उत्तर प्रदेश चुनाव विशेष: भाजपा, आरएसएस और विहिप कार्यकर्ताओं को पहचान बदल कर दिखा रहा डीडी न्यूज़

डीडी न्यूज़, भाजपा का मुखपत्र बनता दिख रहा है. अपने चुनावी कार्यक्रम में बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को आम नागरिक बताकर कर रहा है बीजेपी का प्रचार.

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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है. सपा, भाजपा, कांग्रेस और बसपा समेत तमाम छोटे दल प्रचार में कूद चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी का चुनावी अभियान ज्यादा धूम-धड़ाके से चल रहा है क्योंकि बाकी दलों के मुकाबले उनके पास वित्तीय और अन्य संसाधन ज्यादा हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी आए दिन यूपी में उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं. अखबार से लेकर टेलीविज़न तक विज्ञापनों में योगी आदित्यनाथ और मोदी छाए हुए हैं.

इन सबसे इतर, दूरदर्शन अपने खबरिया चैनलों डीडी न्यूज़ और अन्य चैनलों पर आधे घंटे का एक कार्यक्रम ‘क्या बोले यूपी’ चला रहा है. कार्यक्रम की एंकरिंग रीमा पाराशर करती हैं. हमने पाया कि इस कार्यक्रम में जिन लोगों को बतौर आम नागरिक, किसान, व्यापारी, डॉक्टर बताकर दिखाया जा रहा है वो सब या तो भाजपा, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता हैं या फिर किसी न किसी रूप में भाजपा से जुड़े हैं.

इतना ही नहीं नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित प्रसार भारती दूरदर्शन मुख्यालय के बाहर ‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम के बड़े बड़े पोस्टर, होर्डिंग लगी हुई है. इन होर्डिंग में कार्यक्रम की एंकर रीमा पाराशर दूरदर्शन का माइक लिए विभिन्न मुद्राओं में नज़र आती हैं. इसमें कार्यक्रम के समय और दिन आदि की जानकारी दी गई है. यह डीडी उत्तर प्रदेश और डीडी किसान पर प्रसारित होता है.

लेकिन होर्डिंग की एक औऱ चीज़ ने हमारा ध्यान खींचा. आपका भी ध्यान वही चीज़ खींचती है. ये चीज़ है होर्डिंग्स पर मौजूद योगी सरकार के विज्ञापन. सारे होर्डिंग्स में मुफ्त इलाज-मुफ्त टीका, मुफ्त राशन वाली योगी-मोदी की तस्वीरें छपी हैं.

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डीडी के रवैये पर कई सवाल उठते हैं. अव्वल तो अगर कार्यक्रम उत्तर प्रदेश चुनाव पर केंद्रित है तो इसमें यूपी सरकार के विज्ञापनों का इस्तेमाल क्यों? बाकी दलों का प्रतिनिधित्व उसके पोस्टरों में सिरे से गायब क्यों है? समान्यतः समाचार चैनल या अखबार चुनावी कार्यक्रमों के लिए बने प्रोमो या होर्डिंग में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख की तस्वीरें या उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करते हैं.

इस बारे में हमने कार्यक्रम की एंकर रीमा पाराशर से बात की. वह कहती हैं, ‘‘यह मार्केटिंग का काम है. मैं आपको उनका नंबर देती हूं. आप उनसे बात कर लीजिए.’’ हालांकि इसके बाद वो न तो नंबर साझा करती हैं और न ही हमारा फोन उठाती हैं.

दूरदर्शन का खेल

यह पूरा कार्यक्रम भाजपा के प्रचार-प्रसार का जरिया नज़र आता है. कार्यक्रम के दौरान केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की योजनाओं की तारीफ के पुल बांधे जाते हैं.

कहने को तो इस कार्यक्रम का नाम ‘क्या बोले यूपी’ है लेकिन इसमें दिखाया सिर्फ वही जाता है जो बीजेपी बोलती है, बाकियों की बोली नदारद है. कुछ तारीफ एंकर रीमा पाराशर खुद ही कर देती हैं और कुछ इसमें शामिल लोग. अब तक इस प्रोग्राम के करीब 17 एपिसोड आ चुके हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि किसी भी कार्यक्रम में विपक्ष का पक्ष रखने वाला कोई नहीं होता. विपक्ष के नेताओं की एक तस्वीर भी किसी कार्यक्रम में नहीं दिखती.

