प्रशासक समिति: योगी आदित्यनाथ के समर्थन में ऑनलाइन नफरत फैलाने वाला समूह

प्रशासक समिति देशभर में अपने नेटवर्क के माध्यम से मजहबी नफरत का जहर बड़े पैमाने पर फैला रहा है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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प्रशासक समिति का यूट्यूब चैनल

प्रशासक समिति के टेलीग्राम ग्रुप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और कू पर हमेशा मुसलमानों और उसके बाद ईसाईयों को केंद्र में रख कर नफरत भरी टिपण्णी की जाती है. टेलीग्राम, व्हाट्सप्प ग्रुप में उन्हें जिहादी, मुल्ला, विधर्मी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है. ऑप इंडिया और सुदर्शन न्यूज़ जैसे मीडिया संस्थानों की खबरों का हवाला देकर उनके बारे में आपत्तिजनक बातें की जाती हैं और उनके बिना किसी प्रमाण के उनके बारे में झूठी खबरें फैलाई जाती हैं.

अपने यूट्यूब चैनल में प्रशासक समिति के पदाधिकारी सुरेश चव्हाण के दावों की बिना कोई जांच पड़ताल किए ये कहते हुए हुए सुनाई देते हैं कि देश में जन्म पंजीकरण जिहाद चल रहा है. गौरतलब है कि सुदर्शन न्यूज़ की यह खबर फर्जी थी.

इसी तरह हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब, फिल्म एक्टर आमिर खान और शाहरुख खान के बारे में प्रशासक समिति ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो दिखते हुए कहा कि वो थूक जिहाद कर रहे हैं.

इस वीडियों में प्रशासक समिति के मुख्य व्यवस्थापक मनीष भारद्वाज यह कहते हैं कि थूक लगी जमात का पूरी तरह बहिष्कार करना चाहिए.

प्रशासक समिति अपने यूट्यूब चैनल पर विवादित स्वामी यति नरसिंहानंद के उन वीडियो का भी प्रचार करता है जिसमें वह भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की बुराई करते हुए नजर आता है.

प्रशासक समिति अपने यूट्यूब चैनल्स के जरिए मन-गढ़ंत कहानी बनाते हैं और मुसलमानों पर निशाना साधते हुए प्रचार करते हैं कि हिंदू एक दिन हिंदुस्तान में खत्म हो जाएंगे.

प्रशासक समिति के यूट्यूब चैनल पर लव जिहाद, थूक जिहाद के अलावा ऐसे और भी बहुत से वीडियो हैं जो मुसलमान और ईसाईयों के खिलाफ बिना किसी सबूत के झूठी खबरों के सहारे नफरत फैलाते नजर आते हैं.

प्रशासक समिति का फेसबुक अकाउंट हो या इंस्टाग्राम अकाउंट आपको वहां सिर्फ मजहबी उन्माद को बढ़ावा देती बेबुनियाद कहानिया नज़र आएंगी.

कौन है प्रशासक समिति के प्रशासक

न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी पड़ताल में पाया कि प्रशासक समिति को चलाने में मुंबई के रहने वाले 35 साल के मनीष भारद्वाज अहम भूमिका निभाते हैं. वह प्रशासक समिति के मुख्य व्यवस्थापक सभी हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब उनसे प्रशासक समिति के बारे में बात की तो वह कहते हैं, "प्रशासक समिति की शुरुआत 6-7 साल पहले हुई थी. शुरुआत में हमारे कुछ 4-5 साथी सत्यनारायण सोनी जो कि बजरंग दल के थे, कमल गोस्वामी, प्रवीण तिवारी, कोमल राज गोचर आदि ने मिलकर इसे शुरू किया था. उन लोगों की मुलाकात भी सोशल मीडिया पर ही हुई थी. सबसे पहले उन्होंने प्रशासक समिति की शुरुआत व्हाट्सएप ग्रुप से की थी और 100 व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किए थे जिनका नाम अखंड भारत संकल्प था. धीरे-धीरे टीम बढ़ती चली गई. फिर व्हाट्सएप के साथ हम ट्विटर पर भी आए. आज की तारीख में हमारे 2500 व्हाट्सएप ग्रुप हैं, ट्विटर हैंडल हैं, दो फेसबुक पेज हैं और एक फेसबुक अकाउंट है, हम इंस्टाग्राम पर भी हैं, हमारे टेलीग्राम पर ग्रुप्स हैं, कू एप पर भी हमारा अकाउंट है. प्रशासक समिति में अभी इतने लोग हैं कि कोई गिनती ही नहीं है.”

