सुधीर का इस्तीफा: शुरू से अंत तक…

सुधीर चौधरी का इस्तीफा और उस पर सुभाष चंद्रा का जवाब. यह सब देखने में तो बहुत साधारण जैसा लगता है, लेकिन ऐसा है नहीं.

Gobindh
  • Share this article on whatsapp

मई 2021 में ज़ी न्यूज़ में करीब 18 सालों से काम कर रहे इनपुट एडिटर शैलेश रंजन और ज़ी न्यूज़ वेबसाइट के एडिटर अभिषेक मेहरोत्रा को भी हटा दिया गया. यह दोनों सुधीर चौधरी के करीबी माने जाते हैं. हालांकि शैलेश रंजन और अभिषेक दोनों न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में निकाले जाने की बात से इंकार करते हैं. दोनों का कहना है कि उनका जाना पहले से ही निर्धारित था.

ज़ी न्यूज़ वेबसाइट में काम करने वाले एक कर्मचारी कहते हैं, “अभिषेक झूठ बोल रहे हैं. उन्हें डीएनए हिंदी का एडिटर बनाए जाने की बात कही गई थी लेकिन वह माने नहीं, जिसके बाद उन्हें जाने के लिए बोल दिया गया था. उनकी जगह पर सौरभ गुप्ता को एडिटर बना दिया गया.” सौरभ गुप्ता इससे पहले एबीपी न्यूज़ डिजिटल हिंदी के एडिटर थे.

सिर्फ लोगों को हटाया ही नहीं गया बल्कि कई चेहरों को कम मौके दिए जाने लगे. इसमें ज्यादातर चौधरी के करीबी थे. मसलन मीमांसा मलिक और सचिन अरोरा जैसे एंकर्स के बुलेटिन को कम कर दिया गया. वहीं अदिति अवस्थी, जो पहले एंटरटेनमेंट का एक पूरा शो करती थींं, उसकी जगह पर उनसे शाम का बुलेटिन करवाया गया.

सुधीर चौधरी के करीबियों को निकालकर या उनके अधिकारों में कटौती कर, धीरे-धीरे उन्हें कंपनी में अकेला छोड़ दिया गया.

चौधरी का 25 जून से 27 जून 2022 को छुट्टी पर जाना पहले से निर्धारित था. पहले उनसे पूछा जाता था कि उनकी जगह कौन डीएनए शो करेगा, लेकिन इस बार उन्हें बिना बताए ज़ी हिंदुस्तान के एंकर रोहित रंजन से डीएनए कराया गया.

छुट्टी के बाद जब मंगलवार 28 जून को सुधीर चौधरी वापस आए तो वह अपने शो की तैयारी करने लगे. सब कुछ हो जाने के बाद शाम को करीब 6-7 बजे उन्हें सुभाष चंद्रा के दफ्तर से बताया गया कि, अब वे डीएनए शो हर दूसरे दिन करेंगे. यानी एक दिन सुधीर चौधरी और एक दिन कोई अन्य व्यक्ति शो की एंकरिंग करेगा.

इसके बाद सुधीर चौधरी ने उस दिन शो नहीं किया और सुभाष चंद्रा को अपना इस्तीफा भेज दिया. जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया. बता दें कि ज़ी न्यूज़ में तीन महीने का नोटिस पीरियड होता है.

imageby :

इस्तीफे के अलगे दिन यानी बुधवार से डीएनए शो के लोगो से चौधरी का चेहरा भी हटा दिया गया, जबकि उनका इस्तीफा शुक्रवार को स्वीकार किया गया था.

इस्तीफा स्वीकारते हुए सुभाष चंद्रा ने कंपनी के एचआर को लिखी मेल में कहा, "मैं सुधीर को दो दिनों से मनाने की कोशिश कर रहा हूं. लेकिन वह अपनी फैन फॉलोइंग का इस्तेमाल कर अपना खुद का एक वेंचर शुरू करना चाहते हैं. मैं उनकी उन्नति के रास्ते में नहीं आना चाहता इसलिए मैंने इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं.”

imageby :

भले ही सुभाष चंद्रा ने मेल में लिखा कि उन्होंने चौधरी को मनाने की कोशिश की, लेकिन सब कुछ वैसा ही हुआ जैसे वो चाहते थे. चौधरी खुद नहीं गए बल्कि उन्हें जाने के लिए मजबूर किया गया, और इसमें चंद्रा की रजामंदी शामिल थी.

सुभाष चंद्रा और सुधीर चौधरी के रिश्तों में खटास का कारण?

