बलात्कार और हत्या: आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट जाने को मजबूर हुआ बुलंदशहर का पीड़ित परिवार

बलात्कार और हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के कमेंट की लोगों ने आलोचना की.

WrittenBy:बसंत कुमार
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बीते दिनों लाइव लॉ के एक ट्वीट का स्क्रीन शॉर्ट तेजी वायरल हुआ. स्क्रीन शॉर्ट में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना का एक मामले की सुनवाई के दौरा की गई टिप्पणी का जिक्र है. इसे साझा करते हुए लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं.

लाइव लॉ का ट्वीट जो हुआ वायरल

याचिककर्ता के वकील- मेरी नाबालिग बेटी का अपहरण के बाद सामूहिक बलात्कार हुआ और फिर हत्या हुई.

सीजेआई- तो हाई कोर्ट जाएं.

याचिककर्ता के वकील- मैं मजदूर हूं. मैं सिस्टम से पीड़ित हूं. उत्तर प्रदेश में पूरी तरह अराजकता है.

सीजेआई- इस अदालत में इस तरह की याचिकाओं की संख्या न बढ़ाएं. सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए?

याचिककर्ता के वकील: मैं पीड़िता का पिता हूं. यह एक अजीबोगरीब स्थिति है.

सीजेआई- आप हाईकोर्ट जा सकते हैं और यह बात वहां भी कह सकते हैं, सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आ रहे हैं?

याचिककर्ता के वकील: मैं बुलंदशहर से हूं. मेरे यहां से हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से दूर है.

सीजेआई- हमलोग हाईकोर्ट से संपर्क करने की स्वतंत्रता दे सकते हैं. मैं हर एक रिट याचिका की सुनवाई नहीं कर सकता.

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क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक गांव है धोरऊ. जनवरी महीने में यहां एक नाबालिक लड़की (पिंकी, बदला हुआ नाम) की बलात्कार के बाद गोली मारकर हत्या करने का मामला सामने आया. 21 जनवरी को हुई इस घटना को ‘दूसरा हाथरस’ कहा गया क्योंकि पीड़िता के परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने पिंकी का दाह-संस्कार आधी रात को करने के लिए मजबूर किया और मामला दबाने की कोशिश की. तब न्यूज़लॉन्ड्री ने इसपर ग्राउंड रिपोर्ट की थी.

बलात्कार और हत्या के इस मामले में पीड़ित परिजनों ने चार लोगों पर आरोप लगाया. जिसमें 25 वर्षीय सौरभ शर्मा, 40 वर्षीय महेंद्र शर्मा, 22 वर्षीय अनुज शर्मा और शिवम शर्मा शामिल हैं. पीड़ित परिवार लोधी समाज से है, वहीं सभी आरोपी कथित उच्च जाति से हैं.

पीड़ित परिजनों के हवाले से दैनिक भास्कर ने तब बताया था, कि डिबाई गालिबपुर गांव की रहने वाली उनकी 16 वर्षीय भांजी 21 जनवरी को घर से चारा लेने गई थी. दोपहर में धोरऊ गांव निवासी सौरभ शर्मा और उसके तीन साथी उसको जबरन उठाकर कर उसी गांव में ट्यूबवेल पर ले गए. वहां उसके साथ सभी ने गैंगरेप किया. उसके बाद सौरभ ने किशोरी के सिर में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी.

पीड़ित परिवार द्वारा दी गई शिकायत

इस मामले में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा. पिंकी के पिता श्याम सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि हमने अपनी शिकायत में जिनका नाम दिया था. उसमें से सिर्फ दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वहीं दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है. हमने अपनी शिकायत में महेंद्र शर्मा का नाम भी दिया है. क्योंकि उनके ट्यूबवेल पर ही लड़की का शव मिला था. लेकिन पुलिस ने अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया.

हाईकोर्ट छोड़ सुप्रीम कोर्ट का रास्ता क्यों?

घटना को लगभग ढाई महीने हो गए हैं. श्याम सिंह के मुताबिक पुलिस ने मामले में चार्जशीट फाइल कर दी है, लेकिन अभी चार्जशीट इन्हें नहीं मिली है.

सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका फाइल की गई है. उसमें कई मांगे लिखी हैं. पुलिस पर जांच में लापरवाही बरतने का आरोप भी लगाया गया है.