भारद्वाज से जब हमने पूछा कि उनका मकसद क्या है, तो वह कहते हैं, "हमारा मकसद है कि हम सनातनी हिंदुओं को धर्म के प्रति जागरूक कर सकें, सनातनी हिंदुओं में बौद्ध, जैन, सिख सब आते हैं. मुस्लिमों को हम नहीं लेते हैं अपने संगठन में, जो सनातन से द्वेष करता है वह हमारा नहीं है और आप जानते हैं कि वो कौन है. मुस्लिम और ईसाई अपने धर्म को समझते हैं, लेकिन हिंदू धर्म से दूर हो चुके हैं और हम उन्हें धर्म के प्रति जागरूक करते हैं. दंगा फसाद करने के लिए, सड़कों पर आना और लोगों को उकसाना हमारा उद्देश्य नहीं है. लेकिन आत्मरक्षा करने के लिए उन्हें जागृत करना है, हम उन्हें बताते हैं कि समाज में क्या हो रहा है और उन्हें अपने आप को बचाने के लिए किस तरह की तैयारी करनी है. हम अभी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उन्हें वैचारिक रूप से जागरूक कर रहे हैं. हम उन्हें कहते हैं कि समिति तो वैचारिक रूप से जागरूक कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर भी उन्हें आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल या अन्य किसी हिंदू संगठन से जुड़ना होगा, जो कि अनिवार्य है."

राजनैतिक पार्टियों को समर्थन देने के बारे में वो कहते हैं, "हम हिंदुत्व के लिए काम करते हैं और राजनैतिक पार्टियों में हम सिर्फ भाजपा का समर्थन करते हैं. भाजपा ने कभी हिंदुत्व के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया. भाजपा के भी कई लोग हमसे जुड़े हैं. अगर आज कर्नाटक में भाजपा की जगह कांग्रेस की सरकार होती तो शायद वह हिंदू लड़कियों के लिए भी हिजाब अनिवार्य कर देते."

ट्विटर ट्रेंड के बारे में जब उनसे पूछा गया तो वह बताते हैं, "ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड करने की हमारी पूरी टीम है. हमारे तकरीबन 800-900 संचालक हैं जो कि ट्रेंड करने के लिए ट्वीट करना शुरू करते है. इन संचालको में तकरीबन 40% संचालक जमीन स्तर पर हिंदू संगठनों से जुड़े हैं तो उन संगठनों के लोग भी ट्रेंड करने में मदद करते हैं. इसके अलावा भी आम लोगों की भी हमने टीम बनाई है, जिन्हें हम समझाते हैं और वो ट्विटर पर हमारी मदद करते हैं. ट्रेंड के विषय को हमारी 5-7 लोगों की कोर टीम तय करती है. क्रिसमस और वैलेंटाइन डे पर हम तुलसी पूजन और मातृ पितृ पूजन दिवस का ट्रेंड चलाते हैं. इसके अलावा जो मौजूदा मुद्दे होते है उन पर भी हम ट्रेंड करते हैं.”

वह आगे कहते हैं, "इस वक्त हमारे लिए सबसे जरूरी है योगी जी को जीतना और वो क्यों जरूरी है वो आपको बताने की आवश्यकता है मुझे नहीं लगता है. उनके राज में उत्तरप्रदेश सुरक्षित है, उनके राज में बहुत बदलाव हुए हैं . उनका जीतना हमारा मुख्य मुद्दा है तो पिछले 4-5 बार से हमने उनके समर्थन में ट्रेंड चलाया है जबकि हम राजनैतिक ट्रेंड नहीं चलाते हैं. लेकिन हमारे संचालकों ने हमसे कहा कि हमें योगी जी का ट्रेंड चलाना बहुत जरूरी है और हमें इस वक्त ट्रेंड चलाना ही चाहिए."

