैलाने के लिए अक्सर बदनाम रहा है. अक्सर ही बिना संबंधित पक्ष का बयान लिए, उसके खिलाफ खबरें चलाना यहां आम है. वैचारिक स्तर पर दक्षिणपंथ और सत्ता के साथ सटकर चलने वाली यह प्रोपेगेंडा वेबसाइट अक्सर पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों की अनदेखी करती रहती है. 

4 नवंबर को वेबसाइट ने एक खबर प्रकाशित की. इसका आधार ‘क्रिंज आर्किविस्ट’ का एक ट्वीट थ्रेड था. इसमें कहा गया है, “मीडिया में मीटू मामले में हमारे स्रोत की जांच को सुचेता दलाल ने रोकने की कोशिश की. जिसमें वह असफल रहीं.” 

सुचिता दलाल जानी-मानी बिजनेस पत्रकार हैं. शेयर मार्केट ब्रोकर हर्षद मेहता घोटाले को देश और दुनिया के सामने दलाल ही लेकर आई थीं. फिलहाल दलाल मनीलाइफ नाम की वेबसाइट की मैनेजिंग एडिटर हैं.  

क्रिंज आर्किविस्ट ने अपने ट्वीट के साथ ही सुचेता का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है. जिसमें वह उज्ज्वल कृष्णम के बारे में लिख रही हैं. बता दें कि उज्ज्वल ही क्रिंज आर्किविस्ट अकाउंट के एडमिनिस्ट्रेटर हैं. इसी नाम से ट्विटर के अलावा इंस्टाग्राम पर भी उनका अकाउंट है. यहां गौर करने वाली बात है कि यह वही सोशल मीडिया अकाउंट है जिसके दावे पर द वायर ने मेटा के खिलाफ खबर चलाई थी.

उज्ज्वल ने 2019 में सुचेता को मनीलाइफ में मीटू मामलों को लेकर एक मेल लिखा था. उसने लिखा था कि अगर आपके संस्थान में कोई मीटू का मामला हो तो हमें बताएं. मैं यह इन्वेस्टिगेशन एक विदेशी मैगजीन के लिए कर रहा हूं. मेल में यह जानकारी 15 सितंबर, 2019 तक भेजने के लिए कहा गया था. 

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

14 सितंबर को करीब शाम पांच बजे उज्ज्वल ने दलाल को एक और मेल लिखा, जिसका शीर्षक है ‘जिससे भी संबंधित हो’. इसमें कहा गया है कि “हम आपके जवाब के इंतजार में हैं, हालांकि अभी तक हमें आपकी तरफ से जवाब नहीं मिला है. यदि आपके असहयोग की वजह किसी तरह की सांस्थानिक मिलीभगत से जुड़ी है तो प्रकाशक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे. अगर आप अभी भी इस विषय पर जवाब देना चाहती हैं तो 20 सितंबर से पहले दें.” 

इस मेल में कई अन्य लोगों को भी सीसी किया गया था. 

सुचेता दलाल ने इसके बाद रात नौ बजे अपना जवाब भेजा. जिसमें उन्होंने लिखा, “यदि आपने हमारे प्रकाशन का नाम किसी भी निराधार, लापरवाह और बदनीयती वाले लेख में लिया तो जो कि रीसर्च के रूप में मौजूद होगा, तो हम आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे.”

बता दें कि इससे पहले मई 2019 में उज्ज्वल ने सुचेता को एक मेल मनीलाइफ में नौकरी के लिए भी किया था. इस मेल में उन्होंने स्टोरी आइडिया भी भेजा था. 

2019 का यह जीन्न अपने बोतल से 4 नवंबर को एक बार फिर तब बाहर निकला जब क्रिंज आर्किविस्ट ने दलाल को भेजे अपने पुराने मेल को ट्वीटर पर साझा किया. हालांकि इस पूरे ट्विटर थ्रेड में कहीं भी विनोद दुआ के मीटू मामले को लेकर बात नहीं हैं, लेकिन ऑपइंडिया ने अपनी खबर की हेडलाइन बनाया, “सुचेता दलाल पर वायर के विनोद दुआ के खिलाफ मीटू जांच में बाधा डालने का आरोप”

जैसा की पहले भी होता रहा है, इस बार भी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया ने फैक्ट को नजरअंदाज किया. जिस क्रिंज आर्किविस्ट के हवाले से ऑपइंडिया ने दलाल के ऊपर आरोप लगाए और दावा किया कि वो विनोद दुआ को ‘मी टू’ मामले में बचा रही थीं, उसने खुद ही ट्वीट कर वेबसाइट को गलत बता दिया.

इस पूरे मामले पर विवाद बढ़ गया. सुचेता दलाल ने प्रोपेगेंडा वेबसाइट की खबर को ट्वीट कर लिखा, “यह पूरी तरह से आश्चर्यजनक है. मैं विनोद दुआ से कभी नहीं मिली और न ही मेरी पत्रकारिता के 35 वर्षों में मेरा कोई उनसे लेना-देना है. मैं आखिर ऐसा क्यों करुंगी? अपमानजनक.”

इसके बाद ‘ऑपइंडिया’ ने अपनी खबर की हेडलाइन से विनोद दुआ का नाम हटा दिया. प्रोपेगेंडा फैलाने के चक्कर में जब वेबसाइट की छीछालेदर हो गई तब उसकी एडिटर नूपुर शर्मा ने ट्वीटर पर लिखा- “यह हमारी गलती है कि खबर को लेकर सुचेता दलाल से उनका पक्ष नहीं जाना. हमने अपनी गलती को कॉपी में अपडेट कर दिया है. यह गलती है और इसके लिए मैं खुद माफी मांगती हूं.”