कानपुर में एक कार्यक्रम के शुरुआत में एंकर कहती हैं, वो शहर जिसके साथ अब तीन अहम बातें जुड़ गई हैं, एक नमामि गंगे, दूसरा स्वच्छ भारत अभियान और तीसरा आत्मनिर्भर भारत का नारा, यही दिया जा रहा है. इसके अलावा तमाम ऐसी योजनाएं हैं, चाहे मेट्रो आना हो या इस शहर का रूप रंग बदलना हो, कायाकल्प होनी हो. ये तमाम बातें अब कानपुर के साथ इस चुनाव में जोड़कर देखी जा रही हैं.

इसके बाद एंकर कहती हैं, आखिर सच्चाई क्या है, क्या कह रहे हैं कानपुरवासी उन्हीं से सीधे बात करते हैं. यहां सबसे पहले वो निर्मल त्रिपाठी से बात करती हैं, जिनका परिचय एक नमकीन व्यापारी के तौर पर दिया गया. पाराशर पूछती हैं, क्या कुछ बदला हुआ दिख रहा है, पहले और अब में? जवाब में त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘जमीन आसमान सा बदलाव हुआ है. मैं 21 साल से इस बाजार गोविन्द नगर का अध्यक्ष हूं. सारी सरकारें मेरे साथ में आई हैं, मगर सबका साथ-सबका विकास वाली एक ही सरकार है, हमारे नरेंद्र भाई मोदी जो प्रधानमंत्री हैं, और हमारे मुख्यमंत्री योगी जी हैं. जब से ये आए हैं तब से व्यापारियों को हर सुविधा मिल रही है.’’

त्रिपाठी इसके आगे भी सरकार की तारीफ जारी रखते हैं. इनकी बात खत्म होने के बाद एंकर पूछती हैं, व्यापरी खुश हैं? त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘जी बेहद खुश हैं.’’

निर्मल त्रिपाठी को डीडी ने नमकीन व्यापारी बताया. वो दरअसल दो बार भाजपा के कानपुर व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं.

पहले आप निर्मल त्रिपाठी के बारे में जान लीजिए. जिन्हें डीडी न्यूज़ नमकीन का व्यापारी बता रही थीं, वो त्रिपाठीजी करीब 40 साल से भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति में हैं. दो बार वो भाजपा के कानपुर व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में भाजपा जिला कार्यसमिति के सदस्य हैं. यह सभी जानकारी हमें फोन पर त्रिपाठीजी ने ही दी है.

वो न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘लगातार 21 साल से मैं गोविन्द नगर क्षेत्र व्यापार मंडल का अध्यक्ष हूं. भाजपा से पांचवीं बार किदवई नगर विधानसभा से टिकट मांग रहा हूं. टिकट मिले या न मिले पुराना कार्यकर्ता हूं तो पार्टी के साथ हूं.’’

पत्रकार रीमा पाराशर से मुलाकात के सवाल पर त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘भैया वो खुद पता करके आई थीं. उनका फोन आया था कि तुम्हारा इंटरव्यू लेना चाहती हूं.’’

निर्मल त्रिपाठी की माने तो एंकर ने खुद ही फोन कर इंटरव्यू लेने की बात की. ऐसे में जाहिर है कि एंकर को त्रिपाठी के बारे में सबकुछ पता रहा होगा. लेकिन उनकी पहचान सिर्फ नमकीन व्यापारी की बताई गई. आरएसएस, भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद जैसे हिंदुवादी संगठनों से जुड़े लोगों की पहचान छुपाकर, यूपी सरकार की तारीफ कराने का सिलसिला डीडी के इस कार्यक्रम के लगभग हर एपिसोड में जारी है.

कानपुर के ही एपिसोड में जब एंकर व्यापारियों से बात कर रही होती है तब वहां मनोज सिंह नाम के एक शख्स मौजूद होते हैं. उन्हें स्थानीय व्यापारी बताया गया है. वे कहते हैं, ‘‘प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद कानून व्यवस्था मजबूत हुई है और एक भी दंगा नहीं हुआ है.’’

कार्यक्रम में थोड़ी देर बाद मनोज सिंह की कपड़ों के साथ-साथ पहचान भी बदल जाती है. गंगा नदी में एंकर के साथ बैठे मनोज सिंह को स्थानीय व्यापारी से स्थानीय ‘निवासी’ घोषित कर दिया जाता है. यहां मनोज सिंह गंगा की सफाई की बात करते नज़र आते हैं.