श्याम सिंह की तरफ से फाइल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर ने ड्राफ्ट किया है. वहीं इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के ही वरिष्ठ वकील वरिंदर कुमार शर्मा ने कोर्ट में पेश किया. इसमें ‘प्रेयर’ करते हुए मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में मामले की जांच के लिए सीबीआई या एसआईटी का गठन करने का निर्देश जारी करें. या कोर्ट की निगरानी में सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन हो.

इसके अलावा पीड़ित परिवार और गवाहों को सुरक्षा दिए जाने की भी मांग की गई. साथ ही जिन अधिकारियों ने पीड़िता का देर रात को अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया उनके खिलाफ भी जांच की मांग की गई.

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका, भारत के संविधान के आर्टिकल 32 के तहत फाइल की गई है. आर्टिकल 32 एक मौलिक अधिकार है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने का अधिकार देता है.

वकील वरिंदर कुमार शर्मा ने हाई कोर्ट की बजाय सुप्रीम कोर्ट जाने की जानकारी देते हुए कहा कि बुलंदशहर से हाईकोर्ट दूर है और सुप्रीम कोर्ट नजदीक.

सीजेआई के बयान को लेकर शर्मा कहते हैं, ‘‘कोर्ट की मर्जी है, वो जो चाहेगी वो करेगी. यह जरूरी नहीं कि वो हमारी हरेक बात को मान लें. जहां तक रही बात सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की तो मेरे हिसाब से आर्टिकल 32 के तहत सीधे रिट याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी डाली जा सकती है. वहीं अगर क्लाइंट कहेगा कि सुप्रीम कोर्ट में डालो तो उसकी बात तो माननी पड़ेगी. क्लाइंट, दिल्ली के पास में रहता है. वह (इलाहाबाद) नहीं जाना चाहता. अब उसकी परेशानी है कि वो वहां क्यों नहीं जाना चाहता है.’’

मृतक के पिता श्याम सिंह को पता ही नहीं था कि उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में गया है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘मैं तो अनपढ़ हूं. मुझे यह नहीं मालूम के मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया है. मैं यहां के मंडी में काम करता हूं. रोज कमाता हूं तो घर का खर्च चलता है.’’

वरिंदर कुमार शर्मा, क्या पीड़ित परिवार से मिले हैं? इसका जवाब वो नहीं में देते हैं. कुमार ने बताया कि उनके पास वकील वरुण ठाकुर आए थे. वहीं पिंकी के पिता के बयान पर कुमार कहते हैं, ‘‘केस हारने के बाद क्लाइंट तो यह तक कह देते हैं कि हम वकील को नहीं जानते. हमने इन्हें केस तो दिया ही नहीं था. अब इसका क्या इलाज हो सकता है.’’

खैर न्यूज़लॉन्ड्री ने वरुण ठाकुर से भी बात की. ठाकुर ने बताया कि उनसे लक्ष्मी वर्मा नाम की वकील ने इसके लिए संपर्क किया था. वर्मा, इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील हैं. वह शुरू से ही इस मामले को देख रही हैं. वह न्यूज़लॉन्ड्री से कहती हैं, ‘‘उस लड़की के मौलिक अधिकार का शोषण हुआ है, तो अनुच्छेद 32 के तहत हमें यह अधिकार है कि हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा सकते हैं. किसी के भी मौलिक अधिकार का हनन हो तो वह अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट जाएगा. अब कोर्ट पर निर्भर है कि वो क्या करेंगे. मुख्य न्यायधीश चाहते तो आर्डर कर भी सकते थे. हालांकि उन्होंने हमें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी. हम लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है.’’

याचिका में की गई मांगों पर वर्मा कहती हैं, ‘‘अब तक पुलिस ने ठीक तरह से जांच नहीं की है. पीड़ित परिवार ने चार लोगों को आरोपी बनाया था. पुलिस और विरोधी पार्टी का मानना है कि उनमें अफेयर था. ऐसे में वहां चार लोग क्या कर रहे थे? हत्या वहीं क्यों हुई. कहीं और भी हो सकती थी. पीड़ित परिवार का बयान भी नहीं लिया गया है. पुलिस ने अपने मन से सबकुछ किया है.’’