भरद्वाज से जब हमने प्रशासक समिति के सोशल मीडिया नेटवर्क पर मुस्लिम विरोधी पोस्ट के बारे में जब हमने पूछा तो वह कहते हैं, “देखिए समिति के पोस्ट इस तरह के नहीं होते हैं और हमारे बहुत से व्हाट्सएप ग्रुप हैं तो हर जगह तो मैं नहीं देख पाता हूं. समिति के पोस्ट बिलकुल असली होते हैं जैसे कि हाल फिलहाल में इंडोनेशिया के एक मुस्लिम टीचर ने 13 बच्चियों को गर्भवती कर दिया था, तो उसने हमें पोस्ट किया था. लोगों को बताना जरूरी है कि जिसको बचपन से 72 हूरों का ज्ञान दिया हो तो उसकी मानसिकता कैसे होती है. मुस्लिम में भी जन्म से यह मानसिकता नहीं होती है लेकिन जब वह मदरसा जाता है तो उसके दिमाग में विस्फोट किया जाता है और फिर वो 72 हूरों की तरफ जाता है, जिहाद की तरफ जाता है ,काफिरों की तरफ जाता है और आतंकवाद की तरफ जाता है. हमारा विरोध उनसे नहीं है लेकिन विचारधारा से है, हम यह नहीं कह सकते हैं कि उनमे से किसी की विचारधारा अलग होगी, होगी भी तो हम कैसे पता करेंगे नहीं पता, इसलिए उनका पूर्ण बहिष्कार करना होता है."

भारद्वाज का मानना है कि देश में यूपीएससी जिहाद, लव जिहाद, थूक जिहाद चल रहा है और हीरोइन, मॉडल वगैरह भी लव जिहाद से नहीं बच पाती हैं. वह कहते हैं, "हम इन लोगो की इन हरकतों के बारे में हिंदुओं को बताते है, हमारा असली उद्देश्य है इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाना."

प्रशासक समिति की कोर कमिटी के अन्य सदस्य 30 वर्षीय डॉ सलिल गुप्ता, जो समिति के टेलीग्राम और इंस्टाग्राम की जिम्मेदारी देखते हैं. कहते हैं, "मैं पहले बीजेपी साइबर आर्मी नाम से 20 ट्विटर ट्रेंडिंग ग्रुप चलाता था. मैं नरेंद्र मोदी नाम से पेज भी चलाता था और मैं भाजपा और उनका सपोर्टर हूं. 2018 में मैं प्रशासक समिति से जुड़ गया था और मैंने शुरुआत पांच ग्रुप संभालने से की थी और धीरे-धीरे मेरी जिम्मेदारी बढ़ती चली गई. प्रशासक समिति राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करता है और धर्म पर ज्यादा केंद्रित है लेकिन यह बात भी समझनी होगी की देश और धर्म के लिए सिर्फ भाजपा और आरएसएस ही काम करते हैं.”

प्रशासक समिति के टेलीग्राम हैंडल और कपिल मिश्रा के हिंदू इकोसिस्टम के बारे में बताते हुए वो आगे कहते हैं, "2018 में मैंने टेलीग्राम ग्रुप बनाया था, शुरुआत 100 सदस्यों से की थी और आज की तारीख में लगभग 50 हजार सदस्य हैं. फिर 2019 में हमने समिति का टेलीग्राम चैनल भी शुरू कर दिया था. हमारे टेलीग्राम ग्रुप में एक मित्र जुड़े थे, चंदन जी जिन्होंने मुझे टेलीग्राम बॉट्स से मेरा परिचय करवाया था. हमारी ट्विटर ट्रेंडिंग की वजह से आरएसएस और भाजपा वाले भी हमसे संपर्क करते हैं. कपिल मिश्रा ने संघ के ही जरिए हमसे संपर्क किया था. कपिल जी हमारे टेलीग्राम ग्रुप में भी थे. उसके बाद कपिल जी की मुझसे बात हुई थी, उन्होंने हमसे हिंदू इकोसिस्टम ग्रुप को बनाने में मदद मांगी थी. हमने उनको अपने बोट्स के जरिए हिंदू इकोसिस्टम बना के दिया था और मैं अभी भी उस ग्रुप की सिक्योरिटी का जिम्मा हमारे पास है."