अब आप मनोज सिंह को भी जान लीजिए. मनोज सिंह भी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं. पेशे से वकील सिंह कानपुर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके फेसबुक वॉल पर मौजूद जानकारी से ऐसा प्रतीत होता है कि वे गोविंद नगर विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इनके समर्थक इन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता और भावी विधायक कहते हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह बताते हैं, ‘‘मैं व्यापारी नहीं, अधिवक्ता हूं. 2019 में बीजेपी से जुड़ा उससे पहले कांग्रेस में था. जहां तक रही गोविन्द नगर से चुनाव लड़ने की बात तो हम यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे हैं, तो हमारा क्षेत्र तो काफी बड़ा है.’’ यानी एंकर ने दो बार में सिंह की दो पहचाने बताई लेकिन असली पहचान छुपा ले गईं.

कार्यक्रम में एक अन्य व्यक्ति अटल प्रताप सिंह को व्यापारी बताया गया है. वे एक जूते की दुकान में खड़े होकर बात करते हैं. वह योगी सरकार की योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की तारीफ करते हुए नज़र आते हैं. आप अटल प्रताप सिंह की वास्तविक पहचान भी जान लीजिए, जिसे कार्यक्रम में नहीं बताया गया. सिंह भी भाजपा के नेता हैं. वो विश्व हिंदू परिषद के कानपुर देहात क्षेत्र के प्रयान्सी हैं. पीएम मोदी को फूल देते हुए इनकी तस्वीर भी मौजूद है.

अटल प्रताप का इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम है. सिंह फोन पर न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ‘‘उनका पूरा परिवार शुरू से ही भाजपा से जुड़ा रहा है. अभी मुझे विश्व हिन्दू परिषद में कानपुर की जिम्मेदारी मिली है.’’ क्या आपने एंकर को बताया नहीं कि आपका भाजपा से जुड़े हैं? इस पर सिंह कहते हैं, ‘‘वो अपॉइंटमेंट लेकर आई थीं. मेरे कार्यालय में महाराज (योगी आदित्यनाथ) के साथ और मोदी जी के साथ तस्वीर लगी हैं. मैंने उन्हें बताया भी. इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है.’’

अटल प्रताप सिंह को व्यापारी बताया गया लेकिन वे भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के सक्रिय सदस्य हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अटल प्रताप सिंह

कानपुर में कार्यक्रम की एंकर और इसमें शामिल लोग ओडीओपी, नमामि गंगे और स्वच्छ भारत योजना की तारीफ करते नजर आते हैं.

जौनपुर जिले से प्रसारित हुआ ‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम भी इसी तरह पहचान के घालमेल का जरिया बना. इसमें तो एंकर खुद ही सरकार की तारीफ में पुल बांधने लगती हैं. रीमा कहती हैं, ‘‘जिस तरह से भ्रम की स्थिति किसानों के मामले में फैलाने की कोशिश हो रही है, स्थिति बिलकुल उसके उलट है. अगर हम पूर्वांचल के कई सारे शहरों की बात करें तो वहां से लेकर हम अयोध्या तक पहुंचे. हम मिर्जापुर गए. हम जौनपुर में गए हम बनारस से सटे कई गांवों के लोगों से मिले. और एक सिरे से किसानों का कहना है कि उनके लिए जिस तरह की योजनाएं चल रही हैं. उससे उनकी स्थिति बहुत बेहतर हुई है. चाहे वो खाद से जुड़े मुद्दे हों, बीज उपलब्ध कराने की बात हो या फिर किसान सम्मान निधि की बात... ये तमाम ऐसी चीजे हैं जो किसानों के जीवन को बेहतर बनाती हैं. किसान इसको लेकर काफी संतुष्ट और खुश हैं.’’

हालांकि गूगल पर खाद, किसान, उत्तर प्रदेश और परेशानी’ सर्च करने पर कुछ खबरें खुलकर आती हैं.

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ऐसी सैकड़ों खबरें इंटरनेट पर मौजूद हैं, लेकिन रीमा पाराशर को सब ‘चंगा सी’ लगता है. कानपुर की तरह जौनपुर में भी वही सब दोहराया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में, एंकर वहां की मशहूर इमरती की दुकान बेनीराम देबीप्रसाद के यहां जाती है. वहां ओडीओपी को लेकर सवाल करती हैं और इमरती की तारीफ करती हैं.