सुचेता दलाल ने हमें बताया, “बिना दूसरा पक्ष जाने खबर प्रकाशित कर दी गई. यह तो पत्रकारिता के सिद्धांतों के खिलाफ है. इस स्टोरी में विनोद दुआ का नाम लिया गया. जबकि मैं उनको जानती तक नहीं हूं.” 

वह आगे कहती हैं, “जिस व्यक्ति के ट्वीट को दिखाया गया है. उसने मीटू के मामले को लेकर हमें मेल भेजा था. उसने हमसे नौकरी भी मांगी थी. फिर वह धमकी देने लगा कि अगर हमने जवाब नहीं दिया तो वह हमारे खिलाफ छाप देगा. पत्रकारिता में ऐसा नहीं होता है. आप किसी को धमकी नहीं दे सकते कि जवाब दो नहीं तो छाप देंगे.”

सुचेता बताती हैं, “मैं मनीलाइफ चलाती हूं जो की मुंबई में स्थित है. और मैं भी यहीं रहती हूं. पता नहीं कैसे द वायर और विनोद दुआ इसमें आ गए. मेरा तो द वायर से भी कोई लेना-देना भी नहीं रहा.”

ऑपइंडिया ने जो खबर लिखी है उसका कोई आधार नहीं है. खुद खबर में वेबसाइट ने लिखा कि, “हम इन (क्रिंज आर्किविस्ट) के दस्तावेजों की प्रामाणिकता की न तो पुष्टि करते हैं और न ही खंडन करते हैं. फिलहाल, हम स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकते हैं कि दस्तावेजों में दी गई जानकारी वास्तविक है या नहीं.”

सवाल उठता है कि जब दस्तावेजों की पुष्टि नहीं की जा सकती तो फिर खबर क्यों लिखी गई. क्या जिस ट्विटर यूजर ने कई साल पुराने मेल का स्क्रीनशॉट शेयर किया, उसकी सत्यता की जांच की गई? 

सुचेता कहती हैं, “माफी मांगने से कुछ नहीं होता. जब खबर ही फेक हैं तो ऑपइंडिया को खबर ही हटाना चाहिए.”

आदत से मजबूर 

न्यूज़लॉन्ड्री ने ऑपइंडिया की एडिटर नूपुर शर्मा से बात करने के बाद उन्हें कुछ सवाल भेजे. यह सवाल इस रिपोर्ट और पत्रकारिता से जुड़े थे. लेकिन प्रोपेगेंडा की बीमारी से त्रस्त वेबसाइट की एडिटर ने सवालों का जवाब भेजने की बजाय हमारे सवालों के ऊपर खुद एक खबर लिखकर अपनी वेबसाइट पर लगा दी. 

ऑपइंडिया ने अपने जवाब में लिखा कि न्यूज़लॉन्ड्री वेबसाइट ट्रैफिक लेने के लिए ऑपइंडिया के खिलाफ लिखता है. यहां कहानी सिर के बल खड़ी हो जाती है. ऑपइंडिया की वेबसाइट पर अगर आप न्यूज़लॉन्ड्री का नाम सर्च करेगें तो वहां 50 से भी ज्यादा खबरें न्यूज़लॉन्ड्री के बारे में दिख जाएंगी. इससे यह साफ हो जाता है कि कौन किसके बारे में खबरें लिखता और ट्रैफिक बटोरता है. 

वैसे भी न्यूज़लॉन्ड्री सब्सक्रिप्शन आधारित मीडिया प्लेटफॉर्म है इसलिए यह हिट की अंधी रेस में शामिल नहीं होता. वेबसाइट की एडिटर ने सवालों का जवाब देने की बजाय उस पर खबर बनाकर हिट बटोर लिया. नूपुर शर्मा ने चार सवालों के जवाब में भर-भर कर ज्ञान उड़ेला है. हम नहीं चाहते कि आप इस ज्ञान से पीड़ित हों और आपकी ऊर्जा, समय और दिमाग खराब हो.

अपने जवाब के अंत में शर्मा कहती हैं, “हम कम से कम अपनी विचारधारा को स्वीकारते हैं और गर्व से घोषणा करते हैं कि हम हिंदुओं के लिए बोलते हैं और उस गुट के खिलाफ जो हिंदुओं को अलग-थलग देखना चाहते हैं. आपको हमसे जवाब मांगने का कोई अधिकार नहीं है.”

ऑपइंडिया हैबिचुअल अफेंडर है. फर्जी खबर लिखना, माफी नहीं मांगना और खबर को लेकर दूसरे पक्ष से बात नहीं करने का इसका लंबा इतिहास है. इस प्रोपेगेंडा वेबसाइट ने न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ पचासों खबरें की हैं. लेकिन किसी में भी इसने न्यूज़लॉन्ड्री से उसका आधिकारिक पक्ष नहीं मांगा है. 

इस प्रोपेगेंडा वेबसाइट की पहचान इसे विकीपीडिया पेज से भी होती है, जहां पर लिखा है कि यह फेक न्यूज़ छापता है, इस्लामोफोबिया का शिकार है. ऑप इंडिया के स्याह सच को जानने के लिए आप न्यूज़लॉन्ड्री की एक हिंदी और एक अंग्रेजी की ये रिपोर्ट्स पढ़ सकते हैं. 

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article imageन्यूज़लॉन्ड्री ने जीते दो लाडली मीडिया अवार्ड
article imageमेनस्ट्रीम मीडिया में शीर्ष पदों पर एक भी एससी-एसटी पत्रकार नहीं
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like