परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी– अपनाने होंगे ये तरीके

पर्यावरण की शुद्धता के लिए तैयार किए जाने वाले एक प्रभावी तंत्र के जरिए ही हम पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन बना सकेंगे.

WrittenBy:सुनीता नारायण
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

यह कहना मजाक है कि इन समितियों में शामिल विशेषज्ञ स्वतंत्र होते हैं. दरअसल परियोजना की छानबीन के दौरान लिए जाने वाले फैसलों को लेकर ये समितियां सरकार की जवाबदेही को कम करती हैं.

अब समय आ गया है, जब ऐसी समितियां को भंग कर दिया जाए और परियोजनाओं की निगरानी और उनके मूल्यांकन का काम केंद्रीय और राज्य के पर्यावरण विभागों को करने दिया जाए, जिन्हें इस काम के लिए जरूरी विशेषज्ञता हासिल करने में सक्षम बनाने की जरूरत होगी.

उन सारी परियोजनाओं की सूची जनता के सामने रखी जानी चाहिए, जिन्हें सरकारी मंजूरी दी गई या फिर जिन्हें खारिज कर दिया गया और ये दोनों काम किन स्थितियों के चलते किए गए.

चौथा और सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा, मंजूरी मिलने के बाद, परियोजना की निगरानी की प्रक्रिया को पहले से ज्यादा मजबूत करना है. इसके लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर तटीय और वन संबंधित संस्थानों तक सभी एजेंसियों के कामकाज को अविभाज्य करना जरूरी है.

वर्तमान में, इन अलग- अलग कामों के लिए कई एजेंसियां हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन फिर भी कमजोर है. शिकायतों के निवारण के लिए हमारा फोकस परियोजनाओं की निगरानी पर होना चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते तो परियोजना के प्रभावों का मूल्यांकन करने की इन सारी कोशिशें का कोई मतलब नहीं होगा.

सारे प्रयासों के बावजूद ये सारे उपाय तब तक काम नहीं आएंगे, जब तक किसी परियोजना से जुड़े आधारभूत आंकड़े उपलब्ध न हों और उन्हें सार्वजनिक न किया जाए. इसके लिए परियोजना के पर्यावरण संबंधी तमाम मानकों पर खरे उतरने वाले और पारिस्थितिक महत्व के नवीनतम आंकड़ों को जुटाने की प्रक्रिया को मजबूत बनाना होगा.

इन आंकड़ों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने की जरूरत होगी ताकि जब पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट में उनका उपयोग किया जाए, तो उनकी विश्वसनीयता और वैज्ञानिक दृढ़ता का अनुमान लगाया जा सके.

यह सब तभी मुमकिन है, जब हम यह मानेंगे कि किसी परियोजना की छानबीन का कोई महत्व है. नहीं तो पर्यावरण संबंधी मंजूरी एक बेकार की प्रक्रिया बनी रहेगी और एक के बाद एक सरकार पर्यावरण की सुरक्षा के नाम पर इसका दर्जा गिराती जाएगी और यह केवल नाम भर की चीज रह जाएगी.

(साभार- डाउन टू अर्थ)

Also see
article imageआगरा के पेठे के स्वाद के पीछे छुपा है पर्यावरण का बड़ा नुकसान
article imageपिछले पांच वर्षों में 1798 परियोजनाओं में किया गया पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का उल्लंघन
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like