जौनपुर में किसानों से बात करती एंकर

कार्यक्रम में एंकर आगे मिथिलेश तिवारी नाम के एक शख्स से विकास को लेकर सवाल करती हैं. तिवारी कहते हैं, ‘‘जब से बीजेपी की सरकार आई है तब से जनपद जौनपुर का बहुत विकास हुआ है. दिन दूना रात चौगुना विकास हो रहा है. जनपद जौनपुर प्रगति पर है. यहां के लोग सब अच्छे हैं. पहले की सरकार में ऐसा नहीं था.’’ इसके बाद वे विपक्ष की बुराई और सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हैं.

कार्यक्रम में तिवारी को स्थानीय निवासी बताया गया है वास्तव में तिवारी भाजपा कार्यकर्ता हैं. सीआरपीएफ में 25 साल तक नौकरी करने के बाद वह दो साल पहले ही रिटायर हुए और भाजपा से जुड़ गए. मिथिलेश मुंबई के व्यवसायी और भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञान प्रकाश सिंह के साथ काम करते हैं. सिंह इस विधानसभा चुनाव में लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए तिवारी कहते हैं, ‘‘मुझे योगीजी और मोदीजी बेहद पसंद हैं. इन्होंने पूरे देश को अपराध मुक्त कर दिया. ऐसे में रिटायर होने के बाद मैं बीजेपी से जुड़ गया.’’

अर्धसैनिक बल से रिटायर होने के बाद मिथलेश तिवारी भाजपा से जुड़ गए. हालांकि डीडी के कार्यक्रम में उन्हें स्थानीय निवासी बताया गया है.

अपराधमुक्त के सवाल पर हमने उनसे पूर्व सांसद धनजंय सिंह का जिक्र किया जिन पर पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम रखा हुआ है. वह बीते दिनों जनपद में क्रिकेट खेलते नजर आये थे. यह सवाल सुनकर तिवारी जी चुप्पी साध लेते हैं.

रीमा पाराशर से मुलाकात के सवाल पर तिवारी कहते हैं, ‘‘मैं इमरती खा रहा था तभी ये तीन लोग वहां आए और दुकानदार से बात कर रहे थे. वहां काफी लोग थे. मैं भी था. उन्होंने मेरा नाम पूछा उसके बाद कुछ सवाल पूछे जिसका जवाब मैंने दिया.’’ आपने उन्हें बताया नहीं कि आप बीजेपी से जुड़े हुए हैं. इसपर तिवारी कहते हैं, "मेरी बातचीत से उन्हें और वहां खड़े सबको लग गया होगा कि मैं बीजेपी से जुड़ा हुआ हूं."

इस कार्यकम में ज्ञान प्रकाश सिंह के भतीजे शिवा सिंह भी मौजूद हैं. वो भी सरकार की तारीफ करते हैं. यहां बैठे बृजेश कुमार मौर्य भी बीजेपी से जुड़े रहे है और अभी गोमती नदी के सफाई पर काम करते है.

जौनपुर में रीमा पाराशर ओडीओपी, प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना और सरकार की दूसरी योजनाओं की तारीफ करती हैं.

जौनपुर और कानपुर की तरह मेरठ में भी डीडी अपने कार्यक्रम में शामिल लोगों की पहचान छुपाता है. यहां एंकर सबसे पहले उस जगह पहुंचती हैं जहां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अन्न वितरित हो रहा होता है. यहां एक शख्स गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों का जिक्र करता है तो उसके सवाल को काटते हुए एंकर कहती हैं, राशन के बारे में क्या कहेंगे?

इसके बाद मेरठ में लोगों से अपराध में आई कमी पर बात करते हुए खेल कारोबार पर बात करने पहुंचती हैं. यहां सबसे पहले दिनेश महाजन नाम के शख्स से मिलती हैं. रीमा सवाल करती हैं, ‘‘तीन जेनरेशन आपकी इस लाइन में आ चुकी हैं. पहले में और अब में क्या फर्क महसूस करते हैं आप?’’

इसके जवाब में दिनेश सरकार की तारीफ करते हैं. खासकर ओडीएडीए की. यहां एंकर यह तो बताती हैं कि महाजन की यह तीसरी जेनरेशन इस बिजनेस में है, लेकिन यह नहीं बताती कि ये आरएसएस के सदस्य ही नहीं बल्कि पदाधिकारी हैं.