पीड़ित परिवार और गवाहों को सुरक्षा देने की मांग के सवाल पर वह कहती हैं, ‘‘जो गवाह हैं या जो इनके पक्ष में बोलते हैं उन्हें धमकाया जाता है. इनके लिए आवाज उठाने वालों को पुलिस कहती है कि हम आपके खिलाफ एफआईआर लिखेंगे. छेतारी थाने में उन सबका नाम दर्ज है जो उनके पक्ष में बोलते हैं.”

वह आगे कहती हैं कि यहां कोई भी मामला आता है तो इन्हें उठाकर बंद कर देते हैं. बंटी नाम का एक लड़का जो पीड़ित परिवार के लिए आवाज उठाया था उसे आये दिन पुलिस परेशान करती है.

पिंकी के पिता श्याम सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने की जानकारी नहीं होने के सवाल पर वर्मा कहती हैं, ‘‘वे कम पढ़े लिखे हैं. अपने अधिकार भी नहीं जानते हैं. इसकी असली लड़ाई पिंकी के मामा बालकृष्ण लड़ रहे हैं. हमने श्याम सिंह के नाम की याचिका इसलिए दायर की क्योंकि वो पिता है.’’

‘आरोपी बना रहे दबाव’

पिंकी के पिता श्याम सिंह किसी तरह के डर का जिक्र नहीं करते हैं. हालांकि वे यह जरूर बताते हैं कि पुलिस को जो नाम उन्होंने दिया. उनमें से एक महेंद्र शर्मा को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. वहीं आरोपी पक्ष सुलह के लिए दबाव बना रहा है.

पिंकी के मामा बालकृष्ण जो न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनका दावा है कि आरोपी पक्ष को पुलिस प्रदेश सरकार के एक मंत्री के दबाव के कारण बचा रही है. वहीं गवाहों पर दबाव बनाया जा रहा है.

बालकृष्ण न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘सुप्रीम कोर्ट हम इसलिए गए क्योंकि हमारी यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही है. पहले हमारा केस छेतरी थाने में था. वहां 10 दिनों तक कोई सुनवाई नहीं हुई. हमने जो नाम भी दिए थे उसमें से भी दो लोग अब तक गिरफ्तार नहीं हुए. दो आरोपी, अनुज शर्मा और महेंद्र शर्मा, जिनके ट्यूबवेल पर हत्या हुई थी, उनको तो पुलिस वालों ने बिलकुल निकाल दिया. हमने विवेचना बदलवाई तो हमदनगर थाने को जांच दी गई. वहां उन्होंने चार-पांच दिन ठीक काम किया लेकिन उनपर भी दबाव आया तो उन्होंने भी काम करना बंद कर दिया.’’

पिंकी के मामा बालकृष्ण

हाईकोर्ट के बदले सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर बालकृष्ण कहते हैं, ‘‘हमें भी इतनी जानकारी नहीं थी कि वकील साहब को कुछ बोल दें. वकील जैसे कहेंगे हमें वहीं मंजूर रखना पड़ेगा न. पहले वे दिल्ली (सुप्रीम कोर्ट) गए फिर कहा कि हाईकोर्ट जा रहे हैं. हमने कहा कि जहां से भी हो हमें न्याय दिलाओ.’’

पीड़ित परिजनों और गवाहों के लिए सुरक्षा मांगने के सवाल पर बालकृष्ण कहते हैं, ‘‘आरोपी मेरे ही गांव के हैं. वे हमें डरा-धमका कर दबाव बना रहे हैं. एक बार मेरे पिता खेत में गए हुए थे. दो-तीन लोग उनके पास पहुंचे और महेंद्र शर्मा से उनकी बात कराई. मेरे पिता ने डर के मारे कह दिया कि हमने तेरा नाम नहीं लिखाया. यह सब रिकॉर्ड करके इंटरनेट पर डाल दिया. श्याम सिंह को भी समझौता करने के लिए अकसर फोन आता रहता है.’’

बालकृष्ण बताते हैं, ‘‘पुलिस हमारी बिलकुल मदद नहीं कर रही है. पुलिस ने चार्जशीट फाइल कर दी है, लेकिन हम में से किसी से बात नहीं की है. हमारा बालक तो गया. हम संघर्ष कर रहे हैं ताकि आगे किसी और के साथ ऐसा न हो.’’

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