जयप्रकाश चौकसे ने पिछले हफ्ते ही अपने लोकप्रिय कॉलम 'परदे के पीछे' का अंतिम लेख लिखा था. जिसे अखबार ने पहले पन्ने पर प्रकाशित किया था.
लंबे समय से बीमार चल रहे मशहूर फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे का बुधवार को निधन हो गया. 83 वर्षीय चौकसे कैंसर से जूझ रहे थे.
इनके निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई अन्य नेताओं, लेखकों और पत्रकारों ने शोक व्यक्त किया है.
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Contributeचौकसे बीते 26 साल से दैनिक भास्कर में ‘परदे के पीछे’ नाम से कॉलम लिख रहे थे. दैनिक भास्कर के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल ने बीते सप्ताह बताया था कि यह जयप्रकाश चौकसे का आखिरी लेख है. भास्कर ने इसे पहले पेज पर प्रकाशित किया था.
इस कॉलम का शीर्षक था,”प्रिय पाठको… यह विदा है, अलविदा नहीं, कभी विचार की बिजली कौंधी तो फिर रूबरू हो सकता हूं, लेकिन संभावनाएं शून्य हैं”.
अपने आखिरी कॉलम के पांच दिन बाद चौकसे ने अलविदा कह दिया.वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने जयप्रकाश चौकसे को याद करते हुए लिखा, “अलविदा चौकसे साहब! सलाम, आप के शब्द और विचार मार्गदर्शक रहेंगे!”
दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक एलपी पंत ने ट्वीट कर चौकसे को याद करते हुए लिखा, “बेहद प्रिय और दैनिक भास्कर के सबसे लोकप्रिय कालम ‘परदे के पीछे ‘ के नायक जयप्रकाश चौकसे जी ने जीवन के परदे को भी अलविदा कह दिया. जिस संजीदगी-जिम्मेदारी से उन्होंने फिल्मी लेखन किया वह काबिलेगौर है. अक्सर कहते- लिखने के लिए उम्र नहीं इल्म की जरूरत होती है. आपको भूल नहीं पाएंगे…”
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में 1 सितंबर 1939 को जन्में जय प्रकाश चौकसे फिल्म समीक्षक के अलावा लेखक और उपन्यासकार भी थे. उन्होंने ताज बेकरारी का बयान, महात्मा गांधी, सिनेमा, और दराबा समेत कई किताबें लिखी हैं.
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