महाजन न्यूज़लॉन्ड्री से बताते हैं, ‘‘अभी मेरे पास मेरठ प्रांत का दायित्व है. मैं सह व्यवस्था प्रमुख हूं. जहां तक रही आरएसएस में शामिल होने की बात तो मेरे यहां बच्चा पैदा होता तो उसे लंगोट बाद में पहनाते हैं, और आरएसएस का निककर पहले पहना देते हैं.’’

महाजन के मुताबिक मेरे यहां बच्चा पैदा होता तो उसे लंगोट बाद में पहनाते हैं, आरएसएस का निककर पहले पहना देते हैं

‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से भी किया गया है. इस कार्यक्रम के दौरान एंकर रीमा पाराशर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव जयापुर के प्राथमिक स्कूल में पहुंचती हैं. वहां वो स्कूल की तारीफ करती हैं. यहां एंकर स्कूल गेट से अंदर जाती हैं. और कहती है कि यहां कुछ लोग बैठे हुए उनसे जानते हैं. यहां पहला सवाल वो शिव शंकर सिंह खिलाड़ी से पूछती हैं, ‘‘आप इसी जिले के निवासी है? इस पर वे कहते हैं, ‘‘गांव के ही रहने वाले हैं मैडम. एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं.’’ इसके बाद शिव शंकर सिंह योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी की तारीफ करने लगते हैं.

यहां जिस शिव शंकर को स्थानीय निवासी बताया गया जबकि वास्तव में वे भाजपा नेता हैं.

शो में शिव शंकर सिंह को स्थानीय निवासी बताया गया
भाजपा के जिला अध्यक्ष के साथ शिवशंकर सिंह

उत्तर प्रदेश की हॉट सीट में से एक अमेठी में कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एंकर कहती हैं, “यह वह सीट है जिसको लेकर लोगों को उम्मीद होती है कि यहां बहुत विकास हुआ होगा. लेकिन इसे विडंबना कहें या दुर्भाग्य, यह जिला बुनियादी चीजों से अब तक महरुम रहा था. पहले यहां कुछ नहीं था, लेकिन अब सब चीजें यहां उपलब्ध हो गई हैं.’’

एंकर के तीन मिनट के मोनोलॉग के बाद कार्यक्रम की शुरुआत एचएएल के कारखाने से होती है जहां राइफल का निर्माण होता है. बता दें कि इस कारखाने की स्थापना साल 1984 में हुई थी.

कारखाने से निकलकर एंकर की गाड़ी एक गांव में पहुंचती है. मुसाफिरखाना के पास स्थित इस गांव का नाम कार्यक्रम में नहीं बताया जाता है. इस गांव में मूंज (सरपत) का काम करने वाले ग्रामीणों से एंकर बात करती हैं. एंकर मूंज को लेकर इसलिए पूछती है क्योंकि अमेठी में एक जनपद एक उत्पाद में अमेठी में मूंज के उत्पाद बनते है.

40 वर्षीय ग्रामीण बाल किशन निषाद बचपन से यह काम कर रहे हैं. वह एंकर के बदलाव को लेकर पूछे गए सवाल पर सांसद स्मृति ईरानी की तारीफ करते हैं तभी एंकर ओपीओडी योजना से फायदे को लेकर सवाल करती हैं जिसपर बाल किशन कहते हैं, फायदा मिल रहा है. कार्यक्रम में ही वह घर नहीं होने की बात करते हैं. लेकिन एंकर ने घर को लेकर उनसे सवाल नहीं किया और मूंज को लेकर सवाल करने लगीं.

कार्यक्रम के अंतिम चरण में एंकर जिला अस्पताल पहुंचती हैं. एंकर अस्पताल के अंदर नहीं जातीं, अस्पताल के गेट पर पहुंचने से पहले ही तीन-चार युवा खड़े रहते हैं उनसे ही एंकर सवाल करती हैं. रीमा पाराशर कहती हैं, "अभी यह अस्पताल चालू हुआ है इससे पहले यहां अस्पताल नहीं था." यह बात सच है कि अस्पताल नहीं था लेकिन जिस अस्पताल को लेकर एंकर तारीफ करती है वह राहुल गांधी के सांसद रहने के दौरान ही बनना शुरू हो गया था. इसको लेकर राहुल गांधी की वेबसाइट पर जानकारी भी दी गई है.