सुभाष चंद्रा और सुधीर के रिश्तों में दूरियों की पहली झलक तब दिखाई दी जब रजनीश अहूजा का ज़ी में आगमन हुआ. उनके आने के बाद एचआर द्वारा कर्मचारियों को एक मेल भेजी गई जिसमें लिखा था, “रजनीश, ज़ी न्यूज़ के सीईओ सुधीर चौधरी को रिपोर्ट करेंगे.”

एचआर के मेल पर जवाब देते हुए सुभाष चंद्रा ने लिखा, “सुधीर चौधरी की जगह आपको सीईओ कलस्टर 1 लिखना चाहिए”.

हालांकि बाद में इस बात पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने सफाई देते हुए लिखा कि पद किसी एक आदमी से बढ़कर है, लेकिन ज़ी में हमारी गलत आदत है कि हम किसी व्यक्ति को कंपनी से बढ़कर मानते हैं.

ज़ी न्यूज़ के एक पूर्व पत्रकार कहते हैं, “सुधीर चौधरी यानी ज़ी न्यूज़. चेयरमैन को यह पसंद नहीं था. सुधीर चौधरी कंपनी में बदल रही चीजों से वाकिफ थे. चीजें ज्यादा खराब हो इससे पहले ही उन्होंने कंपनी छोड़ दी.”

सुभाष चंद्रा इस बात से खुश नहीं थे कि सुधीर चौधरी का नाम चैनल से बढ़कर हो गया था. लोग सुधीर चौधरी के नाम से चैनल को जानने लगे थे.

दूसरा कारण था भाजपा सरकार से कोई फायदा नहीं मिलना. भाजपा के पक्ष में खबर दिखाने के बाद भी सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिलने के कारण चंद्रा चैनल के कवरेज को बदलना चाहते थे.

कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी कहते हैं, “चंद्रा का बिजनेस घाटे में जा रहा है. कंस्ट्रक्शन से लेकर मीडिया बिजनेस में नुकसान हो रहा है. उन्हें सरकार से कोई फायदा नहीं मिल रहा था. जिसके कारण ही वह चैनल के कंटेंट में बदलाव लाने का सोच रहे थे.”

ज़ी न्यूज़ के संपादकीय में वरिष्ठ पद पर काम करने वाले एक पत्रकार कहते हैं, “हाल ही में अपनी राज्यसभा सीट हारने के बाद सुभाष चंद्रा भाजपा से थोड़े नाराज थे. चैनल के कुछ समाचार बुलेटिन तटस्थ थे, जैसे असम पर चौधरी का शो. लेकिन यह चौधरी की इच्छा के विरुद्ध था. चौधरी तटस्थ नहीं होना चाहते थे क्योंकि उनकी अपनी एक अलग छवि है.”

चंद्रा को न तो बिजनेस में भाजपा से मदद मिली और न ही राज्यसभा सीट के चुनाव में. जिसके बाद से चंद्रा चैनल की कवरेज को तटस्थ रखना चाहते थे, लेकिन चौधरी के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा था.

कंपनी के पूर्व कर्मचारी कहते हैं कि चौधरी को हटाने की एक कोशिश 2019 में भी की गई थी. उस समय चंद्रा, वरुण दास(टीवी 9 के सीईओ) को ज़ी में लाना चाहते थे, क्योंकि वरुण की छवि अच्छी है और वह कंपनी को बिजनेस भी देते हैं.

कर्मचारी कहते हैं, “खबर यहां तक थी कि जुलाई 2019 में दास कंपनी के साथ जुड़ जाएंगे. लेकिन सुधीर चौधरी के कारण ऐसा नहीं हुआ. अगर दास यहां आ जाते तो यह पक्का था कि चौधरी का पत्ता कट जाता.”

वह आगे कहते हैं, “जब दास नहीं आए तो फिर रजनीश को लाया गया और धीरे-धीरे करके परिस्थितियां ऐसी बनाई गईं कि सुधीर खुद छोड़कर चले जाएं, आखिरकार ऐसा ही हुआ.”

अंत

“जिस डीएनए शो को सुधीर चौधरी होस्ट किया करते थे. वह शो सुभाष चंद्रा लेकर आए थे.” आखिरकार 10 साल बाद सुधीर चौधरी के जाने के बाद यह शो फिर से उनका हो गया.

अहूजा ने चौधरी के इस्तीफे की बात को कंफर्म किया. उन्होंने आगे बात करने से इंकार कर दिया. सुभाष चंद्रा ने कहा, ”कंपनी से बात करें”. वहीं सुधीर चौधरी ने हमारे फोन का कोई जवाब नहीं दिया.

Also see
article imageसुधीर चौधरी ने जी न्यूज़ से दिया इस्तीफा
article imageशिवलिंग की लंबाई नाप रहा आजतक और इंद्राणी के काले बालों में उलझे सुधीर चौधरी
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like