भोपाल में रहने वाले गुप्ता से जब पूछा कि मुसलमान उनके ग्रुप में क्यों नहीं हैं. वो कहते हैं, "हमें मुसलामानों से कोई नफरत नहीं है लेकिन जो कुरान की तालीम है उसकी वजह से वह जिहाद करते हैं, हमारा कत्लेआम करते हैं., धर्मनिरपेक्ष देश में स्कूल में हिजाब पहन कर क्यों जाना है, कर्नाटक में हिजाब पहनने पर उस लड़की को तो किसी हिंदू ने हाथ नहीं लगाया, मीडिया ने उसको शेरनी बना दिया. जब फेसबुक पोस्ट के लिए हर्ष नाम के एक हिंदू लड़के का मुसलमानों ने कत्ल कर दिया तो उसके बारे में तो किसी ने कोई बात नहीं की. कट्टरपंथ के हम विरोध में हैं और दुनिया का हर आतंवादी संगठन इस्लामिक ही मिलेगा. हम बस अपने धर्म के लोगों को जागरूक करना चाहते हैं जिससे वह उनकी आत्मरक्षा कर सकें. हम किसी को मारने की बात नहीं करते हैं लेकिन हम बस इतना कहते है कि उनका बहिष्कार करना चाहिए."

गौरतलब है कि टेलीग्राम ग्रुप में गुप्ता की कई ऑडियो क्लिप्स हैं जिसमें वो मुसलमनों को आपत्तिजनक तरीके से बोलते नजर आते हैं.

गौरतलब है प्रशासक समिति में काम करने वाले सदस्यों को समिति में जुड़ने से पहले एक इंटरव्यू भी होता है. इस बारे में गुना (मध्य प्रदेश) के रहने वाले प्रशासक समिति के 20 साल के सदस्य अजय रजक बताते हैं, "प्रशासक समिति के पोस्ट्स व्हाट्सअप पर बहुत वायरल होते हैं. तो ऐसे ही एक व्हाट्सएप ग्रुप में मुझे प्रशासक समिति की पोस्ट दिखी, मुझे वो पोस्ट अच्छी लगी थी और उसमे समिति में प्रवेश करने की लिंक भी थी. मैंने उस लिंक पर क्लिक किया था उसके बाद वो जांच करते है कि व्यक्ति सही है की नहीं. उसके बाद इंटरव्यू भी लेते हैं, मुझसे पूछा था कि मैं आरएसएस, बजरंग दल जैसे किसी हिंदू संगठन के लिए काम करता हूं क्या, या मैं धार्मिक कार्य में आगे रहता हूं कि नहीं. ट्विटर हैंडल, फेसबुक वगैरह भी चेक करते हैं कि व्यक्ति कोई जिहादी, वामपंथी या सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) तो नहीं है.

वह आगे कहते हैं, "मैं एक साल पहले समिति से पंच संचालक बन कर जुड़ा था और पांच व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन था. डेढ़ महीने बाद में प्रसारण मंत्री बन गया था और मेरा काम था 10 ग्रुप्स में मुख्य व्यवस्थापक के द्वारा भेजे हुए मैसेजिस को भेजना. फिर उसके बाद मुझे सह संचालक का दायित्व मिला और 20 ग्रुप की जिम्मेदारी मेरी थी. मेरा काम यह था कि सभी व्हाट्सएप समूहों में काम ठीक से हो रहा है कि नही. अब मैं व्यवस्थापक हूं और 100 समूहों का काम देखता हूं. हर महीने हम सदस्यता अभियान भी चलाते हैं.”

प्रशासक समिति से भाजपा आईटी सेल के नेता भी जुड़े हैं. इंदौर के भाजपा आईटी सेल के प्रभारी प्रदीप माहौर अक्सर प्रशासक समिति के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पीयूष गोयल और ओम बिरला जैसे भाजपा के दिग्गज नेता फॉलो करते हैं.

प्रशासक समिति के सदस्य कहते हैं कि वो अभी तक सिर्फ सोशल मीडिया पर हैं और जल्द जमीनी स्तर पर संगठन बना कर काम करेंगे. जरा सोच के देखिए कि ऑनलाइन होने वाली यह नफरत जब ऑफलाइन फैलेगी तो क्या होगा.

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