यहां भी अस्पताल के गेट पर एंकर रीमा पाराशर की मोनू पांडेय से मुलाकात होती है. एंकर के सवाल पर मोनू अस्पताल की तारीफ करते हैं. दरअसल मोनू भाजपा से जुड़े हुए हैं. उनके फेसबुक अकांउट पर हर पोस्ट भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हुई है.

अस्पताल के गेट पर एंकर रीमा पाराशर और मोनू पांडेय
 मोनू पांडेय का फेसबुक पेज

अमेठी से पूरे कार्यक्रम का लब्बोलुआब यह था कि यहां अभी तक कोई काम नहीं हुआ था. अब भाजपा सरकार आने के बाद ही यहां काम हो रहा है. इससे पहले यहां कुछ नहीं था.

बाकी टीवी एंकरों की तरह ही रीमा पाराशर भी अयोध्या में पहुंचते ही कार्यक्रम की शुरुआत चौपाई के साथ करती हैं और भगवान राम का गुणगान करती हैं. कार्यक्रम में जहां राम मंदिर का निर्माण हो रहा है उसे दिखाया गया है. एंकर इस वीडियो को एक्सक्लूसिव वीडियो बताती हैं.

राम मंदिर का दर्शन करने आए कुछ लोगों से एंकर ने मंदिर निर्माण और विकास को लेकर बातचीत की. इसके बाद साधुओं के साथ पहले की अयोध्या और अब की अयोध्या को लेकर बातचीत की. यहां बातचीत का दायरा सिर्फ मंदिर का निर्माण और साधु संतों को लेकर होता है. हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास, एंकर से बात करते हुए योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार की तारीफ करते हैं.

बता दें की महंत हर दिन ट्विटर पर अखिलेश यादव और कांग्रेस को बुरा-भला कहते हैं. वह भाजपा के ट्वीट पर रीट्वीट करते हैं साथ ही योगी आदित्यनाथ के फोटो ट्वीट करते हैं.

जिस राज्य में एक साल पहले ही पलायन कर लाखों लोग पैदल, साइकिल या जैसे-तैसे अपने घर को गए थे. जहां गंगा में लाशें तैरती नजर आईं, लोग अपनों को जलाने के बजाय दफना रहे थे, लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई. जहां पंचायत चुनाव के दौरान सैकड़ों शिक्षकों की कोरोना से मौत हुई.

‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम में इन सबको लेकर कोई सवाल एंकर नहीं करतीं. सरकार की तारीफ में एंकर और उसमें शामिल लोग सिर्फ कसीदे पढ़ते नजर आते हैं. उससे भी अधिक चिंता की बात ये कि कार्यक्रम में विपक्ष को कोई स्थान नहीं दिया गया. एंकर सवालों में भी सरकार की तारीफ करती है. कार्यक्रम में शामिल लोग भी सिर्फ तारीफ करते हैं. ऊपर से धोखाधड़ी ये कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को पहचान छुपाकर कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया.

कार्यक्रम के कंटेंट और उसमें शामिल लोगों को लेकर हमने एंकर रीमा पाराशर से बात की. हमने उनसे पूछा कि आपके कार्यक्रम में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है. इस पर वे कहती हैं, ‘‘आपने कार्यक्रम ठीक से नहीं देखा. आप कार्यक्रम देखिए.’’ हमारे कहने पर की हमने एक-एक कार्यक्रम देखा है वो इस पर वे कहती हैं, ‘‘आप दोबारा देखिए.’’

इसके बाद हमने सवाल किया कि आपके कार्यक्रम में लोगों की पहचान छुपाई गई है. बीजेपी आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन के लोगों को कहीं व्यापारी तो कहीं ग्रामीण लिखा हुआ है. इस पर वो थोड़ी नाराज होकर कहती हैं, ‘‘आप मेरी पत्रकारिता पर सवाल उठा रहे हैं.’’ इतना कह फोन काट देती हैं और फिर दोबारा फोन नहीं उठातीं.

जनता के पैसे से चलने वाला डीडी न्यूज़ एक पार्टी का प्रचार क्यों कर रहा है. क्या उसके कार्यक्रमों में विपक्ष के लिए कोई स्थान नहीं है, क्या लोगों की पहचान छुपाकर उनकी राय दिखाना सही है? इन सवालों को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं.

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