पंजाब चुनाव के वो चेहरे जिन्होंने दिग्गज नेताओं को दी शिकस्त

आम आदमी पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर जीत कर इतिहास बनाया है.

Article image
  • Share this article on whatsapp

पीटीसी की खबर के मुताबिक, जीवन ज्योत कौर ने पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में और महिला कैदियों को प्लास्टिक के सैनिटरी पैड के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया. वो महिलाओं को दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले सैनिटरी पैड मुफ्त में उपलब्ध कराती हैं.

जीवन ज्योत कौर ने अमृतसर ईस्ट के विधायक और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को 6,750 वोटों के अंतर से हराया है. जीवन ज्योत कौर को 39,679 वोट मिले, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू को 32,929 वोट, वहीं बिक्रम सिंह मजीठिया तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 25,188 वोट मिले.

जीवन ज्योत साल 2015 में आम आदमी पार्टी में जुड़ी थीं. यह उनका पहला चुनाव था. वह अपनी जीत पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहती हैं, “यह जीत पंजाब के लोगों की जीत है, लोगों ने आम आदमी पार्टी को एक मौका देने के लिए मन बना लिया था.”

दो बड़े नेताओं के सामने चुनाव लड़ने के सवाल पर वह कहती हैं, जब हम लोगों से बात करते थे, तब हम कहते थे कि आप के विधानसभा से दो बड़े-बड़े हाथी लड़ रहे हैं. तब लोग कहते थे कि मैम हमें हाथी नहीं झाड़ू दिखता है.”

वह आगे कहती हैं कि दो बड़े नेता भले ही इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे लेकिन यह दोनों एक दूसरे को सिर्फ कोसते रहते थे, उनका अमृतसर ईस्ट विधानसभा क्षेत्र को लेकर कोई रोडमैप नहीं था. ऐसे में लोग समझ रहे थे कि यह दोनों आपस में ही लड़ रहे हैं इसलिए उन्होंने आम आदमी पार्टी को मौका दिया.

जलालाबाद विधानसभा: पंजाब के फाजिल्का जिले की जलालाबाद सीट पर सुखबीर बादल के चुनाव जीतने का चक्र इस बार के चुनावों में टूट गया. तीन बार से लगातार जीतते आ रहे सुखबीर सिंह बादल इस बार चुनाव नहीं जीत सके.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे और अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को इस बार आम आदमी पार्टी के जगदीप कंबोज गोल्डी ने 30 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. यह पहला चुनाव है जब सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल दोनों चुनाव हार गए.

जलालाबाद पिछले चुनाव में भी हॉट सीट थी क्योंकि साल 2017 में अभी के मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान, सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे लेकिन वह जीत नहीं सकें. जो काम भगवंत मान पिछले चुनावों में नहीं कर सके वह जगदीप कंबोज ने 2022 के चुनावों में कर दिखाया.

जगदीप कंबोज गोल्डी से पहले उनके पिता राजनीति में सक्रिय थे. कंबोज पेशे से वकील हैं, पूर्व में वह कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग से जुड़े थे. उन्होंने भी 20 साल पहले निर्दलीय जलालाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए. कांग्रेस पार्टी में लंबे समय तक काम करने वाले कंबोज को जब 2019 उपचुनाव में टिकट नहीं मिला तो वह बागी होकर निर्दलीय लड़े और चौथे स्थान पर रहे.

आप विधायक जगदीप कंबोज के जीतने पर पाकिस्तान में कुछ जगह पर जश्न मनाया गया. इस पर गोल्डी कहते हैं कि पाकिस्तान में कंबोज बिरादरी के लोग बहुत हैं, शायद इसलिए उनकी खुशी में वहां लड्डू बांटे गए हैं.

अपनी जीत पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में जगदीप कहते हैं, “मेरी जीत जलालाबाद की जनता की जीत है. क्षेत्र में ऐसा काम होगा कि लोग याद रखेंगे.”

जगदीप आगे कहते हैं कि जलालाबाद काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. इतने साल विधायक रहने के बावजूद सुखबीर सिंह बादल ने काम नहीं किया.बॉर्डर इलाका होने के कारण कई परेशानियां हैं, लेकिन हम अपने सभी वादों पर खरा उतरेगें.

गौरतलब है कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को हराने वाले दोनों ही नेता कांग्रेस से आए हुए हैं. दोनों ने कई सालों तक कांग्रेस पार्टी में काम किया लेकिन विधायक वह आम आदमी पार्टी से बने.

लहरा विधानसभा: संगरूर जिले की लहरा विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बरिंदर गोयल ने अकाली दल (सयुंक्त) के उम्मीदवार और पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढिंडसा को 26 हजार से अधिक वोटों से हराया. साल 2017 में परमिंदर सिंह यहां से विधायक चुने गए थे.

बरिंदर गोयल ने न सिर्फ पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह को हराया बल्कि उन्होंने पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और लहरा से पांच बार की विधायक रजिंदर कौर भट्टल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के पूर्व अध्यक्ष गाेबिंद सिंह लोंगोवाल जैसे बड़े नेताओं को हराया है.

पिछले करीब 30 सालों से सामाजिक काम कर रहे गोयल ने परमिंदर सिंह ढिंडसा को 26528 वोटों से हराया. उन्हें कुल 60068 वोट मिले, वहीं परमिंदर सिंह ढिंडसा को 33540 वोट मिले. जबकि तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी रही जिसे 20450 वोट मिले.

न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बरिंदर गोयल कहते हैं, “हमारा इलाका पिछड़ा हुआ है. इसलिए शिक्षा और मेडिकल क्षेत्र में काम करके इसे पिछड़े इलाके के तमगे से निकालेंगे.”

वह आगे कहते हैं कि हमारे इलाके में बहुत सी समस्याएं हैं. जिन्हें दूर करना मेरी पहली प्रथामिकता है. इतने सालों तक काम नहीं करने के कारण ही जनता ने इतने बड़े-बड़े दिग्गजों को हरा दिया.

गोयल कहते हैं, ”लोगों की बहुत उम्मीदें हैं मैं वह टूटने नहीं दूंगा.”

बता दें कि लहरा विधानसभा सीट के साथ ही संगरूर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है.

आम आदमी पार्टी की इस ऐतिहासिक जीत में कई ऐसे चेहरे विधानसभा में चुनकर आए हैं जो बेहद की सामान्य पृष्टभूमि से आते हैं. पंजाब की जनता ने बड़ी उम्मीदों से इन आम नेताओं को चुना है, अब देखना होगा कि यह विधायक जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं.

Also see
article imageपंजाब: पहली पार्टी मीटिंग में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने क्या कहा?
article image'आप' की ऐतिहासिक जीत और पंजाब की उम्मीदें
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like