दावा किया जा रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि फव्वारे को शिवलिंग बता कर देश को गुमराह किया जा रहा है.
दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर ने भी ज्ञानवापी मस्जिद की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. अखबार के दिल्ली एडिशन में पहले पेज पर खबर का शीर्षक है - “ज्ञानवापी में सत्यम् शिवम् सुंदरम.” इस खबर में सत्यम् शिवम् सुंदरम को भगवा रंग दिया गया है.
खबर में तीन दावे किए गए हैं जिनके आधार पर बताया जा रहा है कि मस्जिद की जगह मंदिर था.
पहले दावे में तस्वीर के साथ लिखा है - “इसी जगह मिला मंदिर.”
दूसरा दावा कहता है, “मस्जिद की दीवारें मंदिर जैसी.”
और तीसरा दावा है, “नंदी महाराज का मुंह उसी ओर, जहां शिवलिंग मिला.”
भास्कर तीसरे दावे में लिखता है - “किसी भी शिव मंदिर में नंदी महाराज का मुंह शिवलिंग की ओर होता है, काशी में यह उसी ओर है जहां शिवलिंग मिला.”
दैनिक भास्कर अखबार की इस खबर को सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल किया जा रहा है.
आगे खबर में वाराणसी के पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट अनिल सिंह हवाले से लिखा गया है - “जब मैं वाराणसी में सिटी मजिस्ट्रेट था, तब मैंने ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर को देखा था. ऊपरी गुंबद को छोड़ दें तो यह कहीं से भी मस्जिद नहीं लगती.” इस खबर का शीर्षक है- “ज्ञानवापी में बाहर गुंबद और मीनारें हैं, लेकिन अंदर मंदिर की ही आत्मा है.”
आज
हिंदी दैनिक अखबार आज ने भी पहले पेज पर इस खबर को प्रकाशित किया है. खबर का शीर्षक है - “मस्जिद के अंदर मिला शिवलिंग.”
खबर में लिखा है - “आखिरकार वही हुआ, जिसका कई वर्षों से इंतजार था. काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी से जुड़े श्रृंगार गौरी मामले में, कोर्ट कमीशन की कार्रवाई सोमवार को पूरी हुई तो सोशल मीडिया से लेकर देश-विदेश तक शोर मच गया. बाबा मिल गए, हर-हर महादेव, इंतजार खत्म हुआ सरीखे जुमले रात तक जारी रहे, तो व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर बाबा छाए रहे. यह अलग बात है कि वैज्ञानिक तौर पर अभी कुछ भी सामने नहीं आया है, लेकिन वादी पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट उनके लिए सकारात्मक साबित होगी. कमीशन की ओर से आए कैमरामैन और वीडियोग्राफर ने बताया कि 1.5 हजार फोटो और 11 घंटे की रिकॉर्डिंग की गई है. इसी से सच सामने आएगा.”
अखबार ने पेज नंबर तीन पर ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी अन्य खबरें भी प्रकाशित की हैं. इन कई शीर्षकों में से एक कहता है - “डेढ़ हजार तस्वीरें, 11 घंटे का वीडियो खोलेगा राज.”
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान अखबार के वाराणसी एडिशन ने पहले पेज पर “ज्ञानवापी का सर्वेक्षण पूरा, शिवलिंग मिलने का दावा” शीर्षक से खबर प्रकाशित की है. खबर में सोमवार को हुए मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए घटनाक्रम को प्रकाशित किया है.
अखबार का दूसरा और तीसरा पेज भी ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित खबरों के नाम ही रहा. दूसरे पेज पर सोमवार को हुए घटनाक्रम की प्रतिपल अपडेट दी गई हैं.
तीसरे पेज पर नीचे छपी एक खबर का शीर्षक है- “सबसे पहले नापेंगे नंदी से शिवलिंग की दूरी.”
इस खबर में लिखा है - “सबसे पहले शिवलिंग और मस्जिद के बाहर ज्ञानवापी मंडप के पास प्रतिष्ठित विशाल नंदी की दूरी नापी जाएगी.”
शिवलिंग और नंदी के बीच 3, 5, 7, 9, 11 या 13 फीट की दूरी होनी चाहिए. शिवलिंग और नंदी एक दूसरे से 90 डिग्री के कोण पर होते हैं. इससे यह प्रमाणित हो जाएगा कि नंदी को उसी शिवलिंग के लिए स्थापित किया गया था.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय या बीएचयू में पुराविद् प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा, “यदि न्यायालय आदेश-निर्देश देता है, तो उस शिवलिंग की पुरातात्विक पड़ताल की जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रत्येक शिवलिंग के सापेक्ष नंदी का एक निश्चित अनुपात में आकार होता है. सोमवार को मिले शिवलिंग की जो आकृति बताई जा रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मस्जिद के बाहर विराजमान नंदी उसी शिवलिंग के निमित्त प्रतिष्ठित किए गए थे.”
इन पांच अखबारों की पड़ताल से पता चलता है कि हिंदुस्तान को छोड़कर सभी अखबार शिवलिंग मिलने के दावे को ही सच्चाई की तरह पेश कर रहे हैं, जबकि अभी तक इस बात का कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिला है. अदालत की ओर से भी किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोकने और निष्पक्षता बरतने के लिए ही मस्जिद के इस इलाके को सील कराया गया है.
अखबारों के द्वारा, जनता में अलग-अलग समूहों की आस्था और विश्वास से जुड़े इस मुद्दे पर बिना ठोस निष्कर्ष के खबरें प्रकाशित करना, पत्रकारिता की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना है.